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तडिन्मय
४२८
ततः प्रभृति
तडिन्मय (वि.) [तडित्+मयट्] विद्युत् युक्त। तडिल्लता (स्त्री०) बिजली की रेखा। 'तडिल्लतालङ्करणायेव
सा' (जयो० २२/४०) तण्ड् (सक०) प्रहार करना, घायल करना। तण्डकः (पुं०) [तण्ड्+ण्वुल] खञ्जन पक्षी। तण्डुलः (पुं०) [तण्ड्+उलच्] चांवल, धान्य, शस्य, धान्य।
(सुद० वृ० ७०) कूटने के पश्चात् प्राप्त होने वाला
धान्य। तण्डुलमण्डेन (नपुं०) चांवल से अलंकृत। (जयो० २५) । तत् (सर्वनाम्) वह। तस्य (जयो० १/१३) सः (पुं०) स |
साधुसंसर्ग (सुद० १/२३) स जटालवालवान् (सुद० ३/१४) तं (नपुं०) सा (स्त्री०) लताभूयमालिलिङ्ग सा तु (सुद० ३/२) (जयो० २३/९९) जगदुद्योतनाय सति दीपे सा भाषा भाति समीपे। (जयो० २२/४१) ताः सकलाः (स्त्री०) प्र० बहुवचन। (सुद० १/२८) 'ता' (स्त्री०द्वि०ए०) सुद० ३/१२ (सुद० वृ० ९४) तां युवति (सुद० २/४९) (जयो० वृ० १/१७) (सुद० ३/११) (प्र०बहु जयो०१/२०) 'समाधिगम्य समदृशा जयं सं' (जयो० २२/४३) तेन-(वृ० ए० जयो० १/१५) (सुद० २/२०) तस्मै ४/१ (सुद० १/६७) तेभ्यः (पं० बहु० १/२४) तया २/१ (सुद० ३/१५) तास्यः (पं० बहु १/१९) ताभिः (वृ० बहु०) सुद० ३/२३, तयो० ६/२, सुद० ४/१७। तस्याः (स्त्री०) षष्ठी एक (सुद० २/४३) तौ प्र०वी० सुद० २/४०, जान् पुं०द्वि०बहु सुद० ११८। ते (स्त्री०) प्रथमा द्विवचन। (सुद० ३/२५) तासाम (६/३ स्त्री० जयो० ३/६३) तेषां (६/३, पुं० सुद० ११७) बहुलास्तु तासाम्। तासु ७/३ स्त्री०, सुद० ७५।
तस्मिन् (७/१, पुं० जयो० ३/५०) तत् (अव्य०) अविद्यमान वस्तु का उल्लेख। जं तं तव, तो भी.
तथा, वैसे ही। तत्कलिला (स्त्री०) कृमि, कीट। (सुद० १०२) तत्कालः (पुं०) वर्तमान समय, विद्यमान क्षण। (दयो० वृ०
तत्क्षण एव (अव्य०) उसी समय ही, तुरन्त ही, शीघ्र ही।
(२०/१२) तत्गत (वि०) उसी ओर गया हुआ। तत्ज (वि०) तत्काल। तज्ञ (वि०) जानने वाला। तत्तृतीय (वि०) उसी क्रम में तीसरी बार। वत्धन (वि०) कृपण, कंजूस। तत्पर (वि०) परायण, तैयार, उद्यत। (जयो० ११/१३, सुद०
३/४४) तत्परायण (वि०) पूर्णतः संलग्न। तत्पुरुषः (पुं०) १. प्रधान व्यक्ति, २. एक समास जिसमें
प्रथम पद प्रधान होता है या जिसका उत्तरपद पूर्वपद द्वारा
परिभाषित होता है। 'उत्तरपदप्रधानः तत्पुरुषः' तत्पूर्व (वि०) प्रथमतः घटित, पूर्व का, पहला। तत्प्रथम (वि०) प्रथम बार करने वाला। तत्बल: (पुं०) एक शक्ति या बाण विशेष। तत्मानं (अव्य०) एक मात्र, अकेला। तत्याज (वि०) उज्झितवन्ती। (जयो० १६/३६) तत्वाचक (वि०) सत्य वाचक, सत्य कहने वाला। तत्वात् (वि०) तात्त्विक, तत्त्व सम्बन्धी। (सुद० १२४) सम्पदि
तु मृदुलतां गत्वा पत्रतामेत्यहो तत्वात्। (सुद० १२४) तत्विध (वि०) उसी प्रकार का। तत (भू०क०कृ०) [तन्+क्त] फैला हुआ, विस्तारित। तत (वि०) प्रसृत, तल्लीन। (जयो० २६/६५) ततः (पुं०) तत वाद्य विशेष, एक ध्वनि। 'स ततेन ततः कृतो
ध्वनिः' (जयो० १०/१६) ततेन वाद्येन ततः' परिव्याप्त
ध्वनि कृतः' (जयो० वृ० १०/१६) । ततस् (अव्य०) [तद्-तसिल्] उस स्थान, उसी प्रकार, वहां
से, उस रूप में, इसलिए, फलतः, तो भी, फिर भी ततः-तदनन्तर-'मुमुदे जातुजसत्तमस्ततः' (सुद० वृ० १२१) (सुद० ३/४) ततः इसलिए-प्रतिवेद च देवता ततः' (वीरो०७/२६) विश्वदाक्षी रहितस्य तत्त्वतः (वीरो० ७/२६) उसी प्रकार-'शिखेव दीपस्य ततस्त एतां' (समु०
१/१४) अतएव-'तत कुर्यान्महाभाग' (सुद० १२६) ततत्यजा (स्त्री०) अस्पष्ट वाणी। (जयो० १६/५०) ततस्ततः (अव्य०) जहां कही भी। ततःकिम् (अव्य०) तो भी क्या? ततः प्रभृति (अव्य०) तब से अब तक।
३२)
तत्कालं (अव्य०) अविलम्ब, तुरन्त, शीघ्र, उसी समय।
(जयो० २/१३८) तत्क्षणः (पुं०) उसी समय, विद्यमान, वर्तमान समय। तत्क्षणं (अव्य०) तुरन्त, शीघ्र।
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