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निजोपार्जित
नित्यमित्रं
निजोपार्जित (वि०) अपने पूर्वोपार्जित, कर्म, स्वयं के उत्पन्न ० अटल, नियमित, निश्चित। अवेहि नित्यं विषयेषु
किये गए। फलं सम्पद्यते जन्तोर्निजोपार्जितकर्मणः। कष्टम्। (सुद० १२१) (सुद० १२५)
० सदैव, हमेशा 'कष्टाय नित्यं ननु देहिराशौ' (सुद० १२१) निटलं (नपुं०) मस्तक, सिर।
० वस्तु स्वभाव का विनाश न होना 'तद्भावाऽव्ययं निडीनं (नपुं०) [नीचैः डीनं पतनमस्ति] झपट्टा मारना,
नित्यम्' ०चिरस्थायी, शाश्वत, निर्बाधा (त०सू० ५/३१)
० जीव में गुण, चेतन आदि का बना रहना। (त०सू०पृ०८१) पक्षियों का नीचे की ओर उड़ना।
० अनादि, अनन्त एवं सर्वकालिक स्वरूप होना जिसके नित (अव्य०) सदैव। (सम्य० १५३)
विषय में यह ज्ञान हो कि यह वही है, जिसे पहले देखा नितंबः (पुं०) [निभृतं तम्यते कामुकैः, तमु कांक्षायाम्]
था, वह नित्य है, (जयो हि० २६/८९) यत् सतो भावान्न चूतड़, श्रोणी भाग, कूल्हा, कटिपृष्ट भाग। (जयो० ११/२४)
व्येति, न व्येष्यति तन्नित्यमिति' (जैन०ल० ६०७) (वीरो० ३/२२) स्त्रियों का पिछला उभरा हुआ हिस्सा, | नित्यं (अव्य०) प्रतिदिन, सदा, सर्वथा हमेशा, लगातार, निरन्तर। 'समेखलाभ्युन्नतिमन्नितम्बा' नटी स्मरोत्तानगिरेरियं वा। त्रसानां तनुर्मासनाम्ना प्रसिद्धा यदुक्तिश्च विज्ञेषु नित्यं (सुद० २/५) तमेकचक्रं च नितम्बमेनं जगज्जयी संलभते निषिद्धा। (जयो० २/१२३) मुदं नः। (जयो० ११/२२) 'नितम्बनामा रसनाकलापच्छेन' नित्यकृत्यं (नपुं०) प्रतिदिन किया जाने वाला कार्य। (जयो० ११/२३)
नित्यतदन्यरूपः (पुं०) नित्यानित्यामक, नित्य और अनित्य। नितम्बदेशः (पुं०) कटिपृष्ठ भाग 'नितम्बदेशे पृथुचक्रमानात्।
(जयो० २६/८९) (वीरो० ३/२१)
नित्यैकतायाः परिहारकोब्द: नितम्बप्रदेशः (पुं०) कटिपृष्ठ भाग। श्रोणिभाग।
क्षणस्थितेस्तद्विनिवेदिशब्दः। नितम्बबिम्बं (नपुं०) १. तीरस्थल (जयो०१३/९६), २.
सिद्धोऽधुनार्थः पुनरात्मभूव।
संज्ञानतो नित्यतदन्यरूपः। श्रोणिपृष्ठपद। (जयो०वृ० १३/९६), ३. स्वकीय श्रोणिप्रदेश।
नित्यदानं (नपुं०) प्रतिदिन का दान। (जयो० १५/७६)
नित्यनिगोदः (पुं०) तीनों कालों में त्रस पर्याय के योग्य न हो। नितम्बभागः (पुं०) कटिप्रदेश।
नित्यनियमः (पुं०) नित्य का नियम, प्रतिदिन का सिद्धान्त, नितम्बवत् (वि०) [नितम्ब+मतुप्] सुन्दर कूल्हों की तरह।
प्रतिदिन की प्रक्रिया। नितम्बिन् (वि०) [नितम्ब इनि] उन्नत कूल्हों वाला, रमणीय नित्यनूत्वा (वि०) प्रतिदिन, नया-नया। श्रोणिपृष्ठ युक्त।
नित्यनैमित्तकं (नपुं०) निरन्तर किया जाने वाला अनुष्ठान। नितम्बिनी (स्त्री०) नितम्ब वाली, श्रोणि युक्त, उभरे सुन्दर नित्यपाठः (पुं०) निरन्तर चलने वाला अभ्यास। ___ कटि पृष्ठभाग वाली। (जयो० १४/८४)
नित्यपिण्डः (पुं०) प्रतिदिन का आहार। नितराम् (अव्य०) [नि+तरप्+अमु] ० पूर्णरूप से, पूरी तरह
नित्यपूजा (स्त्री०) प्रतिदिन की पूजा, देव, शास्त्र और गुरु की से। ० अत्यधिक, अत्यंत, बहुत बड़ा, (जयो० १३) ०
प्रतिदिन की जाने वाली पूजा/अर्चना/भक्ति। भारी से भारी, गुरुतर।
नित्यप्रलयः (पुं०) सुसुप्त दशा। नितलं (नपुं०) [नितरां तलम् अधोभागः यस्मिन] पाताल का
नित्यबन्धः (पुं०) निरन्तर बन्ध।
नित्यभावः (पुं०) शाश्वत भाव। एक भाग।
नित्यभावना (स्त्री०) स्थायी विचार। नितान्त (वि०) ०अत्यधिक, बहुत अधिक, तीव्र, दृढ़तर,
नित्यमरणं (नपुं०) प्रतिसमय आयु का विनाश। 'समये समये ०प्रगाढ़, प्रकृष्ट, ०अतिशय, ०बहुत ज्यादा। 'नयतो जय
स्वायुरादीनां निवृत्तिः'। (त०वा० ७/२२) तोषयेरुपेतां प्रणयाधीनतया नितान्तमेताम्। (जयो० १२/५०) नित्यमहः (पुं०) नित्यपूजा। नितान्तं (अव्य०) ०अत्यधिक, बहुत ज्यादा, तीव्रतर। (वीरो० तेषु नित्यमहो नाम स नित्यं यज्जिनोऽर्च्यते।
१२/२३) 'सरलामनुमन्य वंशजां मां कुरुषे कान्त नितान्तमेव नीतैश्चैत्यालयं स्वीयगेहाद् गन्धाक्षतादिभिः।।(जैनल पृ०६०८) वामाम्। (जयो० १२/९३)
नित्यमित्रं (नपुं०) अकारण दूसरे का रक्षक। 'यः कारणमन्तरेण नित्य (वि०) [नियमेन नियतं वा भवं नित्यप्]
रक्ष्यो रक्षको वा भवति तन्नित्यं मित्रम्। (जैन०ल०६०९)
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