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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चन्द्राश्मन् ३८० चम्पू: चन्द्राश्मन् (पुं०) चन्द्रकान्तमणि। (जयो० १८/२३) चमसः (पुं०) चम्मच, यज्ञपात्र। चन्द्रिका (स्त्री०) १. चांदनी, ज्योत्स्ना। २. मदी (जयो० चमू (स्त्री०) [चम् ऊ] सेना। 'सच्चमूक्रम- समुच्चलद्रुजो-- ११/५३) ३. मल्लिका लता। (जयो० ३/३७) व्याजतो' (जयो० २१/१४) चन्द्रिकासारिणि (स्त्री०) चन्द्रिका सार, चांदनी का सार। चमूचरः (पुं०) योद्धा, सैनिक। कौमुदीसार। (जयो० १५/६५) चमूनाथः (पुं०) सेनापति, सेना प्रधान। चन्द्रिल: (पुं०) शिव। चमूपतिः (पुं०) सेनापति। अमू: समासाद्य चमूपतिः चप् (सक०) सान्त्वना देना, धैर्य बंधाना। किलाधरप्रदेशे रमते स्म नित्यशः। (जयो० २४/२) चमूपतिचपल (वि०) चंचल, अस्थिर, चलायमान (सुद० १/४२) दिग्विजयकाले भरतचक्रिणः सेनापर्तिजयकुमारः' स्फूर्तिवान्, विचारशून्य। चमूसमूहः (पुं०) सेना यूथ। (जयो०८/१) चपल (पुं०) १. मछली, २. चारक पक्षी। चमूहरः (पुं०) शिव। चपलता (वि०) चंचलता, अस्थिरता। तडिदिव चपलोपहितचेता। चम्म् (सक०) जाना, चलना, फिरना, घूमना। (सुद० १/४३) चम्पकः (पुं०) १. चम्पक पुष्प, चम्पा फूल, नागकेशर। २. चपलत्व (वि०) चाञ्चल्य, चपलता, चंचलता। (जयो० १/४८) स्वर्ण, ३. क्लीव, नपुंसक। चपला (स्त्री०) लक्ष्मी, श्री (जयो० वृ०६/९९) १. विद्युत, चम्पकदाम (पुं०) चम्पक की पुष्पमाला। (जयो० १४/२४) बिजली। (जयो० वृ० ६/९९) २. जिह्वा, जीभ, ३. मदिरा। चम्पकपुष्पं (नपुं०) चम्पाफूल, नागकेशर। चाम्पेयश्चम्पके चपेटः (पुं०) [चप्+इद्+अच्] थप्पड़, चांटा। नागकेशरे पुष्पकेशो स्वर्ण क्लीब इति विश्वलोचनः। (जयो० चेपटा (स्त्री०) [चपेट्+टाप्] चांटा, थप्पड़। वृ० १४/२४) चपेटिका (स्त्री०) [चपेट कन्+टाप्-इत्वम्] थप्पड़, चांटा। चम्पकमाला (स्त्री०) चम्पक दाम, चम्पा पुष्पों की माला। चम् (सक०) पीना, आचमन करना चाटना। चम्पकवृत्तं (नपुं०) चम्पा की बोड़ी। (जयो० १४/२२) चमत्करः (स्त्री०) चमत्कार, विस्मयजन्य, आश्चर्यशील। करस्फुरच्चम्पकवृन्तस्य संवादमिषादेकान्तस्य। चम्पकस्य चमत्करणं (नपुं०) १. विश्मय जनक, आश्चर्य युक्त। (जयो० वृत्तं यत्प्रसवबन्धनम्। (जयो० वृ० १४/२२) १२/१३३) २. आनन्दानुभूति। (भक्ति० १२) चम्पकरम्भा (स्त्री०) कदली विशेष। चमत्कारकः (पुं०) आश्चर्य, विश्मय। (जयो० वृ० १२/१३३) चम्पकालुः (पुं०) [चम्पकेन पनसावयवविशेषेण अलति, चमत्कारकर (वि०) आश्चर्य करने वाला, (जयो० वृ० १/३४) चम्पक+अल+उण्] कलहल तरु। चमत्कार-कारकः (पुं०) आश्चर्य युक्त, विचित्रता कारक, चम्पकावती (स्त्री०) चम्पा नगरी। विश्मय कारक। (जयो० वृ० १/४१) चम्पा (स्त्री०) [चम्प्+अच्+टाप्] नगरी (वीरो० १५/१३) १. चमत्कृत् (वि०) चमत्कार करना। (जयो० ३/१९) चम्पा पुष्प, २. चम्पा नामक नगरी। कमलानि च कुन्दस्य चमत्कृतिः (स्त्री०) आश्चर्य, विश्मय। च जाते: पुष्पाणि च चम्पायाः। (सुद० ७१) जम्बूद्वीप के चमरः (पुं०) चमर, जो भगवान् की मूर्ति के पास दाए-बाएं भरत क्षेत्र में (आर्यवर्त में) अंग नामक देश था, उस भाग स्थित किए जाते हैं। २. चमर हिरण विशेष भी है। अंगदेश में चम्पा नामक नगरी थी। इसका शासक चमरी (स्त्री०) चमरी नाम गाय। चमरी नाम गोस्तेन पुच्छस्य छात्रीवाहन था। जिसकी रानी अभयमती थी। (सुद० ३३) विलोकनेन परिचालनेन बालस्वभावं केशत्वमुत शिशुत्वं चम्पानगरं (नपुं०) चम्पा नामक नगर। (सुद० ३२) वदति (जयो० वृ० ५/८५) श्री मूर्धजैः सार्धमधीरदृष्ट्या- चम्पानगरी (स्त्री०) चम्पापुरी। (सुद०) स्तुतषिणः सा चमरी च सृष्ट्याम्। बालस्वभाव चमरस्य चम्पापुरं (नपुं०) चम्पा नगर। (सुद० ३०) तेन वदत्वहो पुञ्छ विलोलनेन।। (जयो० ५/८५) चम्पापुरी (स्त्री०) चम्पानगरी। (सुद० १/२४) भुवस्तु चमरीपुच्छ (नपुं०) चमरी गाय की पूंछ। तस्मिल्लपनोपमाने समुन्नतं वक्रमिवानुजाने। चम्पापुरी नाम चमरिकः (पुं०) [चमर+ठन्] कचनार वृक्ष, कोविदार तरु। जनाश्रयं तं श्रियो निधाने सुतरां लसन्तम्।। (सुद० १/२४) चमरैणः (पुं०) चमरमृग, चमर नामक हिरण। (समु० ४/१४) | चम्पू: (स्त्री०) [चम्प। ऊ] गद्य-पद्य मिश्रित काव्य। For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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