SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 232
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पिंडिका पिंडिका (स्त्री०) धूम, गोलाकार गूम, सूजन। पिंडिलेप: (पुं०) उपटन। पिंडित (वि०) (पिंड+क्त] दवा ० पिण्ड गोला । पिंडिन् (वि० ) [ पिंड + इनि] आहार प्राप्त करने वाला । पिंडिल (पुं०) [पिण्ड इलच्] ०सेतु पुल, बांध, घेरा। ०ज्योतिषी, गणक पिंडीर (वि० ) [ पिण्ड्+ईर् + णिच्] ०रसहीन, फीका, नीरस, रुक्ष, रुखा । पिंडीर (पुं०) अनार का वृक्ष २० समुद्रफेन। पिंडोलि (स्त्री० ) [ पिण्ड्+ओलि] जूठन गिरना उच्छिष्ट पितामह: (पुं० ) [ पितृ+डामहच्] दादा, बाबा । (जयो० ९ / ३० ) (जयो०वृ० १२/१४५) दत्तं येनाभयं दानं सत्त्वानां स पितामह: ' " ०ब्रह्मा पितामह - ऋषभप्रभुस्तु स्रष्टा । पितामहो ब्रह्मासर्जकः (जयो०वृ० ८/३८) पितुप्रयोग (वि०) पिता द्वारा कमाया गया। (समु० १/३१) पितुपार्श्व (पुं०) पिता के समीप (वीरो० ८/९) पित्सत् (पुं०) पक्षी । (जयो० ८/३९ ) पितृ (पुं० ) [ पाति रक्षति पा+तुच्] [पाति रक्षत्यपत्यमिति ] पिता, जनक ०पूर्वपुरुष, पूर्वज (सुद० ३/४२) (सुद०१०२ ) पितृक (वि०) [पितुः आगतम् पितृ+कन्] पैतृक, क्रमागत, आनुवंशिक पितृकर्मन (नपुं०) पिता सम्बन्धी कर्त्तव्य । पितृकार्यं (नपुं०) पिता के कार्य । www.kobatirth.org पितृकाननं (नपुं०) मशान, श्मशान पितृगण: (पुं०) वंश प्रवर्तक । पितृगृहं (नपुं०) पीहर । (जयो०वृ० ३ / ५६) पितृघातकः (पुं०) पिता की हत्या करने वाला । पितृतर्पणं (नपुं०) पितृदान। पितृतीर्थ (नपुं०) प्रयाग स्थान पितृपक्षः (पुं० ) पैतृक सम्बंध, पिता का कुल । पितृपतिः (पुं०) यमराज । पितृपदं (नपुं०) पितर लोक । पितृबन्धु (नपुं०) पिता के रिश्तेदार । पितृभक्त (वि०) पिता का परायण, पिता की सेवा करने वाला। पितृभक्ति (स्त्री०) पिता की सेवा। पितृमन्दिर (नपुं०) पितृगृह । ६४७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पितृराजः (पुं०) यमराज पितृवंश: (पुं०) पिता का कुल । पितृवनान्त: (पुं०) श्मशान पर्यन्त, अरथी तक। (जयो०२५/४७) पितृव्यः (पुं०) [पितृ+व्यत्] पिता का भाई, चाचा, (जयो० २ / १५२) काका । पितृव्यजनः (पुं०) चाचा, काका । (जयो० ९/८२) पित्तं (नपुं०) पित्तदोष । पिधायक पित्तकोषः (पुं०) पित्ताशय । पित्तक्षोभ (पुं०) पित्तप्रकोप । पित्तज्वरः (पुं०) पित्त के प्रकोप से होने वाली व्याधि । पित्तज्वरातुरः (पुं०) पित्त ज्वर से पीड़ित पयः पित्तज्वरातुरः ' (जयो० ७/४४ ) पित्तप्रकृति: (स्त्री०) क्रोध स्वभाव । पित्तप्रकोप : (पुं०) पित्त में व्याधि । पित्त भाव: (पुं०) पित्त के प्रकोप का भाव। पित्तरक्तं (नपुं०) रक्तपित्त नामक रोग। पित्तलं (नपुं० ) ०पीतल (जयो०वृ० ११ / ८८) ०भोजपत्र का वृक्ष | पित्तवायुः (पुं०) पेट में वायु विकार । पित्तल (वि०) पित्त बहुलता। पित्तलपात्रम् (नपुं०) पीतल का पात्र । (जयो० १६ / २६ ) पित्तविदग्ध (वि०) पित्त की व्याधि से आक्रान्त | पित्तशमन (वि०) पित्त को शान्त करने वाला। पित्तातीसार: (पुं०) दस्त। पित्र्य (वि० ) [ पितुः इदम्-पितृ यत्] पैतृक, आनुवंशिक, पुश्तैनी । पित्र्यः (पुं०) ज्येष्ठ भाई। ० माघ मास । पित्र्या (स्त्री) ० मघा नक्षत्रपुंज, ०पूर्णिमा या अमावस्या का दिन । पित्सत् (पुं०) पक्षी । पित्सल: (पुं० ) [ पत्+सल् इत् ] मार्ग, पथ, रास्ता। पिधानं (पुं० ) [ अपि था ल्युट् अपे अकार लोपः] ढक्कन, आवरण | ०म्यान, ० चादर, ०छिपाना, आच्छादन करना। ० चोटी | For Private and Personal Use Only पिधायक (वि० ) [ अपि+धा + ण्वुल् अपे आच्छादन करने वाला, ढकने वाला, अकार लोपः ] छिपाने वाला।
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy