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गाण्डीविन
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गारुणिक
गाण्डीविन् (पुं०) [गाण्डीव+ इनि] अर्जुन। गातागतिक (वि०) जाने आने के कारण उत्पन्न। गातानुगतिक (वि०) अंधानुकरण से उत्पन्न। गातुः (पुं०) [गै+तुन] १. गीत, गाना, २. कोयल, ३. भ्रमर,
४. गन्धर्व गातृ (पुं०) गवैया, गन्धर्व। गात्रं (नपुं०) [गै+त्रन्] शरीर, देह, काया, तनु। 'तपः
प्रसिद्धयर्थमिहास्ति गात्रम्' (दयो० २/११) 'कलङ्कितामेति
तुषारसारगात्रोऽपिरात्रे«दयैकहारः।' (जयो० १५/५८) गात्रकर्मन् (नपुं०) शरीर क्रिया। गात्रकर्षणं (वि०) गात्र को कश करने वाला। गात्रप्रमार्जनी (स्त्री०) तौलियां। गात्रमार्जनी (स्त्री०) अंगोछा, तौलिया, प्रक्षलिनी। गात्रयष्टि: (स्त्री०) कृश शरीर। गावरूहं (नपुं०) बाल, केश, रोम। गावलता (स्त्री०) सुकुमार देह। गात्रसंकोचिन् (पुं०) सेही, झाऊ, मूषक। गात्रसंप्लवः (पुं०) लघु पक्षी, गोताखोर पक्षी। गात्री (वि०) सुकुमार शरीरी। (वीरो०३/१८) गाथ: (पुं०) [गै+थन्] गीत, भजन, स्तवन। गाथक (वि०) [गै+थकन्] संगीतज्ञ, संगीतवेत्ता। गाथा (स्त्री०) १. छन्द, श्लोक, आर्या छन्द, गेय प्रधान छन्द।
२. प्राकृत साहित्य का प्रसिद्ध छन्द जिसके प्रथम चरण में १२, द्वितीय चरण में १८, तृतीय में १२ और चतुर्थ चरण में १५ मात्राएं होती है। इसके लक्ष्मी, विद्या आदि २७ भेद होते हैं। आचार्य ज्ञान सागर ने गाथा का अर्थ प्रतीत, आभास होना भी कहा है। जिनालयाः पर्वततुल्यगाथा:
समग्रभूसम्भवदेणनाथा:। (सुद० १/३१) गाथिका (स्त्री०) [गाथा+कन्+टाप्] गीत, श्लोक, छन्द। गाध् (सक०) खड़ा होना, ठहरना, रहना, कूच करना. डुबकी
लगाना, खोजना। गाध (वि०) [गाध्+घञ्] उथला, कम गहरा। गान (नपु०) [गै+ल्युट्] सङ्गीत, गीत, भजन। 'गान-मान
विलसद्गलनाला' (जयो० ५/३९) गान्त्री (स्त्री०) [गन्त्री+अण+डीष] बैलगाड़ी। गान्दिनी (स्त्री०) [गोदा+णिनि] गंगा। गान्धर्व (वि०) [गन्धर्वस्येदम्] गन्धर्वो से सम्बन्ध रखने
वाला।
गान्धर्वः (पुं०) १. गायक, स्वर्ग का गायक, दिव्य गायक। २.
गान्धर्व विवाह पद्धति। गान्धर्वं (नपुं०) गन्धर्व कला। गान्धारः (पुं०) [गन्ध अण--गान्ध: ऋ+ अण] (जयो० ११/५७)
१. राग। सङ्गीत के सप्त स्वरों में से तीसरा स्वर। 'षड्जर्षभ-गान्धार-मध्यम-पम- धैवत निपादनामकेप सप्तस्वरेषु तृतीयस्वर-गान्धार:। (जयो० १० ११/४२) २.
गान्धार नामक देश। गान्धारिः (पुं०) शकुनि, दुमका मामा। गान्धारी (म्बी०) धृतराष्ट्र भी मार्ग। गान्धार के राजा सुबल
की पुत्री तथा धृतराष्ट्र गन्नी। गान्धारेयः (पुं०) [गा-धार्ग सपत्यम्-हक्] दुर्योधन। गान्धिक (वि०) पना बोचर काना गंभी, लिपिकार। गान्धिकार्पित जिगन्धदायक गायिकेन गन्धदायकेनार्पित'
(जया० ) गांधी (पं0 गांधी नाम विशेष। मोहनदास कर्मचंद गांधी,
महाभा गांधी गाति 'प्रसिद्धो राष्ट्र पुरुषस्तस्येदं गांधियं शोभनं गायियं सुगन्धियं-गांधी सम्बंधिकार्यमिता।' (जयो०
१८/८३) जिनका जन्म २ अक्तूबर १८६९- मृत्यु-१९४८॥ गामधिय (वि०) प्रशंसनीय। (सुद० ९४) गामिणी (वि०) आदर्श मार्ग अनुकरण करने वाली, परिगाहिनी।
(जयो० वृ० २/११९) गामिन् (वि०) [गम्+णिनि] भ्रमणशील। गाम्भीर्य (वि०) गहराई, अगाधता। गाम्भीर्य कौशल कलादसकौ
विचारः। गाम्भीर्यमन्तस्थशिशौ विलोक्यं (वीरो० ६/६)
(जयो० २०/२७) गाय: (पुं०) [गै+घञ्] गाना, भजन, गीत। गायकः (पुं०) [गै+ण्वुल] संगीतकार, संगीतज्ञ, गायक। गायक
एव जानाति रागोऽत्रायं भवेदिति। (वीरा० १६/१२) गायत्रः (पुं०) [गायत्री+अण] गीत, सूक्त। गायत्री (स्त्री०) [गायन्ते त्रायते-गायत्+त्रा+काङीष] गायत्री
सूक्त, गायत्री छन्द। गायनः (पुं०) [गै ल्युट्] संगीतज्ञ, गायक। 'विनोदवशाद् गायन्तीनां
गीतश्रुतेरति शयमाधुर्य।' (वीरो० वृ० २/१३) गारुड (वि०) [गरुडस्येदम् अण] गरुड सदृश। गारवः (पुं०) एक ऋद्धि, जिससे सुख्खसामग्री की प्राप्ति हो। गारुडः (पुं०) १. पन्ना, एक बहुमूल्य रत्न। २. मंत्र, ३. स्वर्ण। गारुणिक (वि०) [गारुड+ठक्] ऐन्द्रजालिक, विष नाशक
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