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उन्नय्
२०५
उन्मूलय
उन्नय् (सक०) चिन्तन करना, स्मरण करना। (जयो० २/३०) उन्नयः (पुं०) । उद्। नी। अच। घञ्] १. उन्नत, उठाना, ऊँचा
करना। २. सादृश्य, एक सा, सीधा सरल। उन्नयनं (नपुं०) १. ऊपर उठाना, ऊँचा करना। २. पर्यालोचन,
विचार विमर्श।
'उन्नयन्नम 'उन्नतिं प्रापयन्' (जयो० वृ० ३/६) उन्नस (वि०) [उन्नता नासिका यस्य] ऊँची नाक वाला, उठी
हुई नासिका वाला। उन्नादः (पुं०) [उद्+नद्घ ञ्] गूंज, चिंघाड़, उग्रनाद, उच्चशब्द,
दहाड़, चिल्लाहट। उन्नाभ (वि०) उभरी/उठी हुई नाभी वाला तोंद वाला, तुंदिल। उन्नाहः (पुं०) [उद्+न+घञ्] उभार, उठाव। उन्निद्र (वि०) [ उद्गता निन्द्रा यस्य सः] जागृत, निन्द्रा रहित,
सचेत, जागा हुआ। उन्नेत (वि०) [उद् नी तृच्] उठाने वाला, सहारा देने वाला। उन्मज्जनं (नपुं०) [उद्मस्+ ल्युट्] बाहर निकालना, उगलना,
पानी के कुल्ले करना। उन्मत्त (भृ० क० कृ०) [उद्+मद् + क्त] पागल, विक्षिप्त,
मदहोश, उन्मादित हुआ। समुन्मत्ते किमेतावत् समुन्मत्तेद्दशीहि
न।' (मुद ८४) उन्मत्तग (वि०) मदकृति, उन्मत्त हुआ। (जयो० २/ उन्मत्तकल्प (वि०) ०भ्रमतीत्यधीर, ०भ्रमित-जन, विक्षिप्त
लोग। (वीरो० १२/३२) उन्मत्तकीर्तिः (स्त्री०) कीर्ति से उन्मत्त होने वाला! उन्मत्त-दर्शन (वि०) देखने में प्रमादी। उन्मत्त-दोष: (वि०) भ्रान्तचित्त, कायोत्सर्ग का एक दोष। उन्मत्तभावः (पुं०) ०मदकारक भाव, मदानुभाव ०क्षीणत्वभाव।
(जयो० वृ० १५/१४) उन्मथनं (नपुं०) [उद्+मथ्+ ल्युट्] १. झाड़ना, फेंक देना। २.
वध करना। उन्मद (वि०) [उद्गतो मदो यस्य] शराबी, उन्मादी, प्रमादी,
पागल, विक्षिप्त। उन्मदन (वि०) [उद्गतो मदनोऽस्य] काम पीड़ित, प्रेमवशीभूत। उन्मदिष्णु (वि०) [उद्+म+इष्णुच्] विक्षिप्त, पागल, उन्मादी,
उन्मनस्कप्रकार (वि०) अनादर भाव, उत्तेजना। (जयो० १७/२३) उन्मनस्कता (वि०) उदासीनता, क्षुब्धत, अनमनापन। 'जाता
भवतामुन्मनस्कता' (सुद० ३/३६) उन्मनीभावः (पु०) विभ्रम भाव, उदासीनता, भाव,
विक्षिप्तताभाव। (जयो० वृ० ६/३५) उन्मन्थः (पुं०) [उद्+मन्थ्+घञ्] क्षोभ, व्याकुलता, पीड़ा,
राग-द्वेष भाव। उन्मन्थनं (नपुं०) [उद्+मन्थ्+ल्युट] क्षोभ/दु:ख/पीड़ा/करना,
व्याकुल करना। उन्मयूख (नपुं०) प्रकाशमान् ०दीप्ति युक्त। उन्मर्दनं (नपुं०) [उद्+मृद्+ ल्युट्] मलना, मालिश करना,
लेप लगाना। उन्माथः (पुं०) [उद्+मथ्+घञ्] ०यातना, ०पीड़ा, ०कष्ट,
०क्षुब्ध करना। उन्माद (वि०) [उद्+मद्+घञ्] विक्षिप्त, पागल, असंतुलित। उन्मादनं (नपुं०) [उद्+म+णिच् ल्युट्] मादक, मोहक। उन्मानं (नपुं०) [उद्+मा+ ल्युट] मापना, तोलना, माप करना।
जिससे तोला जाता है, तराजू, तुला। 'उन्मीयतेऽनेनोन्मीयत
इति रोन्मानं' उन्मार्ग (वि.) [उत्क्रान्तः मार्गात्] १. कुमार्ग, कुपथ। २.
अनुचित आचरण। उन्मार्गः (पुं०) कुआचरण, ०कु-पथ, ०अनाचार। उन्मार्गगामिन् (वि०) कुआचरण को अपनाने वाला, कुपथगामी।
(वीरो० १८४२) (जयो० वृ० १/३१) उन्मार्गदेशक (वि०) मिथ्यामार्ग का उपदेष्टा। उन्मार्ग-पंथिन् (वि०) मिथ्यामार्ग का विध्वंसक। उन्मार्जनं (नपुं०) [उद्+मृज्+णिच्+ल्युट] प्रमार्जन, प्रक्षालन,
पोंछना, साफ करना, रगड़ना। उन्मार्जित (वि०) प्रमार्जित, प्रक्षालित। उन्मितिः (स्त्री०) माप, तोल, मूल्य। उन्मिथ (वि०) मिश्रित, नाना प्रकार का। उन्मिषित (भू० क० कृ०) [उद्+मिष+क्त] उन्मीलन रहित,
जागृत, नेत्र उद्घाटित, खुला हुआ। उन्मीलित (वि०) जागृत, सचेष्ट, खुली हुई आंखों वाला। उन्मुख (वि०) सम्मुख, सामने, निकटस्थ, समीपवर्ती। उन्मूलय् (सक०) उखाड़ना, निकालना, मूलोच्छेद करना।
सोऽयं जन्म-जरान्तकत्रयभवं सन्तापमुन्मूलयन्' (मुनि० ७) 'उन्मूलयन्ति स्वतरुरुहाणि' (वीरो० २१/११)
।
प्रमादी।
उन्मनस्क (वि.) [उद्भ्रान्त मनो यस्य] १. उत्तेजित, विक्षुब्ध,
संक्षुब्ध। २. अनादर, सम्मान रहित, उदासीन, दु:खित, पीड़ित, व्याकुल।
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