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परार्थगुणः
६०८
परिकम्प
परार्थगुणः (पुं०) स्वात्म सम्बन्धी गुण रहित। ज्ञान के अतिरिक्त
गुण 'परार्थाः स्वात्मसम्बन्धि गुणाः शेषा सुखादयः।
(जैन०ल० ६७३) परार्थकरणं (नपुं०) परोपकरण। परार्थप्रत्यक्षः (पुं०) प्रत्यक्ष को अन्यथा करके प्रतिपादन
करना। प्रत्यक्ष-परिच्छिन्नार्थभिधायिवचनं परार्थप्रत्यक्षं
परप्रत्यक्षहेतुत्वात्। परार्थभिगमः (पुं०) शब्द रूप ज्ञान होना। 'परार्थाधिगमः
शब्दरूपः' (जैन०ल० ६७३) परार्थानुमान (नपुं०) साध्य के अविनाभावी हेतु का प्रतिपादक
वचन। 'पक्षहेतुवचनात्मकं परार्थानुमानमुपचारात्' ०यथोक्त साधनाभिधानजः परार्थम्' (प्रमाण मीमांसा २/२) ०साधनात्साध्यविज्ञानं परार्थानुमानमित्यर्थः। (न्यायदीपिका
पृ०७३) पराभवः (पुं०) [परा+भू+अप्] ०पराजय, परास्त होना,
हारना। विकार। (जयो०वृ० ५/१) ०मानभंग, प्रतिष्ठहानि। विनाश, घात, वियोग।
घृणा, अवहेलना, तिरस्कार। पराभिजित् (वि०) शत्रुओं को जीतने वाला। (सुद० १/२९) पराभूत (वि०) विनिर्जित, परास्त, हारने वाला। (जयो०१०१/२५) पराभूतिः (स्त्री०) [परा+भू+क्तिन्] पराभावि, ०पराजय,
०परास्त होना, ०हारना। विपत्ति, विनाश। (वीरो०
१९/१६) परामर्शः (पुं०) [परा+मृश्+घञ्] विचार-विमर्श, चिन्तन।
निर्णय, पक्ष निश्चय करना। विषय पर विचार।
झुकना। ०पकड़ लेना, खींचना।
हिंसा, आक्रमण, हमला।
०ध्यान करना, प्रत्यास्मरण। परामृश् (अक०) चूमना, चुम्बन करना। (दयो० ५३) परामृश् (अक०) (भू०क०कृ०) विचार करना। परामृष्ट (वि०) [परा+मृश्+क्त] छुआ हुआ, स्पर्शित किया
गया, पकड़ा गया, दबोचा गया, तोला गया, "विचार
विमर्श किया गया। परारि (अव्य०) [पूर्वतरे वत्सरे इत्यर्थे परभावः आदि च |
संवत्सरे] पूर्वतर वर्ष में, विगतवर्ष में, परिपाल वर्ष में,
पुराकाल में। परावर्तः (पुं०) [परा+वृत्+घञ्] प्रत्यावर्तन, वापस आना।
विनिमय, पुनः प्राप्ति, अदला-बदली।
एक प्रमाण विशेष। 'परावर्तः पुद्गलपरावर्तः' परावर्तदोषः (पुं०) संयत दोष, बदले में देना। परावर्तनं (नपुं०) पुनः पुनः अभ्यास। ग्रन्थस्य पुनः पुनरभ्यसनं __परावर्तनम्। (जैन०ल० ६७४) ०परिवर्तन। परावर्तमानः (पुं०) बन्ध और उदय की प्राप्ति। परावर्तित (वि०) एक वस्तु के बदले दूसरी देने वाला। पराशरः (वि०) [परान् आ शृणाति-शृ+अच्] एक ऋषि
विशेष। पराशर नामक वानप्रस्थ। (जयो० १/६१) परासम् (नपुं०) [परा+अस्+घञ्] रांगा, टीन। परासनम् (नपुं०) [परा+अस्+ल्युट्] वध, हत्या, घात, विघात,
हनन। परासु (वि०) [परागताः असवो यस्य] निर्जीव, मृतक।
(जयो० २/१२८) पराहक (वि०) दूसरे में रक्त में दूसरे का खून। (वीरो०९/३) परास्त (भू०क०कृ०) [परा+अस्+क्त] विजयाभाव। परासुत्व (वि०) प्राण रहितत्व। (वीरो० ६/२१)
०पराजित, पराभूत, पराभव। फेंका गया, डाला गया। निष्कासित, निकाला हुआ।
अस्वीकृत। ०ध्वस्त, धराशायी। (जयो० १३/११०)
निराकृत, त्यक्त। पराहत (भू०क०कृ०) [परा+ह्र+क्त] परास्त किया गया, पछाड़ा
गया, पीछे हटाया गया। पराहतं (नपुं०) प्रहार, आघात, नाश, विधाता परि (अव्य०) [पृ+इन्] यह उपसर्ग धातु एवं संज्ञाओं के पूर्व
लगता है। ०पृथक्करण, अलग। ०चारों ओर, इधर-उधर। ०क्रमशः, एक के बाद।
बिना, सिवाया परिकथा (स्त्री०) काल्पनिक कथा, साहसिक कार्यों को
व्यक्त करने वाली कथा। परिकम्प (वि०) थरथराहट, कपकपी।
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