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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घण्ट: ३७० घनहस्तः घण्टः (पुं०) [घण्ट्+अच्] एक व्यञ्जन, चटनी। घण्टा (स्त्री०) १. घंटी, कांस पात्र का गोलाकार वादनक। 'घण्टा ननु कल्पवासिनाम्' (वीरो०७/२) २. शिंशपावासी धीवर मृगसेन की भार्या। (दयो० १०) घण्टाताड (वि०) घण्टा बजाने वाला। (दयो० १८) घण्टाधीवरी (स्त्री०) घण्टा बजाने वाली धीवरी। (दयो०१२) घण्टानादः (पुं०) घण्टे की ध्वनि। घण्टापथः (पुं०) राजमार्ग, मुख्यपथ। घण्टामुदा (स्त्री०) अंगुलियों की विशेष क्रिया। घण्टाशब्दः (पुं०) घण्टा ध्वनि। घण्टिका (स्त्री०) [घण्टा ङीष् कन्] चूंघरू, किंकिणी। घण्टुः (स्त्री०) धुंघरू, हाथी की झालर पर झूमते हुए घुघरू। घण्डः (पुं०) [घण् इति शब्दं कुर्वन् डीयते-घण्+डी+ड] मधुमक्खी। घन (वि०) १. सघन, पूर्ण, गठा हुआ, (सुद०७८) २. बड़ा, महत्त्वपूर्ण, अभेद्य, प्रचण्ड, ३. शुभ, भाग्यशाली। बहुत (जयो० १२/१३३) निविड (जयो० २।८) *मेघात्मक (जयो० वृ०८४८) घन-शब्द विशेष- 'कांस्यतालदिजो घनः' वाद्य विशेष'संघनं घनमेतदास्वनत्' (जयो० वृ० १०/१६) वाद्य भेदाश्चत्वार इत्यमरकोशानुसारं तत्र घन-तुषार-ततआनद्ध-रूपाणि' घनमेतन्नामकं वाद्यम्।' (जयो० वृ० १०/१६) २. नागमोथा, नागरमोथा एक औषधि विशेष। यावद् घनं नेत्रवालं तावत् धान्याहिते रतः। (जयो० २८/३०) घन-मेघ, बादल। घनो मेघोऽथ विस्तारे इति विश्वलोचनः (जयो० २४/२) घनकफः (पुं०) ओले, हिमकण। घनम् (नपुं०) लोहमुद्गर। (जयो० ७/८०) घनकाल: (पुं०) वर्षाकाल। घनगर्जितं (नपुं०) मेघ ध्वनि। घनगोलकः (पुं०) स्वर्ण, रजत मिश्रण। घनघोरः (पुं०) मेघसमूह, अत्यधिक (सुद० ९७) मेघ घटा। (सुद० १२०) 'अकाल एतद् घनघोररूपमात्रम्' घनजम्बाल: (पुं०) प्रगाढ दलदल। घनता (वि०) अनल्पता, प्रगाढ़ता। (जयो० १३/२३) 'जनताया घनतां श्रितो भवान्' घनताल: (पुं०) चातक पक्षी, सारंग। घनतोल: (पुं०) चातक पक्षी। घननाभिः (स्त्री०) धुंआ। घननीहारः (पुं०) सघन कुहरा। घनपदवी (स्त्री०) अन्तरिक्ष, आकाशमार्ग। घनपाषण्डः (पुं०) मोर, मयूर। घनप्रसूनं (नपुं०) अत्यधिक पुष्प। लतानिकुञ्जेषु घनप्रसूनपदेन पुण्यायुधलब्धकेन। घनमूलं (नपुं०) गणित सम्बंधी घनराशि। (जयो० २४/१०७) घनमेचकः (पुं०) सघन मेघ। 'सद्वर्त्म लुप्तं घनमेचकेन' __ (वीरो० ४/८) घनरसः (पुं०) प्रगाढ़ रस। घनलोकः (पुं०) सप्त रज्जु प्रमाण लोक। सात राजु प्रमाण आकाश की प्रदेश पंक्ति को जगश्रेणी, जगश्रेणी के वर्ग को जगप्रतर और जगप्रतर को जगश्रेणी से गुणित करने पर घनलोक होता है। | घनवर्गः (पुं०) गणित में घन का वर्ग, प्रमाण विशेष। छटा घात। घनवर्त्मन् (नपुं०) आकाश, नभ। घनवल्लिका (स्त्री०) विद्युत, बिजली। घनवासः (पुं०) कद्दू, कुम्हड़ा। घनवाहनः (पुं०) १. शिव, २. इन्द्र। घनविघातः (पुं०) घनों का प्रहार। 'घनविघातमुपैति तनुनपात्' (जयो० २५/५५) घनश्यामः (वि०) काले मेघ। घनसमयः (पुं०) वर्षा ऋतु, वर्षाकाल। घनसारः (पुं०) १. कपूर (जयो० ११/२१) घनोऽद बहलो यो सारस्तस्य (सम्य० ६/७६) २. पारा, 'ममात्मने श्रीघनसार-वस्तु' घनानां मेघानां सारस्य, (जयो० ११/२१) घनसार-करणं (नपुं०) कर्पूर मिलन। (जयो० वृ० ११/२१) घरसारपात्री (स्त्री०) रम्भा, अप्सरा। (जयो० ५/८१) घरसारविन्दु (स्त्री०) कर्पूरांश। (जयो० १७/१०१) घनोऽप्रवि रलश्चासारश्च विन्दुः' (जयो० वृ० १७/१०१) घनसारसारः (पुं०) कपूरी तत्त्व, कर्पूर का सत्व। गर्भार्भकस्येव यशः प्रसारैराकल्पितं वा घनसारसारैः' (वीरो० ६/३) घनस्थली (स्त्री०) विस्तार युक्त। 'घनो विस्तारो यासां तास्ताः स्थल्यस्तासु' (जयो० व २४/२) घनोमेथेऽथे विस्तारे' इति विश्वलोचनः। (जयो० वृ० २४/२) घनस्वनः (पुं०) मेघ गर्जना घनहस्तः (पुं०) प्रमाण विशेष, हस्त माप। For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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