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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनादिकरणं अनाविद्ध अनादिकरणं (वि०) एक साथ अवस्थान। अनादिकालः (पुं०) अनादिकाल, प्रारम्भिक काल से पूर्व। (सम्य० ४७) अनादित (वि०) अनादिकाल युक्त (सम्य० ६/५) अनादिता (वि०) अनादिकाल युक्त। (सम्य ४७) अनादिनयं (नपुं०) सादि अनादि पर्यायार्थिक नय। अनादिनिधनं (नपुं०) अकृत्रिम नय। अनादि-परिणामः (पुं०) गति स्थिति आदि का उपकार। अनादि-रूपः (पुं०) जो पूर्व काल में नहीं उत्पन्न। आदौ पूर्वस्मिन् काले न जातं यत्तदतादिरूपं यस्या सा अनादि रूपा। (जयो० १७/१०७) अनादि-सन्तानम् (नपुं०) अनादि परम्परा (वीरो० १९/४) अनादिसिद्ध (वि०) अनादि से सिद्ध। (सुद० १/१२) अनादिस्थानं (नपुं०) प्रारम्भविहीनस्थान। (जयो० २८/४५) अनादीनव (वि.) निर्दोष, स्वस्थ, स्वच्छ। अनादृत (वि०) आदर बिना। आदरः सम्भ्रमस्तत्करणमादृता सा यत्र न भवति तदनादृतमुच्यते। अनादृत (वि०) दोष विशेष। अनादेय (वि०) आदेयता विहीन, श्रद्धा विहीन, युक्ति युक्त वचन हीन। अनादेशः (पुं०) अनुवृत्ति स्वरूप सामान्य। अनाद्य (वि०) निरन्तर, विच्छेद हीन। न आदि अन्तो। (सम्य० अनामय (वि०) [नास्ति आमयः रोगो यस्य] रोग रहित। अनामा (स्त्री०) [नास्ति नाम यस्याःJ अनामिका अंगुली। अनामिका (स्त्री०) [नास्ति नाम अन्यांगुलिवत् यस्या, स्वार्थे कन्] कानी और बीच की अंगुली के मध्य की अंगुली। (जयो०७/३२) अङ्गष्ठेन सहिता अनामिका। (जयो० वृ० ६/३२) अनामिषः (पुं०) मांस विहीन, शाकाहार। (सुद० ४/४३) अनामिषाशनी (वि०) शाकाहारी, अन्न भोजी। अनामिषाशनी भूयाद्वस्त्रपूतं विवेज्जलम्। (सुद० ४/४३) सदा अनामिष भोजी रहे/मांस नहीं खावे, किन्तु अनामिष भोजी और शाकाहारी रहें। अनायत्त (वि०) जो दूसरों के आधीन न हो। अनायतनं (नपुं०) सम्यग्दर्शन का आधारभूत गुण। अनायास (वि०) ०स्वयमेव, स्वयं ही, अपने आप, आसान, सरल। सहजतयैव अनायासेन। (जयो० वृ० १/५) स्वयमेव अनायासेनैव। (जयो० वृ० १/९६) स्वत एव अनायासेनैव सूत्रप्रयोगादिना बिनैव। (जयो० १/३१) अनारत (वि०) निरन्तर, अनवरत, अबाध, नित्य। (जयो० २८/, वीरो० ४/२५( जयो० २३/५९ अनारताक्रान्तधनान्धकारे। (वीरो० ४/२५) अनारम्भः (पुं०) आरम्भ न होना, हिंसा का अभाव। सदारम्भादनारम्भादघादप्यतिवर्तिनी। (सुद० ४/३२) अनार्जव (वि०) कुटिलता, छल। अनार्य (वि०) ०अधम, नीच, ०अप्रतिष्ठित ०म्लेच्छ, शूद्र। (जयो० ४/४८) जिनका आचरण निंद्य है। अनार्ष (वि०) [अन+आर्षः ऋषि] ऋषि रहित, ऋषियों के कथन से रहित। अनालंब (वि०) असहाय, आश्रय विहीन। निराश्रित, अनाथ अनालंबु (स्त्री०) रजस्वला स्त्री। अनालब्ध (वि०) अप्राप्त, कायोत्सर्ग का एक अतिचार। अनालोच्य (वि०) असत्य वचन। अनालोकित (वि०) दिखाई नहीं देने वाला। (जयो० वृ० ६/३४) अनावर्तिन् (वि०) परावर्तन रहित, पुनः नहीं लौटने वाला। अनावश्यकं (नपुं०) करने योग्य नहीं, अकरणीय। (जयो० २/४०) आवश्यकता रहित (वीरो० २२/२२) शिष्टमाचरणमा-श्रयेदनावश्यकम्। (जयो० २/४०) अनाविद्ध (वि०) छिद्र रहित, बन्धन हीन। ८) अनाद्य (वि०) [अन+अ+ल्युट्] अभक्ष्य, खाने के अयोग्य। अनाद्यनिधनं (नपुं०) अनादि निधन। (सम्य०८) अनानुगामिक (वि०) अवधिज्ञान का एक भेद। अनानुपूर्वी (वि०) विकल्प प्ररूपणा। अनानुपूयं (नपुं०) नियत क्रम का अभाव। अनापदी (वि०) आपत्ति विवर्जित, दुःख रहित। सुरासुराध्यपदान नापदी। (जयो० २४/३) अनापदी किलापत्तिविवर्जितः। (जयो० वृ० २४/१३) अनाभिग्राहिक (वि०) सभी दर्शन/मत-मतान्तर की पुष्टि करने वाला। अनाभोगः (पुं०) ०उपयोग के अभाव का नाम, आगम का पर्यालोचन न करना, क्रिया, निक्षेप, निर्वर्तित कोप, ०बकुश आदि पर्यालोचन न करना। अनाभोगिक (वि०) विचार शून्य, विशेष ज्ञान से रहित। अनामक (वि०) अप्रसिद्ध, बिना नाम का। For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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