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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तमांसि ४३५ तरलयति तमांसि (वि०) अन्धकार रूपी धूम। तमोऽमी धूमा। (जयो० । तरङ्गः (पुं०) [तृ+अङ्गच्] १. लहर, तरल, वीचि, (जयो० २५/२५) ९/८५) कल्लोल (जयो० १३/५८) २. घोड़ा, अश्व। तमाखू (स्त्री०) तम्बाखू। (सुद० १३०) (जयो० २/१२९) (जयो०५/१७) ३. कूद, छलांग, सरपट भागना, चौकड़ी तमालः (पुं०) [तम्+कालन्] तमालवृक्षा (सुद० १३६) (जयो० भरना। ४. वस्त्र। ५. विचार। (जयो० ११/९) २३/२) तरङ्गधारिणी (वि०) १. विभङ्गदेशिनी, २. तरङ्गयुक्ता नदी। तमालचिह्न (नपुं०) तमालपत्र का चिह्न। चंदन तिलक प्रतीक। (जयो० वृ० ३/१०) तमालपत्रं (नपुं०) चन्दन तिलक, तमाल पर्ण। (सुद० १३६) तरङ्गभङ्गी (वि०) १. विचारों की छटा। तरङ्गाणां विचाराणां (जयो० १६/७५) भङ्गोच्छटा। (जयो० वृ० ११/९) २. तरल तरङ्ग-'तरला तमिः (स्त्री०) [तम्+इनि] रात्रि, रजनी। १. अन्धकार पूर्ण मनोहरा सा तरङ्गभङ्गी। (जयो० वृ० ११/९) (जयो० २६/७६) तरडवासिनी (वि०) १. कल्लोल स्थान। तरङ्गाणां कल्लोलानां तमिस्र (वि०) १. अन्धकारपूर्ण काला, अन्धकार। वासिनी निलयभूता (जयो० १३/५८) २. परिशोधकारिणीतमिस्रं (नपुं०) अन्धकार। तरङ्गाणां मनोविचाराणां वासिनी परिशोधकारिणी। तमिम्रपक्षं (नपुं०) कृष्णपक्ष। तरायित (वि०) कल्लोलित (वी० १३/२०) (जयो० वृ० तमिस्रा (स्त्री०) [तमिस्र+टाप्] तमस्विनी, रात्रि। (जयो० ३/५८) १५/६१) तरङ्गिणी (स्त्री०) [तरङ्ग इनि+ङीप्] नदी, सरिता। (जयो० तमोधर (वि०) अन्धकार धारक। (समु० ३/११) ९/६७) तरङ्गवती-नदी समुन्नशालिनी लहरी युक्ता (जयो० रवेर्विनाऽऽकाशततिर्यथास्यात्तमोधरा त्वद्रहित व्युदास्या। ६/६५) (समुद० ३/११) तरङ्गित (वि०) [तरङ्ग इतच्] छलकता हुआ, थरथराता हुआ, तमोधुन (वि०) अन्धकार नष्ट करने वाला, सूर्य। (सुद० | कापता हुआ, लहराता हुआ। १/१०) तरण: (पुं०) नौका, नाव, बेड़ा। (सुद० १/२) तमोपहत (वि०) अन्धकार नाशक। (जयो० २८/१५) तरणं (नपुं०) पार करना, जीतना, पराजित करना। (समु० १/२) तमोपहारी (वि०) अन्धकार नाशक, तिमिरापहारि। (जयो० | तरणिः (पुं०) [त+अनि] १. सूर्य, २. ज्योत्स्ना, किरण,प्रकाश१८/२४) मण्डल, आभामण्डल। (जयो० १/२६, ५/२८) (दयो० तमोनुद् (पुं०) सूर्य, रवि, भानु। (जयो० वृ० २७/२) ४२) तमोमयः (पुं०) [तमस्+मयट्] राहु। तरणिर्नवप्रभावत्व (वि०) सूर्य की नूतन प्रभा (जयो० २२/७८) तमोमयी (वि०) अन्धकार रूपिणी। (जयो० १५/) तरणी (स्त्री०) जहाज, नौका, बेड़ा, नाव। (जयो० वृ० १५/३) तमो शुक (वि०) तिमिर (जयो० १५/४८) (जयो० १५/६१) तरण्डी (स्त्री०) [तरण्ड ङीष्] नौका, जहाज, नाव, बेड़ा, तमोवगुण्ठातिगत (वि०) अन्धकार के आच्छादन सहित। घड़मई। (जयो० १५/५०) तरन्तः (पुं०) [तृ+क्षच्] १. समुद, २. मेंढक, ३. राक्षस। तमो विधात्री (वि०) अन्धकार करने वाली। (भक्ति० २५) तरल (वि०) [तृ+अलच्] १. चंचल, चलायमान, चपल, तमोहति (वि०) अन्धकार नाशनी (सम्य० ४९) लहराता हुआ। अस्थिर, चमकदार। तरलश्चञ्चले खड्गे तय् (सक०) १. जाना, परिभ्रमण करना, २. रक्षा करना, इति विश्वलोचनः। (जयो० १६/७६) २. कामुक, बचाना। स्वेच्छाचारी। तरः (पुं०) [तृ+अप] पार करना, पार जाना, १. भाड़ा, तरल: (पुं०) १. हार, २. समतल सतह, ३. हीरा, ४. लोहा, किराया। अयस्का तरक्षः (पुं०) [तरं बलं वा मार्ग क्षिणोति-तर+क्षि+डु] विज्जू, तरलतर (वि०) चञ्चलता युक्त नेत्र वाली स्त्री। (दयो०१९) लकड़बग्घा। तरलतावश (वि०) चंचला के कारण। (जयो० ) तरक्षु (स्त्री०) लकड़बग्घा। तरलयति-लहराना, हिलना। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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