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क्षण
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क्षणस्थितिः
क्षण (सक०) चाट पहुचाना, क्षति पहुंचाना, आघात करना। क्षणदाप्रणीतिः (स्त्री०) रात्रि की प्रवृत्ति। क्षणदाया रात्रेः प्रणीति: क्षण: (पुं०) [क्षण। अच्] १. उत्सव, आनन्द, हर्ष। 'क्षणाः प्रवृत्तिर्यद्वा। (जयो० १५/३९)
उत्सवाः' (जयो० वृ० ४५) प्रसन्नता-शरदं भुवि वर्षणात् क्षणदाप्रवृत्तिः (स्त्री०) १. रात्रि की प्रणीति, २. क्षणिकवादिता पुनः क्षणवल्लक्षणमेत्य वस्तुनः। (सुद० वृ०५४) २. की प्रवृत्ति! (जयो० वृ० १८/६०) ३. मुनियों की जन्म, उत्पत्ति 'क्षणा जन्मानि (जयो० वृ० ४५) ३. वृत्ति स्याद्वादवाणी युक्त। उदितपिच्छानां मयूरपिच्छधारिणां लक्षण, शरीर के विभ्रम विलास आदि लक्षण। 'क्षणो
दिगम्बराणां समूहस्तस्य वृत्तिः प्रवृत्तिः स्याद्वाद जिलास- विभ्रमादिलक्षण' (जयो० वृ० ३/३) ४. अवसर, भाक्-स्यादवादमनेकान्तवादं भजतीति' (जयो वृ० १८/६०) काल, समय, अवकाश, (जयो० ४/६८) (सम्य० १३५)
क्षणदेसः (पुं०) एक मात्र प्रदेश। (सुद० ३/२) क्षीणदेश, अंश, भाग, केन्द्र, 'क्षण मात्र क्षणेन लाभ महता महीन्तु'
कमर का पतला हिस्सा। 'उदर-क्षणदेशसम्भुवा समये। (वीरो० १८८) 'सति पश्यामि पश्यामि दु:खतो यान्ति मे
(सुद० ३२) क्षणाः। (सुद० ९० ) वभृवायं महाराजो महावीरप्रभोः क्षणे'
क्षणद्युतिः (स्त्री०) प्रभा, विद्युत् प्रभा, चमक। (सुद० १४४५) 'विधृताङ्गलि उत्थितः क्षणं' समु पस्थाय
क्षणनं (नपुं०) [क्षण+ ल्युट्] घात, अघात, नाश, हानि। पतन सुलक्षण:।' (सुद० ३/२४) 'क्षणादुदीरयन्नेवं
क्षणनिश्वासः (पुं०) शिंशुक। कर-व्यापारमादरात्' (सुद० ७८)
क्षणभङ्गर (वि०) चंचल, नश्वर, क्षणस्थाई। नाशक- णमो सप्पिसवीणं चैकाहिकादिकरुगक्षणम्' (जयोल
क्षणभर (वि०) क्षणमात्र (जयो० २५/४३) १९/२०)
क्षणभूः (स्त्री०) क्षणमात्र। क्षणं (नपुं०) समय, अवसर, किञ्चित्काल। क्षणं किञ्चित्कालं'
क्षणभूरा (स्त्री०) क्षणमात्र। (सुद० ९९) क्षणभृरास्तां न (जयो० १०/६५) 'समु द्यतो वारयितुं क्षणेन' (सुद०
स्वप्नेऽप्युत यत्र न यानि वतत्वाम्' (सुद० ९९। १२०) 'समाह सद्यः कपिलक्षणेन सद्यः कपिलः क्षणेन,
क्षणमात्रं (अव्य०) क्षणभर के लिए। (सुद. ३.३९)
क्षणरामिन् (पुं०) कबूतर, कपोत। क्षणः (पु०) स्तोक नाम, प्रमाण विशेष। 'परिणामोत्पदन्तर--
क्षणमेव (अव्य०) क्षणमात्र ही। (दयो० ॥२॥ व्यतिक्रमकालः क्षण:' (सिद्धि वि०टी० वृ०३४९) एक
क्षणरुचिः ( स्त्री०) क्षणभर की रुचि/प्रीति। विद्युत्सदृश चि। परमाणु का दूसरे परमाणु के अतिक्रमण का जो काल है। थोवो खणो णाम (धव० १३.२९१)
'क्षणेऽसोऽनन्तरक्षणे तत इति क्षणरुचिः शम्पेव भाति' क्षणकरः (पुं०) चन्द्र, शशि।
(जयो० वृ० २५/३) 'क्षणरुचिः कमला प्रतिदिङ्मुख' क्षणचरः (पुं०) निशाचर, राक्षस।
क्षणलसत् (वि०) भाणभात्र के लिए प्रकाशित। (जयो० २५/३) क्षण-क्षीणं (नपुं०) क्षणमात्र की कमी। नो चेत्क्षणक्षीण
क्षण-लाक्षणिक (वि०) थोड़ी देर भर भी। (दयो०६६) विचारवन्ति दिनानि दीर्घाणि कुतो भवन्ति।
क्षणविध्वंसिन् (वि०) क्षणभर में नष्ट होने वाला। क्षणत (वि०) क्षणभर भी (जयो० वृ० २५/४) (वीरो० १२/२०)
क्षणविभङ्गदेशिनी (स्त्री०) जिनवाणी पवित्र लक्षण वाले सप्त क्षणद (वि०) आनन्द प्रद. आनन्द प्रदान करने वाले। क्षणदं
भंगों के युक्त। 'क्षणस्य उत्सवस्स विभङ्गदेशिनी निषेधकी। क्षणमाध्यानात् कर्णालङ्करणं कुरु' (जयो० ३/३८) क्षणदं
जिन वाणी सज्ज पवित्र लक्षण स्वरूप गपा आनन्दप्रदं-(जयो० वृ० ३/३८) ३. क्षणभर, मुहूर्तभर.
तेच ते विभङ्ग वितर्काः 'स्यादस्ति स्यान्नस्तीत्यादिरूपास्तद्देशिनी किञ्चित्मात्र।
तेषां प्ररूपिका। (जयो० वृ० ३/१०) क्षणदः (पुं०) ज्योतिषी, निमित्तशास्त्री।
क्षणसम्बिधानं (नपुं०) क्षण सदृश। 'आयुः समुद्र- द्वितयोक्षणदा (स्त्री०) रात्रि, रात, निशा। (जयो० ९८/३९)
पमानक्षणं' स्म जाने क्षण सम्बिधानम्' (वीरो० ११/२४) 'क्षणमुत्सवं ददातीति क्षणदा' क्षणमुत्सवं द्यति खण्डयतीति | क्षणसाक्षिक (वि०) क्षण में नष्ट होने वाला। यदिह पौद्गलिकं क्षणदा' क्षणं परिवर्तनं ददातीति क्षणदा' (जयो० १० क्षणसाक्षिकं तदनुकर्तुममुष्य किलाक्षिकम्' (समु० ७/१९) १५/३१)
क्षणस्थितिः (स्त्री०) अनेक क्षण स्थायित्व। 'नित्यैकताया:
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