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निकामः
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निक्षिप्तदोषः
निकामः (पुं०) कामना, इच्छा, चाह। १. निष्क्रिय, निरीह। | निकुलीनिका (स्त्री०) [नि+कुवीन+कन् टाप्] परम्परागत (जयो० २४/९०)
विशेषता युक्त, अपने कुल की कला में प्रवीण। निकाम (अव्य०) यथेच्छ, इच्छानुसार।
निकृत (भू०क०कृ०) [नि+कृ+क्त] विजित, तिरस्कृत, प्रवंचित, निकायः (पुं०) [नि+चि+घञ्] ० समूह, समुदाय, संघात, हटाया गया, कष्टग्रस्त, क्षतिग्रस्त, दुष्ट, अधम नीच।
संकाय, भाग। (सुद० २६) 'निचीयन्ते इति निकायाः' | निकृति (वि०) [नि+कृ+क्तिन्] वञ्चना, ठगना, छल करना। 'स्वधर्म विशेषापादितसामर्थ्यात् निचीयन्ते इति निकायाः' 'निक्रियतेऽनया परः परिभूयत इति' निकृतिः। (त०भा० (त०वा० ४/१)
८/१०) ० तरह, प्रकार-'देवाश्चतुर्णिकायाः'1 (त०सू० ४/१)
० धन या कार्य की अभिलाषा। 'अतिसन्धानकुशलता धने ० अधिक काय-'अधिको वा कायः निकाय: कार्ये वा कृताभिलाषस्य वंचना निकृतिः' (भ०आ०टी०२५) यथा-अधिकदाहो निदाह इति'।
० दुष्टता, नीचता। ० घर, आवास, स्थान।
० धोखा। ० धर्म परिषद्।
० तिरस्कार, अपमान, अपराध। • शरीर।
निराकरण, अस्वीकृति। ० उद्देश्य, निशाना।
० दरिद्रता निर्धनता। ० परमात्मा।
० हीनता, कमी। निकाय्यः (पुं०) [नि+चि ण्यत्] निवास, आवास, घर, स्थान, निकृन्तनार्थ (वि.) कष्ट के प्रयोजनार्थ। (वीरो० १६/८) निकारः (पुं०) [नि+कृ+घञ्]
निकूतन (वि०) काटने वाला, नष्ट करने वाला। ० उड़ाना, धान्य फटकना, साफ करना।
निकृष्ट (वि०) [नि+कृष्+क्त] अधम, नीच, दुराचारी, गिरा ० उठाना।
हुआ, घृणित, बहिष्कृत। ० वध, हत्या।
निकेतः (पुं०) [निकेतति निवसति अस्मिन् नि+कितु-घञ्] ० अनादर, अवज्ञा, क्षति, दुष्टता। पराभय, तिरस्कृत। घर, आवास, भवन, आलय, निकुञ्ज, कुञ्ज। (जयो० ५/१)
निकेतनः (पुं०) [नि+कित्+घञ्] प्याज। ० द्वेष, विरोध।
निकेतनं (नपुं०) [नि-कित्+ल्यु] भवन, आलय, निवास निकारणं (नपुं०) [नि कृ+णिच्+ल्युट्] वध, हत्या।
स्थान। (जयो० २४/४१) शिविरस्थान-'उज्ज्वलस्य निकाशः (पुं०) [नि+काश्+घञ्]
श्वेतवर्णस्य निकेतनस्य निवासस्थानस्य' (जयो० १३/१०९) ० दर्शन, दृष्टि।
निकेतिवृत्तिः (स्त्री०) आधारभूत वृत्ति। (सम्य० ४०) ० क्षितिज।
निकोचनं (नपुं०) [नि कुच्+ल्युट्] सिकुड़न, सिमटन, संकुचन। ० सामीप्य।
निक्वणः (पुं०) संगीतस्वर, ध्वनि। • समानता, समरूपता।
निक्षा (स्त्री०) [निश्+अ+टाप्] लीख। निकाषः (पुं०) [नि+कष्+घञ्] खुरचना, रगड़ना। निक्षिप् (सक०) डालना, छोड़ना, रखना। (जयो०वृ० १/५९) निकुंचनः (पुं०) [नि+कुंचल्युट्] एक तोल, १/४ कुदव के निक्षिप्त (भू०क०कृ०) [नि+क्षिप्+क्त] • फेंका हुआ, डाला बराबर। आठ तोले बराबर।
हुआ, रक्खा हुआ। ० समर्पित (जयो०५/१३) ० अस्वीकृत, निकुंजः (पुं०) लतामण्डप, लतागृह।
परित्यक्त (वीरो० २१/१५), प्रस्थापित (जयो० १३/८९), निकुंज (नपुं०) पर्णशाला, कुटिया, आवास स्थान।
० भेजा हुआ, आहित, ० स्थापित किया हुआ-'निक्षिप्तः निकुम्भः (पुं०) [नि+कुम्भ+अच्] ० एक अनुचर, ० स्थापितः, सचित्तादिषु परिनिक्षिप्तमाहारम्
सुन्द-उपसुन्द का जनक। • गण्डस्थल-'हस्तिनो निकुम्भात् । निक्षिप्तदोषः (पुं०) हरित वस्तु से आच्छादित आहार, सचित्त गण्डस्थलात्' (जयो०८/३५)
पृथ्वी आदि के ऊपर आसन, शय्यादि का लगाना। निकुरं (नपुं०) झुण्ड, समूह, संग्रह, समुच्चय, समुदाय। 'सचित्त-पृथिव्यादेस्त्रसानां वा उपरि पीठफलकादिक
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