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अविकलगिरा
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अविधुरा
'अविकलमनल्पं कुशं जलं लाति।' (जयो० वृ० १४/५५) अविघ्न (वि०) निर्बाध, बाधा रहित। 'सुकाञ्चीगुणतो ह्यविघ्नम्।' 'शरं वनं कुशं नीरम्।' इति धनञ्जयः।
(जयो० ११/२४) अविकलगिरा (स्त्री०) निर्दोषवाणी, सरलवाणी। श्रुत्वा तथ्यामवि- अविचार (वि०) १. विवेक रहित, विचारशून्य। २. परिवर्तन
कलगिरा हर्षणैर्मन्थराङ्ग। (वीरो० ४/३७) अविकलया रहित ध्यान। गिरा प्रस्पष्टरूपया वाचा। (वीरो० वृ० ४/३७)
अविचारः (पुं०) अविवेक, अज्ञान. मूढ। (जयो० २/१४५) अविकला (स्त्री०) अन्यून कला, निर्दोष विकास। अविचारकारित्व (वि०) विवेकता रहित। कारणजन्यकला। (जयो० ३/६४)
अविचारिन् (वि०) विवेक हीन, उचित-अनुचित का ज्ञान न स्पृहयति न कं चन्द्रकलाप्यविकलाशया। अविकलोऽयूना करने वाला। निर्दूषण आशयो। (जयो० ३/६४)
अविचार्य (वि०) विचार न करते हुए. नहीं सोचते हुए। यस्याः सा चन्द्रस्य कला। (जयो० वृ० ३/६४)
(जयो० वृ०२/१४२) अविकलित (वि०) १. सर्वाङ्ग सुन्दर, पूर्ण रम्य, सम्पूर्ण कला अविच्युत (वि०) अपतित, अभ्रष्ट, योग्य।
युक्त। अविकलिताम्बर मणिमयभूषालपितापि रवलतापतनुः अविच्छिन्न (वि०) निरन्तर, सदैव, परम्परा। (वीरो० वृ० सा। (जयो० २२/५) २. सूर्यरूपी आभूषणों से युक्त। २/१२) (जयो० २२/५)
अविच्छिन्नप्रवाहः (पुं०) सन्तान, परम्परा, (जयो० वृ० ३/१०३) अविकल्प (वि.) १. विधि, नियम, इच्छा। २. सूर्यरूपी अविच्छिन्नता (वि०) परम्परागत। (दयो० ४५) आभूषणों से युक्त। (जयो० २२/५)
अविच्युतिः (स्त्री०) १. अवाय ज्ञान भेद। २. धारणा, वासना। अविकल्प (अव्य०) नि:संकोच, नि:संदेह।
३. धारणा बनी रहना, उपयोग से च्युत नहीं होना। अवि-कल्प (वि०) भेड़ समूह, मेंढा, मेष। (सुद० १/२२) अविज्ञातृ (वि०) अनभिज्ञ, अनजान। यत्रस्था ग्रामा अविकल्पप्रत्यक्षतया। (जयो० ४)
अविहीनं (नपुं०) उडान, सीधी उडान। अविकल्पभाव (वि०) संकल्प-विकल्प भाव से रहित। (सुद० अवित (वि०) रक्षित, संरक्षित। (जयो० ७० ३/५) अवितः १/२२) यतित्वभञ्चन्त्यविकल्पभावात्।
संरक्षित। (जयो० वृ० ३/५) अविकार (वि०) निर्विकार. राग द्वेप विकार रहित। (जयो० १३/५) अवितथ (वि०) सत्य, सम्यक्, समीचीन. उत्कृष्ट, उत्तम। अविकारः (पुं०) अविकृति, अनुकूल। (जयो० १३/५)
वितथमसत्यम्, न विद्यते यस्मिन् श्रुतज्ञाने तदवितथम्, अविकारगामिन् (वि०) अनुकूल गमित, अच्छी तरह चलने तत्थमित्यर्थः। (धव०१३/२८६)
वाले। 'अविकाम-विकारगामिनां। (जयो० १३/५) अवितथं (अव्य०) जो सत्य हो, असत्य न हो, मिथ्या न हो। अविकारिन् (वि०) निर्विकारी, विकारभाव को प्राप्त नहीं होने अवितर (वि०) सुरक्षित। _वाले। (सुद०४/१५) 'हे नाथ! मे नाथ! मनोऽविकारि।' अविदूर (वि०) समीपस्थ, निकटस्थ, समीप में, निकट अविकृतिः (स्त्री०) अनुकूल, अविकार।
०सन्निकट। अविक्रम (वि०) दुर्बल, शक्तिहीन, क्रमाभाव।
अविद्य (वि०) शिक्षाभाव, मूर्ख, अज्ञानी। अविक्रिय (वि.) निर्विकार, अविकार, अनुकूल, अविद्या (स्त्री०) शिक्षा का अभाव, अज्ञान, मूर्ख। १. अपरिवर्तनशील।
असंस्कार, अध्यात्म विद्या का अभाव ०भ्रम, मोह, अविक्षत (वि०) पूर्ण, अक्षत, अक्षय, समस्त।
०माया (भ्रम को उत्पन्न करने वाली। 'अविद्या विप्लवज्ञानम्' अविग्रह (वि०) शरीर रहित, व्याघात रहित। विग्रहो व्याघात: (सिद्धि विन्टी० ७४७)
कोटिल्यमित्यर्थः स यस्यां न विद्यतेऽसावविग्रहा गतिः। अविद्यामय (वि०) भ्रमोत्पादक।
वक्रता, कुटिलता या मोड़ से रहित। ( स०सि०२/२७) । अविधा (अव्य०) विस्मयादिबोधक अव्यय, सहायतार्थ प्रयुक्त अविघात (वि०) बाधा रहित, घात रहित, अक्षत, पूर्ण।
होने वाला अव्यय। अविघुष्ट (वि०) वि-स्वरता रहित, विक्रोश रहित, चिल्लाहट | अविधरा (वि०) १. सौभाग्यवती, सौभाग्यशाली। २. दोष रहित रहित।
धुरी, रथ की निर्दोश स्थिति थी। गन्तुमेव सुखतो
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