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झोषः
झः (पुं०) [झट+ड] झंझावात, झन झन, खन खन। झग-झगायति-चमकना, दमकना, चमचमाना। झगति (अव्य०) झटिति, शीघ्र, तुरन्त। (जयो० ६/७२, समु०७/१५) झगिति देखो ऊपर। झङ्कारः (पुं०) झन-झनाहट, भिन भिनाना। झङ्कतं (नपुं०) झन-झनाहट, खन खनाहट। कलकृतामितिझंकृत
नपुरं क्वणित-किङ्किणी-कङ्कृत-कङ्गणम्। (वीरो०६/२९) झङ्कारिणी [झङ्कार+इनि+ङीप्] भागीरथ, गंगानदी। भकृतिः (स्त्री०) [झम्+कृ+क्तिन्] खन-खनाहट,
झन-झनाहट। झञ्झनं (नपु०) [झञ्झ्+ल्युट्] झनझनाना, खनखनाना,
आभूषणों का शब्द विशेष। झज्झा (स्त्री०) [झमिति अव्यक्तशब्दं कृत्वा झटिति वेगेन
वहति-झम्+झट्+ड+टाप्] तूफान, आंधी, हवा और पानी। झञ्झानिलः (पुं०) तूफान, आंधी, अन्धड़, तेज हवा, गतिवान्
चक्रावात।
झञ्झानिलोऽपि किं तावत्कम्पेयेन्मेका (वीरो० १०/३६) झञ्झावात: (पुं०) तूफान, आंधी, अन्धड़, तीव्रगामी हवावेग।
(वीरो० १०/१३) (जयो० वृ० १५/२१) झञ्झावायु (स्त्री०) तीव्रवेग युक्त हवा, तूफान, आंधी, अन्धड़। झटिति (अव्य०) शीघ्र, तुरन्त, जल्दी से। झणझणं (नपुं०) [झणत+डाच्] झनझनाहट। झणझायित (वि०) झन-झन करता हुआ, खन-खनाहट युक्त। झणिका (स्त्री०) शोषिका। (जयो० २/१३३) झणत्कारः (पुं०) झनझलाहट। झप्पनं (नपुं०) झोंखा। (जयो० वृ० २४/११) हवा का प्रहार। झम्पः (पुं०) छलांग, उछल कूद। झम्या (स्त्री०) [झम्+पत्+टाप्] छलांग, कूद, गिरना, उछलना। झम्पाकः (पुं०) बन्दर, लंगूर। झरः (पुं०) झरना, प्रपात, निर्झर, जलप्रपात, प्रवाह। (जयो०
१४/९३) झरदुत्तरल (वि०) झरती हुई चंचल, झज्ञमनुकुर्वती उत्तरले
(जयो० २६/६९) झरा (स्त्री०) निर्झर, झरना। झर्झरः (पुं०) [झर्झ+अरन्] झांझ, मञ्जीरा, (जयो० १२/७९,
१०/१९) झर्झरिन् (पुं०) शिव। झलझला (स्त्री०) [झलझल इत्यव्यक्तः शब्दः] झड़ी,
फड़फड़ाहट।
झलझलावशी (स्त्री०) झंझावात के आधीन। झलंझलावशीभूता
समेति व्येति या ध्वजा। (वीरो० १०/१३) झला (स्त्री०) लड़की, धूया, पुत्री, कन्या। झल्लः (पुं०) मल्ययोद्धा। झल्लकं (नपुं०) [झल्ल-कन्] झांझ मीरा। झल्लरी (स्त्री०) [झर्ड्स+अरन् ङीष्] झांझ, मंजीरा, एक वाद्य
विशेष चर्म से मढा हुआ गोल आकार वाला वाद्य।
झल्लरी चर्मावनद्ध-विस्तीर्ण-वलयाकारा आतोद्यविशेषरूपा। झल्लरीसंस्थानं (नपुं०) झालर के आकार वाला लोक,
मध्यलोक। झल्लिका (स्त्री०) १. उबटन, २. प्रभा, कान्ति, चमक। झषः [झष्+अच्] मछली, मत्स्य। (दयो० २/२) (जयो०
२१/६१) मगरमच्छ, मीन (वीरो० ७/११) २. गर्मी, ताप,
सन्ताप। झषकेतनः (पुं०) कामदेव, मदन। झषकेतुः (पुं०) कामदेव। झषता (वि०) मछलीपन। झषस्य च शफरता, रलयोरभेदात्
सफलता झषता वा मुत:? (जयो० वृ० ९/१४) झषयुग्मः (पुं०) मीन युगल, स्वप्न में दृश्य मछली का जोड़ा।
'विनोदपूर्णो झषयुग्मसम्मितिः' (वीरो० ४/५९) झषावर्तः (पुं०) मत्स्योवृत्त, आचार्य वन्दनादि के लिए घूमकर
जाना। झषाशनः (पुं०) सूंस झाङ्कृतं (नपुं०) [झङ्कृत्+अण] १. पायजेब, झांझन। २.
छपधप शब्द। झाटः (पुं०) [झट्+घञ्] १. पर्णशाला, लतामण्डप। २.
कान्तार। झिटिः (स्त्री०) [झिम्+रट्+अच्+ङीष्] झाड़ी विशेष। झिरिका (स्त्री०) झींगुर। झिल्लिः (स्त्री०) १. झींगुर, २. वाद्य यन्त्र। झिल्लिका (स्त्री०) [झिल्लि+कन्+टाप्] १. झींगुर, २. दीप्ति,
प्रभा, चमक। झिल्ली (स्त्री०) झींगुर, दीपवर्तिका। झीसका (स्त्री०) झींगुर। झुण्डः (पुं०) वृक्ष, झाड़ी। (सुद० १०१) झुषिरः (पुं०) तृण शय्या। झोषः (पुं०) एक गणित, जिस राशि के मिलाने पर भागहार
सम होता है।
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