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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गज् ३४२ गडेरः गज् (अक०) गर्जना, चिंघाड़ना, चिल्लाना, दहाड़ना, व्याकुल गजवमः (पुं०) हस्ति सुंड, हाथी की सूंड। (जयो० ६/५३) होना। 'गजानां वमथुभिः' (जयो० वृ० ६/५३) गजः (पुं०) [गज्+अच्] हस्ति, हाथी, करि, इभ। 'जय गजव्रजः (पुं०) हस्ति दल। ___ कुमारो भवान् स इभा गजाश्च वाजिनो।' (जयो० १३/२३) गजस्थ (वि०) हस्त्यारुढ़। गजकुम्भः (पुं०) गण्डस्थल, हस्तिगण्डस्थल। 'गजास्तेषां गजस्नानं (नपुं०) हस्ति स्नान। कुम्भेभ्यो गण्डस्थलेभ्यो मुक्ता' (जयो० वृ० ६/६९) गजाग्रणी (पुं०) उत्तम हस्ति। गजकर्णः (पुं०) शिव। गजाधिपः (पुं०) गजराज, श्रेष्ठ हाथी। गजकर्माशिन् (पुं०) गरुड़। गजाधिपतिः देखें ऊपर। गजगतिः (स्त्री०) हस्ति चाल. मंद गति। गजाध्यक्षः (पुं०) हस्ति अधीक्षक। गजगामिनी (वि०) हस्ति चाल बाली। गजाननं (पुं०) गणपति। गजदन (वि०) हस्ति सदृश उच्च। गजापसदः (पुं०) उन्मत्त हाथी, दुष्ट हस्ति। गजदन्तः (पुं०) हाथी दांत, १. गणपति। गजाशनः (पुं०) अश्वत्थ वृक्ष। गजपत्तनं (नपुं०) राजा जयकुमार का शासित नगर, हस्तिनापुर। गजारिः (पुं०) सिंह। 'गज पत्तनस्य शशंस' (जयो० १३/१) (जयो० २/१५८) | गजायुर्वेदः (पुं०) हस्ति चिकित्सा। गजपत्तननायकः (पुं०) हस्तिनापुर नरेश, गजपत्तननायकः श्री गजारोहः (पुं०) महावत। जयकुमारः। (जयो० १३/१३) । गजाह्व (नपुं०) हस्तिनापुर। गजपादः (पुं०) हस्तिपाद। 'मुदाऽऽदायमेकोऽम्बुज कलिकां गञ्ज (सक०) ध्वनि करना, विशेष आवाज करना। पूजनार्थमायातः।' गजपोदनाध्वनि मृत्वाऽसौ स्वर्गसम्पदा गञ्जः (पुं०) [गंज्+घञ्] १. खान, आकर, खदान, २. यातः।। (सुद० ११४) खजाना, ३. मण्डी, ४. गोशाला, पर्णशाला, ५. अनादर, गजपुङ्गवः (पुं०) श्रेष्ठ हस्ति। तिरस्कार। अनाज मंडी। गजपुरं (नपुं०) हस्तिनापुर। 'पत्तनं गजपुरं प्रति विनिर्गतेः' गञ्जन (वि०) [गञ्ज ल्युट्] क्षुद्र समझना, लज्जित करना। (जयो० २१/१) गञ्जिका (स्त्री०) [गञ्जा+कन्+टाप्] मधुशाला, मदिरालय। गजबन्धनी (स्त्री०) १. ०वारी, ०बाड, २. गज अस्तबल गठ-जोड़ः (वि०) गठबन्धन, अनुबन्ध। श्रृंखला। ३. गज श्रृंखला 'परास्ता ध्वस्ता वारी गजबन्धनी।' गठबन्धनं (नपुं०) गठजोड, अनुबन्ध। विवाह के समय वर-वधू (जयो० १३/११०) के एक सूत्र में बांधने के लिए आपस में वस्त्र का गजमारी (स्त्री०) हस्तिमृत्यु। 'गजानां मारी नामापमृत्युस्तस्य गठबन्धन करना। अञ्चलवान्त भागस्य वस्त्रप्रान्तस्य बन्धो नाशनं' (जयो० वृ० १९/७७) णमो विडोसहिपत्ताणं च ग्रन्थिबन्धनाख्यो यः स' (जयो० वृ० १२/६३) उभयो: गजमारीनाशनं समञ्चत्। (जयो० १९/७७) शुभयोगकृत्प्रबन्धः समभूदञ्चलवान्तभागबन्धः। न परं दृढ़ गजमुक्ता (स्त्री०) हस्तिमुक्ता, जो गज के मद से बनती है। एव चानुबन्धो मनसोरप्यनसोः श्रियां स बन्धो।। (जयो० गजमुखः (पुं०) गणेश। १२/६३) गजमौक्तिकं (नपुं०) गजमुक्ता। गड् (सक०) खींचना, निकालना। गजमोटनः (पुं०) सिंह। गडः (पुं०) १. खाई, परिखा, २. पर्दा, आवरण, रुकावट। गजयो० गिन् (वि०) हस्ति पर आरुढ़ होकर युद्ध करने | गडिः (स्त्री०) वत्स, बछड़ा। वाला। गडु (वि०) [गड्+उन्] १. बेडौल, कुबड़ा। २. केंचुआ, ३. गजराज (पुं०) द्विपेन्द्र, हस्तिराज। (वीरो० ४/५७, जयो० जलपात्र। १३/९६) गडुकः (पुं०) [गडु+कै+क] जलपात्र, अंगूठी। गजराजिः (स्त्री०) हस्ति पंक्ति, हस्ति समूह। 'गजराजिरितः गडुर (वि०) कुबड़ा, बेडौला समाव्रजत्यथवा।' (जयो० १३/१४) गडेरः (पुं०) [गड्। एरक] मेघ, बादल। For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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