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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra चोय www.kobatirth.org चोज्य (वि०) आश्चर्य, विस्मय। चोटी (स्त्री० ) [ चुट्+अण्+ ङीप्] छोटा लंहगा । चोडा ( स्त्री० ) [ चोड़ति संवृणेति शरीरम् चड्+अच् + ङीष् ] चोली, ऑगया। चोदना (स्त्री० ) [ चुद् + ल्युट् स्त्रियां टाप्] फेंकना, निर्देश देना, उत्साहित करना, प्रोत्साहन देना, स्फूर्ति देना, आगे करना, हांकना, बढ़ाना। २. उपदेश विधि | चोद्यं (नपुं० ) [ चुद् + ण्यत् ] आक्षेप, प्रश्न, आश्चर्य । निवेद्य चोद्यं चतुरा तु राज्ञिका मनोविनोदं नयति स्म भूभुजः । (जयो० २३/८३) चोर: (पुं० ) [ चुर+ णिच्+अच्] चोर। (सम्य० २८) चोरिका (स्त्री०) चोरी, लूट चोरिन् (वि०) चुराया गया। चोल (पुं०) १. चोल देश, बोलवंश २. चोली, अंगिया। चोलकः (पुं०) [ चोल+कै+क] वस्त्रस्त्राण, छाल, बल्कल । चोलकिन् (पुं०) [ चोलक + इनि] वस्त्रस्त्राण से सुरक्षित सैनिक, कवच, ढाल | चोली (स्त्री०) चोली, अंगिया । चोष: (पुं०) [ चुप्+घञ् ] चूसना । चोष्यं (ऋ०वि०) चूसना । चौबीसी (वि०) चौबीस की संख्या वाला, चौबीस तीर्थंकरों की संख्या ( भक्ति० १८ ) + चौर: (पुं०) [ चुर. णिच्-अच्, चुराण चोर, लुटेरा (जयो० १५/८१) एकत्राङ्कित चौरसाधु पतिभि ' चौरकथा (स्त्री०) चोर सम्बन्धी कथा, चोरों का वर्णन, चोरों की चर्चा । 'चौराणां चौरप्रयोग-कथनं चौरकथाविधानम्' (निय० ता०वृ० ६७ ) चौरचरट: (पुं०) चौर भय। (जयो० वृ० १ / ३९) चौरप्रयोग (पुं०) चोरों की चर्चा, चोरों की अनुमोदना । चौरसुति (स्त्री०) चोरों की संगति (जयो० कृ० २८/५७) चौर लुण्टाक (पुं०) चोर लुटेरा (जयो० १/३० ) चौर संयुतिः (स्त्री०) चोरों की संगति (जयो० वृ० २८/५७) चौरप्रिया (वि०) चोरों का विरोधी (समु० ६/७०) चौरार्थदानं (नपुं०) चोर द्वार लाए गए अर्थ संग्रहण चौराहतगृह (वि०) चोरी के अर्थ का ग्रहण करने वाला । चौर्य (नपुं० ) [ चोर + ष्यञ्] चोरी, छूट, चुराना, अदत्त (जयो० २/१२५) स्वयं ग्राह्य वस्तु बिना पूछे वस्तु लेना (सम्य० २७) 'अदत्तस्य स्वयं ग्राहो वस्तुनः चौर्यमीर्यते' ३९५ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir च्युताधिभार संक्लेशपरिणामेन प्रवृत्ति यत्र तत्र तत् ।। ( हरिवंश पु० ५८ / ११) शरीरादिकों में अहंकार/ ममकार लिए हुए पर वस्तुओं का हथियाना, जबरन अपनाना। (सम्य० वृ० २८) चौर्यप्रयोगः (पुं०) चोरी का प्रयोग, अनुमोदना । ( मुनि० २१ ) चौर्यरत (वि०) अदत्तादान रहित, चोरी से रहित। (जयो० वृ० २८/५७) चौर्यानन्दः (पुं०) रौद्रध्यान, खोटा ध्यान, चोरी करके हर्षित होना। परद्रव्यहरणे तत्परता प्रथमं रौद्रम् (मूला०वृ० ५/१९९) , चौर्यानन्दी (वि०) रौद्रध्यान का एक भेद हिंसानन्दी, मृषानन्दी, चौर्यानन्दी और परिग्रहानन्दी । ( मुनि० २२ ) चैव (अव्य०) तो भी ऐसा भी (सुद० ७२ ) चौहानवंशभृत् (वि०) चौहानवंश वाला, कीर्तिपाल नामक राजा। चौहान वंशभृत् कीर्ति पालनाममहीपते देवी महीलाख्याना बभूव जिनधर्मिणी (वीरो० १५/५१) च्यवनं (नपुं० ) [ च्यु लुट्] उद्वर्तन मरण, आना, अवतरण, गति, च्युतिः च्यवनं चूक कृत्ये ममाभूच्च्यवनं तदेतत् । ( भक्ति० ३८ ) च्यवतः (वि०) अवतरित च्युत होने वाले होता हुआ आया हुआ (सम्य १०८) च्यवन्त (वि०) १. च्युत होते हुए गिरते हुए श्रद्धानतश्चाचरणाच्च्यवन्तः संस्थापिता संतु पुनस्तदन्तः । ( सम्य० ९५ ) २. हानि, वञ्चना, मरण, उद्वर्तन करते हुए। च्यावित (वि०) भ्रष्ट कराए गए, च्युत कराए गए, कदलीघात, विषभक्षण, वेदना, रक्तक्षयादि से खण्डित आयु वाला शरीर। कदलीपातेन पतितं व्यावितम्। च्यु , (अक० ) गिरना, नीचे आना, बाहर आना एक पर्याय से दूसरी पर्याय को प्राप्त होना, शरीर त्यागना, नष्ट होना, छोड़ना, निकलना। च्युत् ( अक० ) गिरना, निकलना, नीचे आना, छूटना, नष्ट होना, गिरना । 'पक्वफलमिव स्वयमेवायुषः क्षयेण पतितं च्युतम् । च्युत (भू०क० कृ० ) [ च्यु+क्त] गिरा, आया हुआ, निकला हुआ च्युतं त्यागं विनायुष्क क्रमश्वगतात्मकम्। 'निरूपराग शुद्धात्मानुभूतिच्युतस्य मनोवचन काय व्यापार-कारणम् । (सम्य० १३५ ) च्युतगत (वि०) बाहर निकला हुआ, गिरकर आया हुआ। च्युताधिभार (वि०) पदच्युत किया गया। For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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