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भाग-फनी १८१
नागौरी बाग-फनी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (हि. नाग+ स्त्री, चतुर, प्रवीण स्त्री, देवनागरी लिपि या फन ) एक औषधि, कान का एक गहना।। भाषा, हिन्दी। वागफाँस-संज्ञा, पु० दे० यौ० ( सं० नाग+ नागलोक-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) पाताल । पाश) नाग-पाश । '' नाग-फाँस बाँधेसि लै नाग-वंश-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शक जाति गयऊ"-रामा०।
की एक शाखा जिसका राज्य भारत में कई नाग-बला -- संज्ञा, स्त्री० (सं० ) गँगेरन जगह था।। (औष०)।
नागवल्ली, नागवल्लरी- संज्ञा, स्त्री० यौ० नाग-बेल-संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० (सं० नग (सं० ) पान, नागरबेल, नागबेल । बल्लो) पान, पान की बेल ।
नागधार - वि० ( फा० ) असह्य, अप्रिया। नागभाषी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) पाताल नागा--संज्ञा, पु० दे० (सं० नग्न ) नंगा। की बोली, प्राकृतिभाषा।
संज्ञा, पु. (अ. नाग ) अासाम की भाग-माता-संज्ञा, स्त्री. ( सं० ) नागों की पहाड़ी के जंगली मनुष्य, उनकी पहाड़ी।
माँ-कद जो कश्यप की स्त्री है ! 'नागमाता संज्ञा, पु० दे० ( सं० नागः ) अन्तर, बीच, निषूदिता"-वा. रामा।
गैरहाज़िरी । “ पढिबे मैं कबहूँ नहीं, नागा नागर-वि० (सं० ) शहर या नगर-वासी। करिये चूक"-. । संज्ञा, पु. (सं०) नगर-वासी चतुर मनुष्य,
नागाहा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) नागदौना, मरुमा सभ्य, निपुण, शिष्ट, देवर, गुजराती ब्राह्मणों (प्रान्ती० ) नागदमन । की एक नाति । स्त्री. नागरी।
नागारि-संज्ञा, पु. यौ० (सं० ) गरुड़, नागरता-संज्ञा, स्त्री० ( सं० ) शहरातीपन, नकुल, न्याला, मार । " नागारि-बाहन सभ्यता, चतुरता । "हँसै सबै कर ताल दे,
सुधाब्धि-निवास शौरे"-शं० । नागरता के नाउँ'---वि० ।
नागार्जुन-संज्ञा, पु. ( सं० ) एक प्राचीन नागर-घेल-संज्ञा, स्त्री० यौ० द० (सं० नाग
बौद्ध महात्मा।
नागाशन-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) गरुड़, मोर, बल्ली) पान,नागर बेली।
सिंह। नागर-मुस्ता -संज्ञा, स्त्री. (सं०) नागर
। नागिन-नागिनि-नागिनी-संज्ञा, स्त्री. (हि. मोथा।
नाग) साँपिनी, साँपिन, नाग की स्त्री, नागर-मोथा-संज्ञा, पु० दे० (सं० नागर
मनुष्य प्रादि के पीठ की लम्बी लोमपंक्ति मुख्ता ) एक जड़ी (औष०)।
(अशुभ)। नागराज-संज्ञा, पु. यौ० ( सं०) शेष नाग, नागेन्द्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) बड़ा साँप, शेष ऐरावत, नागेश, एक छंद (पि.)।
| नाग, वासुकी, ऐरावत, नागेश, नागेश्वर । नागरिक-वि० (सं०) नगर का, नगर- नागेसर-संज्ञा, पु० दे० ( सं० नागकेशर ) वासी, शहराती, सभ्य, चतुर।
नागकेशर, नागेश्वर, शेष । नागरिकता-संज्ञा, स्त्री. (सं०) चतुरों नागोद-संज्ञा, पु. (द०) छाती का कवच । के द्वारा संग्रह होने की दशा, चतुरता, नागौर-संज्ञा, पु० दे० (हि. नव+नगर ) शहरातीपन।
एक शहर । नागरिपु-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) नकुल, ! नागौरी-वि० दे० (हि. नागौर ) नागौर न्योला, मोर, गरुड़, सिंह, नागारि। का बैल । वि० स्त्री० (दे०) नागौर-सम्बन्धी नागरी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) नगर-निवासिनी गाय या असगंध ।
जय चतर।
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