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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परभक्षित ६०४ परमार्थलिप्सा परभक्षित (वि०) अन्य द्वारा खाया गया। (वीरो० ८/१) परभागः (पुं०) अन्य का हिस्सा। परभाषा (स्त्री०) विभाषा, विदेशी भाषा। परभुक्त (वि०) अन्य से भोगा गया। परभूत (पुं०) कौवा। परभृतः (पुं०) कोयल। परंलूरः (पुं०) निर्गुन्ददेश का राजा। (वीरो० १५/३५) परम (वि०) [परं परत्वं माति-क] ०उत्कृष्ट, सर्वोत्तम, प्रधान, मुख्य, उचित, सर्वोपरि। ०अत्यधिक, अन्तिम। यथेष्ट, समीचीन। ०दूरतम, उच्चतमा ०प्रधानतया, पूर्णत: संलग्न। परमं (नपुं०) सर्वोच्चतम, उत्कृष्ट, श्रेष्ठ, समीचीन, यथार्थ। चित्त के संतोष का कारण, अतिशय। (जयो० १/९७) विशुद्ध ज्ञानात्मक दृष्टि। परमगतिः (स्त्री०) सिद्धगति, उत्तमगति। परमघमथनं (नपुं०) ०सम्पूर्ण पाप का मंथन, पाप का विलोडन। (सुद० १३६) परमत्व (वि०) उत्कृष्टत्व। श्रद्धानमेवं दृढमात्मनस्तु गुणत्रयेऽतः परमत्वमस्तु। (सम्य० १३१) समीचीनत्व। परमपदः (पुं०) उच्चपद, उत्कृष्ट स्थान। मोक्ष। (सुद० १३६) परमपदपथकथनं (नपुं०) परमपद के उपदेशक। (सुद० १३६) ०मोक्ष मार्ग का कथन। ० परमेष्ठिपद का निरूपण। परमपुरुषः (पुं०) परमात्मा, परमब्रह्म। परमप्रख्य (वि०) अति प्रसिद्ध, अत्यधिक ख्याति प्राप्त। परमबन्धु (पुं०) स्नेहीजन। ०सम्मानीयपुरुष। (जयो० २०/२२) परमब्रह्मन् (नपुं०) परमात्मा, परमपुरुष। 'अहिंसा भूतानां जगति विदितं ब्रह्म परमम्। (दयो० १) ०परमब्रह्मसंज्ञ-निजशुद्धात्मभावना। अहिंसा भूतानां जगति विदितं ब्रह्मपरमम्। परमभावः (पुं०) उत्कृष्ट भाव, समीचीन परिणाम। (समु० ७/२२) परमभावग्राहकः (पुं०) शुद्धभाव का ग्राहक, द्रव्यार्थिकनय वस्तु के यथार्थ का विवेचक है। परममहिमा (स्त्री०) अत्यधिक विशेषता, अधिकवर्णन। (जयो० १८/३) परमषि (पुं०) केवलज्ञानी, पूर्णज्ञानी। 'परमर्षयः केवल ज्ञानिनो निगद्यन्ते। उत्तम साधु। (दयो० ३१) परमवतं (नपुं०) शुद्धोपयाग रूप व्रत, चारित्र की प्रधानता वाला व्रत। परमसमाधि (स्त्री०) निर्विकल्पक समाधि, आत्म की परम समाधि। परमसारः (पुं०) उत्कृष्ट सार, आत्मसार। (जयो० २/१४) परमसुखं (नपुं०) अनुपम सुख, उत्कृष्टानन्तसार, परमसार। परमात्म सुख, विशुद्ध सार। परमसुन्दरः (पुं०) सुरोचन। (जयो० ३/९१)०लावण्यपूर्ण। परमस्नेहवश (वि०) उत्तमप्रीति युक्त। (समु०६/२६) परमस्थितिः (स्त्री०) परमस्थान, उत्कृष्ट स्थिति। परमहंसः (पुं०) परमात्मा (दयो० ३०) परमा (स्त्री०) लक्ष्मी (जयो० २२/४३) परमागमः (पुं०) ०उत्कृष्ट आगम, सर्वज्ञ प्रणीतशास्त्र, ०अरहंतवचन, ०आहेत आगम। (जयो० २/८६) परमागमपारगामिन् (वि०) अर्हत वचन प्रवीण। (सुद० ३/३१) परमाणु (स्त्री०) अविभागी अंश, स्कन्धों का अन्तिम भाग। अंतभाग। ०परमाणु चेव अविभागी। अत्तादि अत्तमज्झं अत्तंतं णेव इंदिए गेज्झं। अविभागी जं दव्वं परमाणुं तं विआणाहि।। ०अनादिरमध्योऽप्रदेशोहि परमाणुः। न विद्यते द्वितीयादयः __ प्रदेशाः यस्मिनः सो ऽप्रदेशः परमाणुः। (धव० १४/५४) ०मूर्तमप्यप्रदेशं च परमाणुः प्रचक्षते। परमात्-अन्य रूप से। (सुद०४/२०) परमात्म-बुद्धिः (स्त्री०) सर्वज्ञत्व की बुद्धि। परमात्मनि बुद्धिः। (वीरो० ५/२९) परमात्मन् (पुं०) परमात्मा, परम आत्मा। (समु० ९/२१) 'सम्बुद्ध्ये तु परमात्मनएव' (सम्य० १४७) परमात्मा-'कम्पकलंकविमुक्को परमप्पा'। निर्विकल्प शुद्धात्मा (हित० ३, सुद० १२८) आत्मसिद्धि संपन्न। अर्हत् (हित० सं० ५५) परमार्थवृत्तिः (स्त्री०) समीचीन वृत्ति। (जयो० २/१५८) परमार्थलिप्सा (स्त्री०) मोक्ष की आकांक्षा। (सुद० ४/४५) साक्षात् सकृत् सर्वसतां। प्रभोग-प्रकारकः स्यात् परमोपयोगः। यदाश्रयः श्रीपरमात्मनामा, निर्दोषपूषेव स पूर्णधामा।। (समु० ८/२४) विशिष्टगुणोपेत आत्मा। निष्कल आत्मा। परो ह्यात्मा परमात्मेति भाषितः। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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