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नाकाबंदी, नाकेबंदी
१८८
नागपाश प्रवेशद्वार, मुहाना, मार्ग का प्रारम्भ-स्थान । नागरि, नागारि--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मुहा०-नाका छकना या बाँधना- नाग-शत्रु, गारुड़, सिंह । “जिमि ससि चहै आने-जाने का रास्ता बंद करना या रोकना, नाग-परि-भागू - रामा०। कर या महसूल उगाहने की चौकी, थाने | नागकन्या-संज्ञा, स्त्री० यौ० ( सं०) नाग की चौकी, सुई का छेद।
___ जाति की बेटी जो अति सुन्दरी होती है। नाकाबंदी, नाकेबंदी-संज्ञा, स्त्री० यौ० नागकेशर, नागकेसर, नागकेसरी-संज्ञा, (हि. नाका-+बंदी फ़ा.) किसी मार्ग से पु० दे० (सं० नाग केशर ) एक पौधा जिसके
आने-जाने की रोक या रुकावट, प्रवेश-मार्ग फूल औषधि के काम आते हैं, नागचंपा, बंद करना।
" एला नागकेसर कपूर समभाग करिनाकिन-संज्ञा, स्त्री. (दे०) वह स्त्री जो कं० वि०। नाक के स्वर बोले, नकस्वरी, नकनकही नागगर्भ-संज्ञा, पु. यौ० ( सं० ) सिंदूर। (ग्रा०)।
नाग चम्पेय-संज्ञा, पु. (सं० ) नागकेसर । नाकिस-वि. (अ.) खराब, बुरा। । नागज-संज्ञा, पु. (सं०) सेंदुर, रंग।। नाकुली-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० नकुल ) सर्प
नागभाग* --संज्ञा, पु० यौ० (हि. नागविष-नाशक एक जड़ी।
__ माग) अफीम। माकेदार-संज्ञा, पु. दे. (हि. नाका+
नागदंत-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) हाथी दांत, फा० दार ) नाके या फाटक के सिपाही, कर
खूटी। या महसूल लेने वाला अफसर । वि० जिसमें
जसमे नागदंतक-संज्ञा, पु० यौ० { सं० ) घर में छेद हो।
लगे खुटे, ताखा, पाला। नाक्षत्र-वि० (सं० ) नक्षत्र-संबंधी। नाखना-स. क्रि० दे० ( सं० नष्ट ) नाश
नागदंती-संज्ञा, स्त्री. ( सं० ) विशल्या, करना, बिगाड़ना, ख़राब करना, फेंकना,
इंद्र बारुणी। गिराना । स० क्रि० दे० (हि. ताकना)
नागदमन-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) नागउलंघन करना। " हाथ चाप वाण ले गये। दौन ( द० पौधा)। गिरीस नाखिकै-रामा० ।
नाग दमनी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) छोटा नागनाखना, नाखुना-संज्ञा, पु. ( फा० ) एक दौना। नेत्र रोग विशेष ।
नागदौन-संज्ञा, पु० दे० (सं० नागदमन) एक नाखुश-वि० (फा० ) नाराज़, अप्रसन्न ।। छोटा पहाड़ी पौधा जिसके पास साँप नहीं संज्ञा, स्त्री. नाखुशो।।
आता, नाग दौना। नाखून-संज्ञा, पु० दे० (फा० नाखुन ) नख, ! नागनग-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) गजमोती,
नहँ। वि० नाखूनी-बहुत पतली रेखादार। (दे०) गज-मुक्ता।। नाग--संज्ञा, पु० (सं०) साँप, सर्प । नाग पंचमी - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) सावन स्त्रो०-नागिन । मुहा०-नाग खिलाना शुक्ला पंचमी, गुडिया (ग्रा.)। (पालना )-ऐसा कार्य जिसमें मरने नागपत--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) सर्पराज, का भय हो ( शत्रु पालना)। पाताल के वासुकी, हाथी राज, ऐरावात, नागेन्द्र । देवता, एक देश, पर्वत, हाथी, राँगा, सोसा, नागपाश-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) एक अस्त्र नागकेसर, पान, एक वायु, बादल, पाठ विशेष जिससे बैरियों को बाँध लेते थे की संख्या, बुरा मनुष्य, एक जाति । (प्राचीन)।
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