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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रतिसेवित ६९६ प्रतीत प्रतिसेवित (वि०) पांचों इन्द्रियों का उपयोग। प्रतिहित (भू०क०कृ०) [प्रति+धा+क्त] साथ जड़ा गया, साथ प्रतिस्नात (भू०क०कृ०) [प्रति+स्ना+क्त] स्नान किया हुआ। सटा दिया गया। प्रतिस्नेहः (पुं०) परस्पर स्नेहभाव। प्रतीक (वि०) [प्रति+कन्] की ओर मुड़ा हुआ। प्रतिस्पंदनं (नपुं०) हृदय का कम्पन। विपर्यस्त, उलटा। प्रतिस्पर्धिन् (वि०) प्रतिद्वन्द्विता युक्त। (जयो०८/६१) _ विरुद्ध, प्रतिकूल, विपरीत। प्रतिस्वनः (पुं०) प्रतिध्वनि, गूंज। प्रतीकः (पुं०) अवयव, अङ्ग। अपाणकैः प्राणभृतां प्रतीकैरमानि प्रतिहत (भू०क०कृ०) [प्रति+ह्र+क्त] ०पछाड़ा हुआ, मारा चाजिः प्रतता, सतीकैः (जयो ८/३७) हुआ। हनन किया हुआ। विघात किया गया। प्रतीकं (नपुं०) प्रतिमा, प्रतिमूर्ति। ०पीछे खदेड़ा हुआ। चिह्न। विरोध किया गया, अवरुद्ध। ०मुंह, चेहरा। प्रेषित। प्रतीकारः (पुं०) विरुद्ध, प्रतिकूल, विपरीत। घृणित, निन्दनीय। निराकरण। (दयो० ८८) ग्रहण नहीं किए जाने योग्य। प्रतीक्ष (अक०) प्रतीक्षा करना, इंतजार करना। (सुद० ९४) प्रतिहतमति (वि०) घृणा करने वाली बुद्धि। प्रतीक्षाञ्चके (जयो०१०/८) प्रतिहति (स्त्री०) [प्रति+हन्+क्तिन्] प्रपञ्चवृत्ति छल कपट | प्रतीक्षणं (नपुं०) [प्रति ईक्ष् ल्युट्] ०इंतजार करना। भाव। (जयो० २५/१५) अपेक्षा, आशा। उलटकर मारा गया, पछाड़ा गया, पलटा गया। ०ख्याल, विचार, ध्यान। ०परावर्त। प्रतीक्षा (स्त्री०) [प्रति+ईश्+अङ्ग+टाप] ०अपेक्षा, आशा। ०भग्नाशा। ०ख्याल, विचार, ध्यान। क्रोध। ०इंतजार, बाट जोहना। उम्मीद नहीं। ०क्षमादि का अभाव। प्रतीक्षित (भू०क०कृ०) [प्रति+अस+क्त] अपेक्षा की गई। प्रतिहननं (नपुं०) [प्रति हन्+ ल्युट्] ०प्रहार, ०करना, पछाड़ विचार किया गया। देना, पलटना। प्रतीक्ष्य (संकृ०) [प्रति ईक्ष+ष्यत्] प्रतीक्षा करने योग्य। विघात करना। विचार करने योग्य। ०समारम्भ करना। ० श्रद्धेय, आदरणीय। ०हनन करना। अनुसरणी, प्रतिपालनीय, परिपूरणीय। प्रतिहत (पुं०) [प्रति+ह+तृच्] ०पछाड़ने वाला, धकेलने । प्रतीची (स्त्री०) [प्रति+अ+क्विन्+ङीप्] पश्चिम दिशा। वाला। प्रतीचीन (वि०) पश्चिमी। ०हरण करने वाला। भावी, परवर्ती, अनुवर्ती। प्रतिहारः (पुं०) [प्रति+ह+घञ्] द्वारपाल, प्रतिहारी, दरवान। पश्चिमी दिशा का नियम, देशावकाशिकव्रत विशेष। (जयो० ३/२१) (सुद० ९४) प्रतीचीय (स्त्री०) पश्चिमदिशा (जयो०१८) दरवाजा, फाटक। प्रतीच्छ (वि०) प्रतीक्षा करने वाला। (दयो० २/२) ग्रहण ०प्रहार करना। करने वाला। जादूगर, ऐन्द्रजालिका प्रतीच्छक (वि०) प्रतीक्षा करने वाला। प्रतिहारकः (पुं०) [प्रति+ह+ण्वुल] ०जादूगर, ऐन्द्रजालिक। प्रतीच्छना (स्त्री०) अर्थ का निश्चय करना। प्रतिहारक (वि०) क्रीडन कारक। (जयो० २५/१५) । प्रतीच्य (वि०) [प्रतीची+यत्] पश्चिम दिशावर्ती। प्रतिहासः (पुं०) [प्रति+हस्+घञ्] परस्पर हंसी, एक दूसरे । प्रतीत (भू०क०कृ०) [प्रति+इ+क्त] ०स्वीकृत, अंगीकृत, की हंसी, हंसने पर हंसना। गृहीत। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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