SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 386
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चक्रसाह्वयः ३७६ चञ्चप्रहारः चक्रसाह्वयः (पुं०) चकवा। चक्रहस्तः (पुं०) विष्णु। चक्राकार (वि०) गोलाकार, वृत्ताकार। चक्राकृति (वि०) गोलाकार, वृत्ताकार। चक्राधिपतिः (पुं०) षट्खण्डी, छह खण्ड का अधिपति। (जयो० वृ० १३/४६) चक्राभः (पुं०) चक्रव्यूह, चक्राकार सैन्य रचना। (जयो० ७/११३) चक्रायुधः (पुं०) नाम विशेष, राजा (समु० ६/२८) सुन्दरी रानी, अपराजित का पुत्र चक्रायुध। (समु०६/१४) २. शस्त्र विशेष, चक्रशस्त्र। चक्रावर्तः (पुं०) चक्राकार गति। चक्राह्वयः (पुं०) चकवा। (जयो० १६/३९) चक्रितुजः (पुं०) चक्रवर्ती का पुत्र। चक्रित्व (वि०) चक्रवर्ती पद युक्त। (जयो० ७/७) चक्रिपुत्रः (पुं०) चक्रितुज, (जयो० १२/७३) चक्रवर्ती तनय। (जयो० वृ०७/७) चक्रिसुतः (पुं०) चक्रवर्ती पुत्र। प्राह चक्रिसुत एव विशेषः। (जयो० ४/४४) चक्री (पुं०) चक्रवर्ती (हित०सं० १२) चक्रीश्वरः (पुं०) सर्वोच्चाधिकारी, षट्खण्डाधिपति। चक्रोपजीविन् (पुं०) तेली। चक्षु (सक०) देखना, अवलोकन करना, प्राप्त करना, ग्रहण करना, कहना, घोषणा करना। चक्षस् (पुं०) [चश्+असि] अध्यापक, शिक्षक, गुरु, दीक्षागुरु। चक्षुक्षेपः (पुं०) अवलोकन। (जयो० १६/२२) चक्षुरिन्द्रिय (नपुं०) नेत्र इन्द्रिय, जिससे पदार्थों को देखना होता है। चक्षुष्य (वि०) [चक्षये हित: स्यात् चक्षुस्+यत्] १. प्रियदर्शन, लुभावना, सुन्दर। २. हितकर, मनोहर। चक्षुस् (नपुं०) [चक्ष उसि] आंख, नेत्र, नयन, दृष्टि दर्शन, देखने की शक्ति। (जयो० ५/३३) (जयो० १/८९) चक्षुगोचरः (पुं०) दृष्टिगोचर। चक्षुदानं (नपुं०) प्राण प्रतिष्ठा। चक्षुपथ (पुं०) क्षितिज, दृष्टिगत। चक्षुर्दर्शनं (नपुं०) चक्षु से सामान्य ग्रहण होना, सामान्य स्वसंवेदन रूप शक्ति का अनुभव होना। चक्षुर्दर्शनावरणं (नपुं०) चक्षु इन्द्रिय द्वारा सामान्य उपयोग का आवरण। चक्षुर्निरोधः (पुं०) नेत्रेन्द्रिय के रूपादि पर विजय। चक्षुविषयः (पुं०) नेत्र का विषय। चक्षुःस्पर्शः (पुं०) नेत्र का स्पर्श होना, नेत्र द्वारा ग्रहण करना। चकुणः (पुं०) १. वृक्ष, तरु, २. यान। चङ्क्रमणं (नपुं०) [क्रम्। यङ्+ ल्युट्] घूमना, परिभ्रमण करना। इतस्तो गमनम्, इतस्तो परिचरणम् (मूल० ६४९) चङ्ग (वि०) १. वर, श्रेष्ठ, उत्तम, उचित। स्फुटरमाहेति स झर्झरोऽपि चङ्गः। (जयो० १२/७९) २. दक्ष, सामर्थ्यवान्, नवयौवनपूर्ण, ०शोभन। (जयो० १६/४) 'चक्षोदशो सामर्थ्यवान् नवयौवनपूर्णोऽपि' (जयो० वृ० १५/४) चङ्गस्तु शोभने दक्षे इति विश्वलोचनः। (भक्ति० ५) ३. अत्यन्त सुन्दर (जयो० वृ० १/१५) 'भवाद्भवान् भेदमवाप चङ्ग' ४. विचार-चङ्गो दक्षेऽथ शोभने इति वि। (जयो० वृ० २१/५७) चञ्च् (सक०) चलाय करना, हिलाना, घुमाना, इधर-उधर करना, चमत्कार करना। अञ्चति रजनिरूदञ्चति सन्तसमं तन्वि चञ्चति च मदनः। (जयो० १६/६४) चञ्चति - चमत्करोति- (जयो० वृ० १६/६४) चञ्चः (पुं०) [चञ्च+अच्] मान, मापदण्ड। चञ्चत्कान्तिः (स्त्री०) श्याम रूपा। (जयो० वृ० ६/१०७) चञ्चच्चिद् (वि०) मापदण्ड युक्त। (सम्य० ४१) चञ्चरिन् (पुं०) भ्रमर, अलि, भौंरा। चञ्चरीक (पुं०) भ्रमर, अलि, भौंरा। मुहर्मुहुश्चुम्वति चञ्चरीको (वीरो० ६/२१) चञ्चलं (वि०) [चञ्च्+अलच्-चञ्चं गतिं लाति ला+क वा] चलायमान, अस्थिर, चपल, स्वेच्छाचारी, गतिमान। चञ्चलचित्तं (नपुं०) चपलचित्त, चलायमान चित्त। (मुनि० २७) चञ्चलभावः (पुं०) चपल स्वभाव। चञ्चललोचना (स्त्री०) चपलनयना। (जयो० ३/४२) 'चञ्चले हावभावपरिपूर्णे लोचने यस्या। (जयो० वृ०३/४२) चञ्चलतायुक्त (वि०) चपलता सहित। (जयो० वृ० १/६०) चञ्चला (स्त्री०) बिजली, चपला। (जयो० ६/४७) चञ्चा (स्त्री०) गुड़िया। चञ्च (वि०) [चञ्च्+उन्] विख्यात, प्रसिद्ध, चतुर। चञ्चुः (पुं०) हिरण, मृग। चञ्च (स्त्री०) चोंच, (जयो० वृ० ११/४७) (वीरो०४/१९) चञ्चपुटं (नपुं०) चञ्च्वभ्यन्तर, बन्द चोंच। (जयो० १२ चञ्चप्रहारः (पुं०) चोंच मारना। For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy