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पिंगलं
६४५
पिंजा
पिंगलं (नपुं०) पीतल।
पिच्छलग (वि०) लड़खड़ाता। (समु० ७/४ पिंगलगान्धारः (पुं०) रत्नपुर के राजा का नाम। (जयो० पिच्छलत्वच् (पुं०) संतरे का पेड़, नारंगी का वृक्ष। २४/१०४)
छिलका। पिंगलनिधि: (स्त्री०) आभरणविधि, अलंकरण की पद्धति। | पिच्छि (स्त्री०) पिच्छी, मयूर पंख से निर्मित दिगम्बर साधु पिंगला (स्त्री०) शीशम तरु। उल्लू। एक धातु विशेष।
का एक उपकरण। संशोध्य तिष्ठेद्धवमात्मनीनं देहं च पिंगलाक्षः (पुं०) शिव, महादेव।
सम्पिच्छिकया यतात्मा। (वीरो० १८/२८) पिंगलिका (स्त्री०) [पिंगल+ठन्+टाप्] ०सारस, उल्लू विशेष। | पिच्छिका (स्त्री०) पिच्छी, प्रमार्जनी। पिंगाशः (पुं०) [पिंग+आश्+अण] गांव का मुखिया, सरपंच। पिच्छिलतम (वि०) अतिस्निग्ध (जयो० १०/१०५) पिगत् (अक०) गलना, बहना। (जयो० १७/१०१)
पिंज् (सक०) ०पुट देना, रंगना। पिचण्डः (पुं०) पेट, उदर।
०खजाना, अलंकृत करना। पिचण्डकः (पुं०) [पिचण्ड कन्] पेट्र, औदरिक।
०देना, लेना। पिचिंडिका (स्त्री०) [पिचिण्ड+ठन्+टाप्] पिंडली।
०चमकना। पिचुः (स्त्री०) रुई, एक तोल विशेष।
शक्तिशाली होना। पिचुका (स्त्री०) इत्र की फुइया गंध प्रदतूलांश।(जयो० २६/१५) रहना, वसना। पिचुतलं (नपुं०) रुई।।
० चोट पहुंचाना, क्षति पहुंचाना। पिचुमन्दः (पुं०) निम्ब तरु।
०मार डालना। पिचुलः (पुं०) [पिचु+ला+क] रुई, समुद्री काका पिंजः (पुं०) [पिं+घञ्] चन्द्रमा, शशि। पिच्चट (वि०) [पिच्च्+अटन्] चिपटा किया।
०कपूर। पिच्चटः (पुं०) नेत्र सूजन।
०वध, घात। पिच्चट (नपुं०) रांगा, जस्ता।
समूह, ढेर। पिच्चा (स्त्री०) [पिच्च+अच्+टाप्] मोतियों की लड़। पिंजं (नपुं०) शक्ति, सामर्थ्य। पिच्छं (नपुं०) मयूर पंख, पिच्छी। (मुनि० १२)
पिंजट: (पुं०) [पिंज्+अटन्] आंख का मैल, दीद। ०बाण के पंख, ०बाजू, ०कलगी शिखा।
पिंजनं (नपुं०) [पिं+ल्युट्] धुनकी, तकुआ, धुनने का पिच्छः (पुं०) पूंछ परिहार, त्याग, प्रायश्चित्त करना। 'पिच्छ साधन।
परिहारः, यतः परिहार-प्रायश्चित्त विदधानः अहं पिंजर (वि०) [पिंज्+अरच्] लड़ाई का भूरा रंग, सुनहरा रंग। परिहारप्रायश्चित्तीति ज्ञापन-निमित्तमग्रतः पिच्छं प्रतिदर्शयति धूल। (सुद० १/२२)
तत परिहारः पिच्छमित्युच्यते। (जैन०ल० ७०३) पिंजरः (पुं०) भूरा रंग। पिच्छा (स्त्री०) म्यान, कोष, भण्डार। ०मांड, ०पंक्ति, | पिंजरं (नपुं०) सोना।
श्रेणी-'पिच्छां वाचां पंक्तिं' पिच्छा पंक्तौ च पूगे च इति ०हड़ताल, अस्थिर पंजर। विश्व (जयो०पृ० २४/४२)
पिंजड़ा। ०ढेर, समूह, समुच्चय।
पिंजरकं (नपुं०) हडताल। कवच, सुपारी।
पिंजरित (वि०) [पिंजर+इतच्] पीले रंग का. भूरे रंग का। विषधर की लार।
__०धूसरीकृत। (वीरो० ३/१) पिच्छल (वि०) [पिच्छ+लच्] चिपचिपा, चिकना, | पिंजल (वि.) [पिं+कलच्] ०शोकाकुल, व्याकुल, पीडित। फिसलनपना।
०भयाक्रान्त, आतंकित। पूंछ वाला।
पिंजलं (नपुं०) ०हडताल, कुश का पत्ती। पिच्छल (नपुं०) मांड, चावल की कांजी।
पिंजा (स्त्री०) क्षति, हानि, घात। ०मलाई युक्त दही।
हल्दी, कपास
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