________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
नाभिचक्र
५४१
नामन्
नाभिचक्र (नपुं०) तुण्डी मण्डल। (जयो० २१/२०) नाभिजः (पुं०) नाभिराज। नाभिजातः (पुं०) कमल से उत्पन्न ब्रह्मा, विधि। (जयो०वृ०
१/३५) ० नाभिमण्डल (वीरो० ६/५) अकुलीन-स नाभिजातोकुलीनः' (जयो०वृ० १/३५) ० ऋषभदेव, आदिब्रह्मा, नाभिराजा का पुत्र, अन्तिम कुलकर अन्तिम मनु से उत्पन्न ऋषभ। सैवाभिजातोऽपि च नाभिजातवः समाजमन्यो वृषभोऽभिधानः। (वीरो०१/२)
० नाभिराजस्य जात सुपुत्रा(जयो०वृ० १९/१७) नाभिजात (वि०) हीन जातीय, अकुलीन 'अभिजातं न भवतीति
नाभिजातः' (जयो० २८/२९) नाभिजातकः (पुं०) नाभिनाल। 'सितिमानमिवेन्दुस्तकम
भिजातादपि' नाभिजातकम् (सुद० ३/१३) नाभिदरी (स्त्री०) नाभिगर्त, ताभि रूप गुहा। नाभिमेव दरी
गुहाम् (जयो० २२/१२) नाभिदप्नु (वि०) नाभिपर्यन्त (जयो० १८/२७) नाभिदेशः (पुं०) तुण्डिकाप्रदेश, तुण्डी के समीप। (जयो०
१३/९४) नाभिनरेशः (पुं०) अन्तिम कुलकर नाभिराज। (मुनि० १ ) नाभिनरेशसुनुः (पुं०) नाभिराज का पुत्र, ऋषभदेव, आदिदेव,
आदिब्रह्मा, वृषभदेव, आदिनाथ। (मुनि० १) नाभिपर्यन्तभागः (पुं०) नाभि का भाग। नाभिपुत्रः (पुं०) नाभिराज का पुत्र, ऋषभदेव। नाभिबिलं (नपुं०) नाभिगर्त। पिपीलिकालीक्रमकृत्य
प्रशस्तिर्विनिर्गता नाभिबिलात्समस्ति। (जयो० ११/३३) नाभिभवः (पुं०) नाभिरूप संसार। (सुद० १/२२) नाभिभ्रमणं (नपुं०) नाभिकुहर, नाभिगर्त। (सुद० २/४) नाभिमण्डलं (नपुं०) नाभिजात। (वीरो० ६/५) नाभिमान (वि०) अभिमान रहित। (वीरो० ८/१८) अहंकारशून्य। नाभिराज (पुं०) नाभिराजा, अन्तिम कुलकर। नाभिराजात्मजः (पुं०) ऋषभदेव। (मुनि० १०) नाभिल (वि०) नाभि से सम्बन्धिता नाभिवापी (स्त्री०) नाभिगा, नाभिभ्रमण। (जयो० २/४८) नाभिसरस् (नपुं०) तुण्डी गर्त रूप जलाशय। 'सतृष्णया
नाभिसरस्य वापि किलावतारः शनकैस्तुयापि' (जयो० ११/५) नाभिसुनुः (पुं०) ऋषभदेव। (जयो०७/५९) नाभीलं (नपुं०) [नाभि+गीष्+ला+क] १. नाभिगर्त, २. पीड़ा।
नाभरेसा (पुं०) नाभिराज के पुत्र।
नाभेरसा वृषभ आस सुदेवसूनु यो,
वै चचार समद्दग्दृढयोगचाम्। यत्पार्महस्यमृषयः पदमामनन्ति
स्वस्थः प्रशान्तकरण: परिमुक्तसङ्ग।। (दयो० ३०, दयो० ३१) नाभेयः (पुं०) ऋषभदेव, प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ।
(भक्ति० १८) (जयो० ५/२४) (जयो०२४/१२) नाभ्य (वि०) [नाभि+यत्] नाभि से सम्बन्ध रखने वाला। नाम (अव्य०) नामधारी, नामक। समस्युज्जयिनी नाम नगरीह
गरीमसी। नाम वाला, नाम युक्त। (दयो० ५) नाम धारक। (जयो० ५) ० निःसन्देह, निश्चय ही, सचमुच ही, वास्तव में, यथार्थ में, वस्तुत:- नृभवो नाम पन्थैको (दयो० १२०) ० संभावना-विषाऽस्या नाम सञ्जातं रजनीव निशोऽवनो (दयो०६) ० झूठ-मूठ का बहाना। ० आश्चर्य-धरातले साम्प्रतमर्दितोदरः प्रवर्तते हन्त स नामतो नरः। (वीरो० ९/१२) • दोष, निन्दा। ० वाक्यालङ्कारे-मधुर्धनी नाम वनीजनीनाम् काल: किलायं सुरभीतिनामा। (वीरो० ६/१३) ० यथार्थवाचक (सम्य० १३२) नाम सत्यमिव वाहतामिति मङ्गले न पठितुं समर्हति। (जयो० २/१५) (जयो०
११/७२) नामन् (नपुं०) [म्नायते अभ्यस्यते नम्यते अभिधीयते अर्थोऽनेन
वा म्ना+मनिन्] नाम, अभिधान, नाम रखना, बुलाना। 'नमयत्यात्मानं गम्यतेऽनेनेति नाम। ० केवल नाम। ० चिह्न, पहचान। (सम्य० १२२) 'धात्री वाहननामा राजाऽभूदिह'। (सुद०पृ० ३३) ० नाम्नि। (सम्य० १३५) .. गतिजातिनाम। ० संसार को प्राप्त कराना, अभिमुख करना। ० कर्मपुद्गल द्रव्य। ० जीव को नमाना। ० नाना रूप को प्राप्त करना। • भवान्तर की प्राप्ति होना। ० शुभाशुभ भाव होना। ० छठा कर्म का भेद छट्ट्ठ कम्मं तु भण्णेद णाम।
For Private and Personal Use Only