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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कौमुद ३२१ कौसुम्भक कौमुद (वि०) पृथिवी को आनन्दित करने वाला। 'कौ पृथिव्यां कौबेर (वि०) [कुबेर+अण्] कुबेर से सम्बन्ध रखने वाला। मुदः प्रसन्नताया:' (जयो० वृ० १/७४) 'को पृथिव्यां मुदं | कौश (वि०) [कुश+अण] रेशमी। कुश का बना हुआ। हर्षम्' (जयो० वृ० २८/३) 'स्फोटयितुं हि कमलं कौमुदं कौशरः (पुं०) कुशल भाव। (जयो० ५/९४) 'कौशरस्य नान्वमन्यत' (जयो० २८/३) कुशलभावस्य' (जयो०४/६५) कौमुदाप्तिमय (वि०) पृथिवी पर प्रसन्नता वाला। 'कौ भुवि कौशरः (पुं०) पृथिवी का जल। 'कौ पृथिव्यां शरस्य जलस्रा' मुदाप्तियः प्रसादयुक्तः' (जयो० ६/११२) कुमुदसमूहस्य (जयो० ४/६५) पृथ्वी के बाण रूप। (जयो० व०५/९४) विकासकारश्च' (जयो० ७० ६/११२) कौशरधर (वि०) चातुर्यधारिका, कुशला को धारण करने कौमुदाश्रय (वि०) पृथिवी पर प्रसन्नता फैलाने वाला, पृथिवी वाला। (जयो० ९/८७) 'इति कौशरधर-वाचमुत्तमां' का आश्रय। कुमुदानां समूहः कौमुदं कैरवसमूहस्तस्याश्रया | कौशलं (नपुं०) [कुशल+अण] प्रसन्नता, कुशलता, समृद्धि, विकासकारिणो' (जयो० वृ. ३/३७) कौ पृथिव्यां मुदाश्रयः क्षेम, दक्षता, चतुराई। (वीरो० ५/३०) चातुर्य। (जयो० २५९) प्रसक्तिकर: कौमदानामाश्रयः (जयो० ५/९१) कौशलदेशः (पुं०) कौशल नामक देश (समुः ४/२०) कौमुदी (स्त्री०) (कौमुद। ङोप। चांदनी, ज्योत्स्ना, चन्द्रिका। कौशलधर (वि०) कुशलता धारक, चातुर्य युक्त। (जयो० (सुद० ४/१३) कुमुदानामिय कौमुदीति चन्द्रस्येयं चन्द्रोतिपदे' | वृ० ९/८७) (जया० १५/६३) कौशलापुरी (स्त्री०) कौशल नगरी। (वीरो० १४/१६) कौमोदकी (स्त्री) [को पृथिव्याः मोदक-कुमोदक अण डोप् | कौशलिकं (नपुं०) [कुशल ठक्] घुस, रिश्वत। कुं पृथिवों मादयति-कुमोद। अण डोप) विष्णु की गदा। कौशलिका (स्त्री०) [कौशलिक टाप्] [कुशल अण् डीप्] कौरव (वि०) (कुरु- अण] १. कुरुओं से सम्बन्ध रखने १. उपहार भेंट, प्राभृत, चढ़ावा। २. अभिवादन, नमन। वाला। कौशलेयः (पुं०) [कौशल्या+ढक्] १. राम, दाशरथी, कौशल्या कौरव: (पुं०) कुरु की सन्तान, (सम्य०६५) दुर्योधनादि, कौरवं का पुत्र राम। नाम वीरं जनाय खलु सर्वसाधारणायेक्षते' (जयो० १८/५) कौशल्या (स्त्री०) [कोशलदेशे भवा] दशरथ की रानी, ज्येष्ट कौरवः (वि० । पृथिवी पर शब्द करने वाला। 'को भुवि रञ्जनाय भार्या। प्रसक्त्यर्थं खल रवमीक्षयते शब्द करोति।' (जयो० वृ० । कौशम्बिका (स्त्री०) [कुशाम्ब+अण्] कौशाम्बी नगरी, वत्स देश की राजधानी। (दयो० ९) कौरव्यः (पुं०) कुरु को सन्तान। कौशाम्बी (स्त्री०) [कुशाम्ब अण् ङीप्] कौशाम्बी नगरी। कौल (वि०) कुल+अण] कुल से सम्बन्धित, पैतृक. कौशिक (वि०) [कुशिक-अण] म्यान में स्थित। आनुवाशका कौशिक (पुं०) उलूक, उल्लू। 'नोऽस्तु कौशिकादिह विद्वेषी' कौल: (पु०) कुन सम्बंधी। (जयो० ८/९०) 'प्रकाशमान समये कोशिकात् उलूकात् कौलकेयः (१०) [कुल: ढक ! वर्णसंकर, व्यभिचारिणी स्त्री परः अन्य: को नरो विद्वेषी' (जयो० वृ० ८/९०) कौशिकी (स्त्री०) नदी, जो विहार में बहती है। कौलटिनेयः (पृ०) [कुलटा ढक वर्णमंकर से उत्पन्न पुत्र! कौशेयं (नपुं०) [कोशस्य विकार:-ढ] रेशम, रेशमी वस्त्र! कौलिक (वि० ) [कुल ठक! कुल से सम्बन्धित, कुल में कौसीद्यम् (नपुं०) [कुशीद+ष्यञ्] १. व्याज का व्यवसाय, प्रचलित २. आलस्य, आकर्मण्यता। कौलिकः (०) जुलाहा, तन्तुवाय। कौसुम (वि०) [कुसुम+अण्] सुमन युक्त, पुष्पता। (सुद० कौलीन (वि०) । कुल खज। कुलीन) २८) कौलीन्यं (नपुं०) (कुलीन प्य कुलीनता, वंश को वैशिष्ठता। | कौसुम-संविकासः (पुं०) विकसित सुमन। 'यस्या मुखे यदि जन्म संस्काराभ्यां कोलीन्यमिति कथ्यते। (हि०सं०२३) | कौसुम-संविकास' (जयो०८/२७) कौलूतः (पं) कुलुत अण] कुलूत देश का नृपति। कौसुम्भक (वि०) [कुसुम अण्] सुमन युक्त, पुष्पता। (सुद० कौलेयक (40) [कल ढक। शिकारी कुता. श्वान। २/८) For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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