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उत्का
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उत्खला
उत्का (स्त्री०) अभिलाष वती, उत्कण्ठ शीला स्त्री। 'तपोधनं उत्कृष्ट-निक्षेपः (पुं०) कर्मस्थिति का उत्तम न्यास।
भानुमिवानुमातुमुत्का' (जयो० १/७८) 'उद्गतंसुखं उत्कृष्टपदः (पुं०) आश्रयभूत पद। प्रसन्नभावो यस्याः सेति' (जयो० वृ० १/७८)
उत्कृष्टमतिः (स्त्री०) उत्तमबुद्धि, श्रेष्ठ धी। उत्कारः (पुं०) [उद्+कृ+घञ्] १. फटकना, साफ करना। २. उत्कृष्ट-मंगलं (नपुं०) उत्तम मंगल। उत्कीर्ण करना, बीज बौना। |
उत्कृष्टं श्रावकः (पुं०) उत्तमश्रावक। ग्यारहवीं प्रतिमा धारक उत्कालित (भू० क० कृ०) अनियत काल, काल/समय का श्रावक। नहीं होना।
उत्कोचः (पु०) [उत्कुच्+घञ्] गुप्त ग्रहण, रहस्य रूप में उत्कासः (पुं०) [उत्क+आस्+अण्] खखारना, गला साफ ग्रहण, छिपाकर लेना, रिश्वत, घूस। करना।
उत्कोचकः (पुं०) [उत्कोच्+कन्] रिश्वत, घूस। उत्किर (वि०) [उद्+कृ+श] ऊपर विखेरता हुआ, फैलाता उत्कोचभागः (पुं०) गुप्त हिस्सा, गुप्त अंश, रिश्वत। (जयो० हुआ, उड़ाता हुआ।
वृ० ३/१५) उत्कीर्णय (सक०) बनाना, निर्माण करना, रचना, घटित उत्क्रमः (पुं०) [उद्+क्रम्+घञ्] १. बाहर आना, ऊपर जाना, करना। 'उत्कीर्णानि चित्राणि' (जयो० वृ० ५/१६)
प्रस्थान, उन्नति, विकास। २. उल्लंघन, विचलन। उत्कीर्तनं (नपुं०) [उद्+कृ+ ल्युट्] ०गुणगान, प्रशंसा, उत्क्रमणं (नपुं०) [उद्+क्रम् ल्युट्] प्रस्थान, जाना, गमन, यशेगान, संकीर्तन, उत्तम रीति से प्रशंसा करना।
ऊपर गमन। उत्कीर्तना (स्त्री०) उच्चारण, ग्रन्थपाठ।
उत्क्रान्तता (वि०) अतिक्रमणता। (सम्य० १६) उत्कुट (नपुं०) [उन्नतः कुटी यत्र] शान्त पूर्ण शयन, ऊपर उत्क्रान्तवती (वि०) लंघितवती, भर्त्सितवती, जाती हुई, उल्लंघन ___ की ओर मुंह करके लेटना।
करती हुई। (जयो० ३/४२) उत्कुटिकासनं (नपुं०) उत्कडु आसन।
उत्क्रान्तिः (स्त्री०) [उद्+क्रम्-क्तिन्] १. कूच करना, निकलना, उत्कुण: (पुं०) [उत्+कुण+क] मत्कुण, खटमल।
जाना, आगे बढ़ना। २. उल्लंघन, अतिक्रमण। उत्कुल (वि०) [उत्क्रान्त कुलात्] कुल अपयश करने वाला, | उत्क्रोशः (पुं०) [उद्+क्रूश्+अच्] १. तीव्र क्रोध, अधिक ___ अपमानित करने वाला।
क्रोध। २. उद्घोष, कुररी, विशेष गर्जना। उत्कूजः (पुं०) कूक, कुहु कुहु शब्द, कोयल का शब्द। उत्क्ले दः (पुं०) [उद् क्लिद्+घञ्] तर होना, भीग जाना, उत्कूटः (पुं०) [उन्नतं कूटस्य] छतरी, छाता, छत्र। __ आर्द होना। उत्कूर्दनं (नपुं०) [उद्+कूर्द+ल्युट] कूदना, उछलना, ऊपर उत्क्ले शः (पुं०) [उद्+क्लिश्+घञ्] १. उत्तेजना, अशान्ति, छलांग लगाना।
व्याकुलता। २. व्याधि, दु:ख, रोग, सामुद्रिकव्याधि। उत्कूल (वि०) [उत्क्रान्तः कूलात्] नदी तट पर, किनारे पर। उच्छिद्यण (वि०) मूलोच्छेदन। (सम्य० ९३) उत्कूलित (वि०) नदी तट पर लगने वाले।।
उत्क्षिप्त (भू०क०क्र०) [उद्+क्षिप्+ क्त] १. फेंका गया, उठाया उत्कृष्ट (भू० क० कृ०) [उद्+कृष्+क्त] १. उन्नत, श्रेष्ठ, हुआ, उछाला गया। २. अभिग्रह दोष। ३. ग्रस्त, अभिभूत.
उत्तम, प्रधान, प्रमुख, ०अग्रणी, तीव्र, आकर्षण, तिरस्कृत, ध्वस्त।
सराहनीय, प्रशंसनीय। २. उखाड़ा गया, चलाया गया। उत्क्षिप्तिका (स्त्री०) [उत्क्षिप्त कन्+टाप्] कर्णाभूषण। उत्कृष्ट-अन्तरात्मन् (पुं०) शुक्लध्यान युक्त आत्मा, प्रमादरहित उत्क्षेपः (पुं०) [उद्+क्षिप्+घञ्] १. उछालना, फेकने वाला, आत्मा।
उठाने वाला, ऊपर करने वाला। उत्कृष्टज्ञानं (नपुं०) उत्तम ज्ञान, मुक्ति का साधन भूत ज्ञान। उत्क्षेपणं (नपुं०) [उद् क्षिप्+ ल्युट्] उछालना, उठाना, भेजना। उत्कृष्ट-तपः (पुं०) उत्तम तप, श्रेष्ठ तप।
(सम्य० ३२) उत्कृष्ट-तापस् (वि.) घोर तपस्वी।
उत्खचित (वि०) [उद्+खच्+ क्त] गूंथा हुआ, ग्रथित, गुंफित, उत्कृष्ट-दाहः (पुं०) संक्लेश परिणाम, अति तीव्र वेदना, रचित, बनाया गया, खचित, जड़ा हुआ। कर्मजनित तीव्र दाह।
उत्खला (स्त्री०) [उद्+खल्+अच्+टाप्] सुगन्ध विशेष।
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