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डमरः
ञः चवर्ग का अंतिमवर्ण, इसका उच्चारण स्थान तालू और
नासिका है।
टण: (पुं०) टंकार, घंटे की ध्वनि। टनः देखो ऊपर। टहरी (स्त्री०) [टहेति शब्दं राति रा+क+ङीष] एक वाद्ययन्त्र, परिहास। टाङ्कारः (पुं०) [टङ्कार+अण्] झनझनाहट, ध्वनि। टिक् (अक०) टिकना, चलना-फिरना। टिटिभः (पुं०) पक्षी, टिटिहिरी पक्षी। टिप्पणी (स्त्री०) वृत्ति, टीका, व्याख्या, भाष्य, वार्तिक। टिप्पिणिका (स्त्री०) वृत्ति, व्याख्या। भाष्य। (जयो० वृ०
१८/६१) टीक (अक०) टहलना, चलना-फिरना। टीका (स्त्री०) [टीक्यते गम्यते, ग्रन्थाथों] व्याख्या, वृत्ति।
दु-टवर्ग। (जयो० वृ० १/३९) (जयो० वृ० ३/३६) टुण्टुक (वि०) [टुण्टु इति अव्यक्त शब्दं कायति] १. छोटा,
___ अल्प, २. दुष्ट, क्रूर। टुता (स्त्री०) टवर्ग की पालनकर्ती। टवर्गस्य प्रतिपालनकर्ती
(जयो० २१/७८) टेकः (पुं०) कलाधर, गीत की पुनरावृत्तिा टध्वनौ का आत्मवान्।
(जयो० ५/३२) टोलगतिवन्दनं (नपुं०) उछल कूदकर वंदना।
।
ट: (पुं०) यह टवर्ग का प्रथम वर्ण है, इसका उच्चारण स्थान __मूर्द्धा है। इसके उच्चारण में तालु से जिह्वा लगानी पड़ती है। टका (स्त्री०) पैसा टकटकायते -देखते रहना (दयो० ८२)। टङ्क (सक०) कसना, बांधना, ढकना, छिद्र करना। टङ्कः (पु०) [ टङ्क घञ्] १. चार मासे एक तोला, २. धातु का
नियत मान। शिल्प (जयो० १७/५२) ३. सिक्का, असि, ४. टॉकी, ५. कुल्हाड़ी, कुठार। (जयो० . २४/१३६) ६. तलवार, असि, ७. टॉकी से काटा हुआ पत्थर। ८. क्रोध, अहंकार, गिरिगर्त। ९. सुहागा, खजाना, १०. म्यान, ११.
पैर लात। टडूकः (पुं०) चांदी का सिक्का, रजत मुद्रा टंकण। टङ्काकृत चिह्न (नपुं०) चन्द्रचिह्न। (जयो० वृ० १५/५२) टङ्कलशाला (स्त्री०) टकसाल, टंकणयन्त्र। टङ्कणं (नपु०) [टङ्क ल्युट्] १. सुहागा, २. टांका, धातु का ___ जोड़। टङ्कणः (पुं०) अश्व विशेष। टङ्कणक्षारः (पुं०) सुहागा। टङ्कणयन्त्रं (नपुं०) छापाखाना, छापने का यन्त्र। टड्कानकः (पुं०) ब्रह्मदारु, शहसूत। टङ्कारः (पुं०) धनुष की डोरी की ध्वनि, चीत्कार, चीख। टक्कारपूरित (वि०) गर्जन संभृत। (जयो० ३/११) टङ्कारिन् (वि०) [टङ्कार+इनि] ध्वनि करने वाला, फूत्कार की
ध्वनि वाला शब्द, झंकार करने वाला। टकिका (स्त्री०) [टङ्क कन्+टाप्] कुल्हाड़ी, कुठार, टांकी। ___ (जयो० ६/६०) टङ्कोट्टङ्कः (पुं०) १. टांकी, प्रहार, २. ग्रावदारणास्त्र। टंगः (पुं०) कुठार, कुल्हाड़ी, कुदाल। टङ्गण: (पुं०) सुहागा। टङ्गा (स्त्री०) टांग, लात, पैर। टङ्गिनी (स्त्री०) सुहागा।
ठः (पुं०) टवर्ग का दूसरा वर्ण, इसका उच्चारण स्थान मूर्द्धा है। ठः (पुं०) एक ध्वनि, ठन ठन की ध्वनि। ठः ठः (पुं०) ठकार, मन्त्र शास्त्र में प्रयुक्त वीजाक्षर। (जयो०
१६/८२) 'ठकारौ वर्णी विलक्षतस्तराम् अतिशयेन शुशुभते'
(जयो० वृ० १६/८२) ठकः (पुं०) दिवालिया। (दयो० ११८) ठकत्व (वि०) ठक, ठक की ध्वनि वाला। (सुद० १/३४) ठक्कुरः (पुं०) सम्मान सूचक शब्द, पूज्य शब्द। ठगः (पुं०) दिवालिया, ठग। (दयो० ११८) ठालिनी (स्त्री०) करधनी।
द
डः (पुं०) टवर्ग का तृतीय वर्ण, इसका उच्चरण स्थान मूर्धा
है। (जयो० १४/८४) डमः (पुं०) [ड+मा+क] डोम। डमरः (पुं०) झगड़ा, दंगा, भगदड़, ताडन, मार।
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