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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra कबरी www.kobatirth.org कबरी (स्त्री०) केश, बाल। (वीरो० ५/१२, ७/९) (जयो० ११२/११) कबित्य : (पुं०) कैंथ तरु । कम् (अक० ) प्रेम करना, अनुरक्त होना, कामना करना, इच्छा करना। । कमठ: (पुं०) (कम्+अठन्] कूर्म, कच्छप, कछुआ (जयो० वृ० २४ / १६) २. बांस, ३. जलघट। ४. पार्श्वनाथ पर उपसर्ग करने वाला देव। कमठ-पिष्ठः (पुं०) कछुएं की पीठ । कमठी (स्त्री०) कच्छपी, कूर्मी । कमठोपसर्ग: (पुं०) कमठ का उपसर्ग । कमण्डलुः (पुं०) जलपात्र, साधु नारियल से बने हुए पात्र में शुद्धि हेतु जल रखता है। लकड़ी का भी यह बनाया जाता है । (कस्य जलस्य मण्डं लाति - क + मण्ड+ला+कु) कमण्डलुधर (वि०) कमण्डलु को धारण करने वाला । कमण्डलुमुद्रा (स्त्री०) अञ्जजीबद्ध मुद्रा, दोनों हथेलियों के मिलाने पर कनिष्ठिकाओं को बाहर निकालने की प्रक्रिया। कमपि (अव्य०) कुछ भी। (जयो० वृ० १/१४) कमन (वि० ) [ कम् ल्युट् ] कामुक, लम्पट, विषयाभिलाषी, मनोरम, अभिरूप, सुन्दर । कमन: (पुं०) कामदेव, मदनः १. अशोक वृक्ष । २. ब्रह्मा । कमन: कामुके चाभिरूपे चाशोक-कामयो: ' इति वि' (जयो० २६/४७) । कमनीय (वि०) रमणीय, सुन्दर, मनोरम (दयो० ६६) कमर ( वि० ) [ कम्+अरच्] विषयाभिलाषी, लालची, कामुक । कमलं (नपुं०) १. कमल, सरोज, नीरज, पद्म, अरविंद, अम्भोज, वारिज, शतच्छदं कुड्मल, जलज (समु० ७१, सुद० ३ / २३) २. चडसीदीलक्खेहि कमलं णामेण णिद्दिट्ठ' (ति०प०४/२९८) ३. तोष- सन्तोष विशदाम्बरा च मञ्जुजलतारा कमलान्वयिभ्रमर-विस्तारा। (जयो० २२ / १९) कमलेन - संतोषण-कमलं जलजे तीरे क्लोग्नि तोषे च भेषजे' इति वि' (जयो० वृ० २२/१९) कमलानां वारिजानाम् । , २५४ कमल सारस पक्षी (जयो० वृ० २२/१, ६/८२) शतच्छदजयो० १७/७१ । जल-तांबा, दवा, औषधि, मूत्राशय । आत्ममल-कमलं कस्यात्मनो मलं रागद्वेषादिरूपं (जयो० १० २८/३) । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कमलान्वयि कमलः (पुं०) सारसपक्षी। कमलकं (नपुं० ) [ कमल + कन्] लघु पद्म, छोटा वारिज । कमलंकरिष्णु (वि०) एक को अलंकृत करने वाली। कमलकन्दः (पुं०) शल्यद्रुम, करहाट । करहाटोऽब्जकन्देऽपि शल्यद्रौ कुसुमान्तरे । इति वि० (जयो० वृ० २१ / २६ ) कमलकोमलता (वि०) कमल की सुकुमारता (जयो० ३ / २७) कमलखण्ड (नपुं०) पद्म समूह, कमल समुदाय । कमलज: (पुं०) नक्षत्र विशेष । कमलजन्मन् (पुं०) पद्मयोनि । कमलजात (वि०) पद्म उत्पत्ति। कमल नयनं (नपुं०) अम्बुज लोचना, पद्म नेत्र। (जयो० वृ० १७/१७) कमलनालकुलबाहु (पुं०) मृणालतुल्य कोमल भुजा, अत्यन्त सुकुमार भुजदण्ड (जयो० १४/१८) कमलमालिका (स्वी० ) पद्ममाला, कमलमाला (जयो० ७/६४) कमलमुखी (वि०) कमलं पद्मं तद्वत्मुखं वदनं (जयो० १०/११९) कमलवासिनी (वि०) १. पद्म में निवास करने वाली । (सुद० ११२) २. आत्म बल में वास करने वाली (सुद० ११२) कमलश्री (स्त्री०) पद्म श्री पद्म के सदृश शोभा 'दृष्ट्वा । मुनीन्दुं कमलश्रियो भूः। (सुद०२/२५ ) कमल- सङ्कोचः (पुं०) कुमलबन्ध (जयो० ० १/७१) कमलसमूह: (पुं०) सरोजवृन्द, पद्म समूह । (जयो० १२ / १४०) कमला (स्त्री० ) [ कमल-अच्+टाप्] (जयो० ५/१०७, ६/६३) १. लक्ष्मी, श्री के आत्मनिमलं यस्या सा कमला । आत्म के मल को जो प्राप्त हुई। कमलाडु: (पुं०) प्रमाण विशेष । कमलाकरः (स्त्री०) अम्भोज दृक, कमलनेत्र वाली (जयो० वृ० १६ / ४० ) कमलात्मन् (स्त्री०) कमला, लक्ष्मी, श्री कमलात्मन् इव विमलो गजैः' (वीरो० ४/४४) कमलानुरूपा (वि०) लक्ष्मी सदृशा । कमलानि अरविंदानि अनु-पश्चात् रूपं शरीरं यस्याः सा' (जयो० वृ० १/७४) कमलानुसारिन् (वि०) शोभा का अनुसरण करने वाली। (जयो० वृ०) For Private and Personal Use Only कमलानुसारिणी (वि०) कमल का अनुसरण करने वाली । (जयो० वृ० १४/५४) कमलान्वयि (वि०) कमलों पर मण्डराने वाले कमलेन सन्तोषान्वयी संयुक्तो, कमलानां वारिजानामन्वयी अनुयायी' (जयो० वृ० २२ / १९ )
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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