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औष्य
२४१
औदास्य
औष्यं (नपुं०) पाठ पद्धति, पाठरीति।
औत्पात (वि०) [उत्पात+अण] अपशकुन विश्लेषक, उपद्रव औक्षकं (नपुं०) वलिवर्द समूह, बैलों का झुण्ड, उक्ष्णां समूहः प्रस्तुतकर्ता। ___इत्यर्थे उक्षन् अण् टिलोप: कुञ् वा।
औत्पातिक (वि०) [उत्पात ठक्] अशुभकारी, अमंगलसूचक, औगयं (नपुं०) । उग्र ष्यञ्] दृढ़ता, भीषणता, अत्यधिकता, अनिष्टकारी। भयंकरता, करता।
औत्संगिक (वि०) [उत्संग+ठक्] कूल्हे पर रखने वाला। औघः (१०) वाद, जल्प्लावन।
औत्सर्गिक लिंगः (पुं०) यथाजात परिवेश, त्यागपूर्वक, ग्रहण औचित्यं (नपुं०) [उचित+यज्] उपयुक्तता, उचितपना, किया गया स्वाभाविक वेश। 'उत्कर्षेण सर्जनं त्यागः सकल०संगति, योग्यता। यथार्थता। 'कथमपौचित्यस्य हतिः परिग्रहस्योत्सर्गः, उत्सर्ग त्यागे सकलग्रन्थपरित्यागे भवं
सम्भवति' (दयो० १०६) सार्थकता, वास्तविकता। लिंगमौत्सर्गिकम्' (भ० आ० टी० ७७) औजतिक (वि.) [ओजस्ट क | शक्ति सम्पन्नता, दृढ़ता, औत्सुक्य (वि०) [उत्सुक ष्यञ्] १. उत्सुकता, लालसा, धैर्यपना, तेजस्विता।
इच्छा, उत्साह। २. चिन्ता, व्याकुलता। औजसिकः (पुं०) वनवान् पुरुष, शूरवीर, योद्धा।
औदक (वि०) [उदक अण्] वारि सम्बंधो, जल से सम्बन्धित। औजस्य (वि०) [ओजस्+ध्यञ्] कान्ति, प्रभा, आभा। औदञ्चन (वि०) [उदञ्चन+अण] घट में स्थापित। औज्जवल्यं (नपु०) [उज्ज्वल+प्यञ्] प्रभा, कान्ति, चमक, औदनिक (वि०) [ओदन ठञ्] पाचक, पकाने वाला, धवलता।
रसोईया। औपिकः (वि.) [उडुपाठक] नाव से पार करने वाला। औदयिक (वि०) १. उदयगत भाव, २. पदार्थों का अवबोध। औडुम्बर: (पुं०) उदुम्बर फल।
औदयिक-अज्ञानं (नपुं०) पदार्थों का अवबोध। 'ज्ञानावरणकर्मण औतुकी (स्त्री०) बिडाली, बिल्ली। 'निशौतुकी तन्मय- उदयात् पदार्थानबोधो भवति तदज्ञानमौदयिकम्' (स० सि०
कौतुकित्वात्' (जयो० १५/४५) रात्रि रूपी बिल्ली पकड़ने २/६) 'ज्ञानावरणोदयादज्ञानम्' (त० वा० २/६) __ में तत्पर।
औदयिक-असंयतः (पुं०) चरित्रघाती कारण। 'चारित्रमाहोदयाऔतनः (40) विटाल, विलाव। 'प्राग्जन्मप्रतिवैरिणा मतमितौ। दनिवृत्तिपरिणामोऽसंयतः' (त० वा०२/६) तत्रागतनौतुना' (जया० २३/५५)
औदयिक-असिद्धः (पुं०) असिद्धत्व अवस्था का भाव। औतुपात (वि०) विडालजात, विडालपुत्र। (जयो० २०/३०) 'कर्मोदय-समान्यापेक्षोऽसिद्ध-औदयिकः' (स० सि०२/६) औत्कण्ठ्य (नपुं०) [उत्कण्ठा+प्यञ्। वाञ्छा, चाह, अभिलाषा. औदयिक-गुणं (नपुं०) उदय से उत्पन्न गुण। 'कर्मणामुलालसा, इच्छा, कामना, भावुकता।
दयादुत्पन्नो गुण:' (धव० १/१६१) औत्कर्ण्य (वि०) [उत्कर्ष+ष्यञ्] उत्तमता, श्रेष्ठता, उच्चता, | औदयिकभावः (पु०) कर्मोदय से उत्पन्न भाव। आधिक्य, प्रबलता, उत्कर्ष को प्राप्त हुआ।
'कम्मोदय-जणिदो भावो' (धव०५/१८५) औत्तमिः (पु०) [ उत्तम+इञ्] उत्तमता युक्त।
औदयिकी (वि०) कर्मोदय से अनुरंजित प्रवृत्ति। 'कषायोदयऔत्तर (वि०) १. उत्तरदिशा सम्बन्धी। २. उत्तर/समाधान रज्जिता योग-प्रवृत्तिरिति कृत्वा औदयिकी' (स० सि० सम्बन्धी।
२/६) औत्तरेयः (पुं०) । उत्तरा। ढक्] उत्तरा का पुत्र, अभिमन्यु। औदयिकी-वेदना (स्त्री०) कर्मोदय से उत्पन्न वेदना। औत्तानपादः (पुं०) ध्रुव, उत्तरदिशा का तारा।
औदरिक (वि०) उदर सम्बन्धी, अत्यधिक भोजन करने औत्पत्तिक (वि०) एक ही समय में उत्पन्न सहजता से वाला। प्राप्त।
औदर्य (वि०) [उदरे भवः यत्] १. गर्भस्थ, गर्भ में प्रविष्ट। औत्पत्तिकी (स्त्री०) १. सहज स्वभाव से उत्पन्न प्रज्ञा, सहजबुद्धि, २. उदारता। स्वाभाविकमति। २. पूर्व संस्कारों से उत्पन्न।
औदश्वित (वि०) छांछ, मट्ठा, तक्र। औत्पत्तिकी बुद्धिः (स्त्री०) सहज स्वभाव से उत्पन्न प्रज्ञा। औदास्य (वि०) उदासीनता, उन्मनस्कता। 'उदासस्य भाव
'उत्पत्तिरेव प्रयोजनं यस्याः सा औत्पनिकी बुद्धिः' (जैसल० ३०३) औदास्यम् तत् उन्मनस्कता।'
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