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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अम्बुजट्टक अयः अम्बुजट्टक (नपुं०) कमललोचन, नेत्र रूपी वाले कमल। रूपमम्बुजदृशो ननु जात। (जयो० ५/६९) अम्बुज-जित् (वि०) कमलजयी। (वीरो० ६/३४) अम्बुजमाला (स्त्री०) कमल माला (जयो०६/५५) अम्बुजानां कमलानां माला। अम्बुजसङ्ग्रहं (नपुं०) कमल समूह। अम्बुजानां कमलानां संग्रहः। (जयो० वृ० १३/८०) अम्बुजसम्विहीन (वि.) कमल रहित। कृत्वाऽत्र मामम्बुज सम्विहीनां सरोवरीमङ्गज! किन्नुदीनां। (समु० ३/१३) अम्बुजामोद (वि०) पद्य आमोद, कमल की प्रफुल्लता। (जयो० १३/९४) अम्बुजोन्मीलन् (वि०) कमल को उन्मीलित करने वाला। (जयो० १६/६) अम्बुततिः (स्त्री०) जलधारा, नीर प्रवाह। कुसुमाञ्जलिबद्धभव ___साऽम्बुततिः पुष्टतमेऽति संरसात्। (वीरो० ७/३१) अम्बुद (वि०) जल देने वाला, नीरदायी। (सुद० ९९) अम्बुदः (पुं०) मेघ, बादल, जलद। शिखिनामम्बुदभांसि धूपजानि। (जयो० १२/६८) अम्बुदात्री (वि०) जलत्यज, जल देने वाला (जयो० १२/६८) अम्बुधरः (पुं०) मेघ, बादल, जलद। शृंगाग्रलग्नाम्बुधरस्य (जयो०८/८) अम्बुधरायणं (नपुं०) मेघ, बादल, जलद। (दयो० ४२) अम्बुधि: (पुं०) समुद्र, सागर। (सुद० १/१८) सुरवर्त्मवदिन्दु मम्बुधेः। (सुद०३/१०) अम्बुधिवत् (वि०) समुद्र के समान। कुशलसद्भावनोऽम्बुधिवत् सकलविद्यासरित्सचिवः। (सुद० ३/३०) अम्बुनिधि (नपुं०) जल गृह, समुद्र, वारिधि। 'नि:शेषयत्य म्बुनिधीन् स्म्।' (जयो० १/२६) दुरन्त दु:खाम्बुनिधौ तु सेतुः। (सुद० १/२) अम्बुप (वि०) जल पीने वाला। अम्बुपः (वि०) सागर, समुद्र। अम्बुपात: (पुं०) जलप्रपात, जलधारा। अम्बुप्रसादः (पुं०) कतकवृक्ष, निर्मली वृक्ष। अम्बुभवं (नपुं०) कमल, नीरज। अम्बुभूत् (पुं०) जलवाहक, मेघ, बादल, नीरज। अम्बुमुक्षण (वि०) जल के गिरने के समय, वर्षाकाल। मेघस्य क्षणे वर्षाकाले। (जयो० १२/९१) अम्बुमुच् (पुं०) मेघ, नीरद, बादल। 'रुचिरम्बुमुचोऽनुगामिनी।' (समु० २/१२) अम्बुराजः (पुं०) समुद्र, सागर। अम्बुरुह् (पुं०) कमल, सरोज, जलज। अम्बुवाहः (पुं०) १. वर्षाकाल, वर्षासमय। २. मेघ, बादल। बकाः पताकाः करिणोऽम्बुवाहाः। (जयो० ८/६२) अम्बुरोहिणी (वि०) जल में उत्पन्न होने वाला, कमल। अम्बुवाहिन् (पुं०) मेघ, बादल। अम्बुवाहिनी (स्त्री०) पानी निकालने का लकड़ी पात्र। अम्बुविहारः (पुं०) जलक्रीड़ा, जलविहार। अम्भ (अक०) शब्द करना, आवाज करना। अम्भज् (वि०) जल में उत्पन्न होने वाला। अम्भजः (पुं०) चन्द्र, सारस पक्षी। अम्भ (नपुं०) कमल, अरविंद, नीरज। अम्भस् (नपुं०) [अम्भ+असुन] जल, नीर। 'गोदोहनाम्भो भरणादिकार्य' (सुद० ४/२२) अम्भसा समुचितेन चांशुकक्षालनादि परिपढ्यतेऽनकम्। (जयो० २/८०) अम्भस्यमल (वि०) निर्मल। (जयो० १३/९३) अम्भोज (नपुं०) कमल, नीरज, जलज। 'श्रीमन्मुखाम्भोजवती बभार।' (सुद०३/२०) अम्भोजदूशी (वि०) कमलाक्षी कमलनयनी। अम्भोजमुखी (वि०) कमलमुखी (जयो० ६/१४) (जयो० १६/४०) अम्भोजिनी (स्त्री०) कमल वल्ली, जलज वल्लरी (जयो० १८/३२) अम्भोदः (पुं०) मेघ, बादल, नीरद। (जयो० २४/२२) अम्भोदसमूहः (पुं०) मेघ समूह, बादल समूह। अम्भोधर (वि०) मेघ धारक (वीरो० २१/११) अम्भोभरण (नपुं०) जल भरना, नीर वाहक। 'गोदोहनाम्भो भरणादिकार्य' (सुद०४/२२) अम्भोनिधिः (पुं०) समुद्र। अम्भोराशिः (पुं०) समुद्र, क्षीरधि। अम्भोरुह (नपुं०) कमल, जलज, नीरज। विमुद्गिताम्भोरुहनेत्र विन्दुमुख। (जयो० १५/४९) अम्मय (वि०) जलीय। अम्ल (वि०) [अम्+क्ल्+अच्] खट्टा, तीखा। अम्लकः (पुं०) बड़हट, लकुच। अम्लानि (वि०) सशक्त। अय् (अक०) प्रवेश करना, जाना, हस्तक्षेप करना। अयः (पुं०) शुभावह, श्रेष्ठ, मुख्य, प्रशस्त। (जयो० १४/४) For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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