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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कनिष्ठ २५१ कन्यादानार्थ कनिष्ठ (वि०) [अतिशयेन युवा अल्पो वा-कनादेश:+ कन्इष्ट्न् ] अल्पतर, छोटे से छोटा, न्यून। कनिष्ठा (स्त्री०) छोटी अंगुली। 'शौर्यप्रशस्तौ लभते कनिष्ठां' (जयो० १/१६) कनिष्ठिका (स्त्री०) [कनिष्ठ कम्+टाप्] छोटी अंगुली। कनीनिका (स्त्री०) १. छोटी अंगुली। २. आंख की पुतली। (जयो० वृ०२/१०) कनीनी (स्त्री०) १. छोटी अंगुली। २. नेत्र की पुतली। (जयो० वृ० २/१०) कनीनीक देखो कनीनी। कनीयस् (वि०) अपेक्षाकृत लघु, दो में एक कम। कनेरा (स्त्री०) [कन्। एरन्+टाप्] वेश्या, गणिका। कन्तुः (पुं०) [कन्+तु] कामदेव, मदन। २. हृदय। कन्था (स्त्री०) गुदड़ी, जीर्णवस्त्र की थैली। 'सग्रन्थि कन्थाविव रात्तमारुतैः' (वीरो० ९/२५) कन्दः (पुं०) जमीकंद, गांठदार लहसुन, प्याज आदि। २. | ___अंकुर (जयो० ११/४३) १. ग्रन्थि, २. कपूर, ३. बादल। कन्दकः (पुं०) गर्त, गड्डा-हाथी पकड़ने के लिए बनाया गया गर्त। कन्दट्ट (नपुं०) श्वेत कमल, शुभ पद्य। कन्दप्रकारः (पुं०) अंकुरमात्रक। (जयो० ११/४३) कन्दरः (पुं०) [कम् दृ+अच्] गुफा, खोह, पर्वत के अन्दर का गुह्य स्थान। (जयो० १४/६८) कन्दरा (स्त्री०) गुफा। कन्दर्पः (पुं०) १. कामदेव, २. रागात्मक शब्द वाला। 'कन्दर्पः कामस्तद्हेतुस्तत्प्रधाने वाक्प्रयोगोऽपि कन्दर्पो' (सा०ध०टी० ५/१२) 'रागोद्रेकात् प्रहासमिश्रोऽशिष्टवाक्यप्रयोगः कन्दर्पः। (त० वा० ७/३२) राग की अधिकता से हास्य मिश्रित अशिष्ट वचन वाला। कन्दर्पकूपः (पुं०) योनि, जन्मस्थान। कन्दर्पज्वरः (पुं०) आवेश, प्रबल इच्छा, कामोद्दीपन। कन्दर्पधर (वि०) अहंकारी, कामी। कन्दर्पभावना (स्त्री०) कुचेष्टा युक्त भावना, द्रवशीलता जन्य भावना/इच्छा। हास्योत्पादक भावना। 'कामयोगः परविस्मय कारी वा कन्दर्पभावनेत्युच्यते' (भ०अ०टी० १८०) कन्दर्पभूपः (पुं०) कामरूपी राजा। 'कन्दर्पभूपो विजयाय याति' (वीरो०६/१९) कन्दल: (पुं०) १. कलह, निन्दा, गरे। (जयो० १३/७०) २. | नया अंकुर, ३, गाल, कनपटी। ४. युद्ध। कन्दली (स्त्री०) [कन्दल+ङीष्] कदली वृक्ष। २. कमलगट्टा कन्दुः (पुंस्त्री०) १. तंदूर, पतीली। २. गेंद। कन्दुकुचाकारधरो युवत्या। (वीरो० ९/३६) कन्दुकः (पुं०) [कम्+दा+डु कन्] गेंद, गेन्दुक-रबड़ या कपड़े से निर्मित पूर्ण लोकाकार गेंद जिससे खेला जाता है। कन्दुकत्व (वि०) गोलाकार गेंद की तरह। (जयो० १/१०) कन्दुकभावः (पुं०) डुलमुल भाव। (जयो० १/१०) कन्दोटः (पुं०) श्वेतकमल, शुभ्रकमल। कन्दोदृः (पुं०) श्वेतकमल, धवलपद्म। कन्दोपमा (स्त्री०) जड़ की उपमा (जयो० ११/४४) कन्धः (पुं०) कन्धा, ग्रीवा (जयो० ७/२३) कन्धरः (पुं०) [कं शिरो जलं वा धारयति-कम्+धृ+अच्] १. ग्रीवा, कन्धा, बाहुमूल (वीरो० ३/३५) कन्धरा (स्त्री०) ग्रीवा, गर्दन। कन्धा (स्त्री०) ग्रीवा, गर्दन। कन्धिः (स्त्री०) [कं शिरो जलं वा धीयते कम्+धा+कि] १. सागर, समु द्र। २. ग्रीवा, गर्दन। कन्नं (नपुं०) [कद्+क्त] पाप, अशुभभाव। कन्यका (स्त्री०) कन्या, लड़की, कुमारी, तरुणी, अविवाहित पुत्री। 'कन्यका-कनक-कम्बलान्विता' (जयो० २/१००) सौन्दर्यसारसंसृष्टिं भूभूषां कन्यकामिमाम्' (जयो०७/११) कन्यकाजनः (वि०) कुमारियां, लड़कियां। कन्यकाजातः (वि०) कन्या से उत्पन्न पुत्र, अविवाहित कन्या का पुत्र। कन्यसः (पुं०) [कन्य+सो+क] छोटा भाई। कन्यसी (स्त्री०) छोटी बहिन। कन्या (स्त्री०) १. लड़की, कुमारी, कुंआरी, पुत्री, सुता। (जयो० ४/६२) कन्याऽसौ विदुषी धन्या गुणेक्षण-विचक्षणा। (जयो०७/१३) २. छठी राशि-कन्या राशि। ३. दुर्गा। ४. इलायची। कन्याका (स्त्री०) तरुणी बाला, कुमारी। कन्यागत (वि०) कन्या राशि में गया हुआ। कन्याग्रहणं (नपुं०) विवाह में कन्या स्वीकरण। कन्यादानं (नपुं०) कन्यादान, विवाह में कन्या का वर एवं कुटुम्बिजनों के सामने ग्रहण करने का कथन। (जयो० वृ० १२/५६) 'सूत्रमिव भाविकन्यादान' (जयो०६/१२५) कन्यादानार्थ (वि०) विवाह सम्बंधी विधि में कन्या की प्रवृत्ति हेतु कन्या दान के लिए। (जयो० १२/५३) For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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