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नमनीय
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नमनीय - वि० (सं०) झुकने या नम्र होने योग्य, माननीय, आदरणीय, पूजनीय । नमस्कार - संज्ञा, पु० (सं०) प्रणाम, अभिवादन, नमस्ते ।
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नमस्ते -- (सं०) श्राप को नमस्कार है। मैं तुमको नम्र होता या झुकता हूँ । नमस्ते भगवन् भूयो देहि मे मोत्तमव्ययम् " | नमाज़ - संज्ञा, स्त्री० ( फ़ा० मि० सं० नमन ) मुसलमानों की ईश्वर प्रार्थना या संध्या । मुहा० - नमाज़ पढ़ना ( अदा करना) । नमाज़ी - संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) नमाज़ पढ़ने वाला, ईश्वर - बन्दना या प्रार्थना करने वाला । नमाना स० क्रि० दे० ( सं० नमन ) किसी वस्तु को झुकाना, लचाना, लचकाना, नवाना, किसी को दबाकर अपने अधीन
करना ।
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नमाम: - स०क्रि० (सं०) हम प्रणाम करते हैं । नमित- वि० सं०) झुका हुआ, नीचा । "बैठि नमित मुख मोर्चात सीता" रामा०| नमिस - संज्ञा, स्त्री० [फा० नमिश्क ) बनाया हुआ दूध का फेन !
नमी - संज्ञा, स्त्रो० (फ़ा०) श्रार्द्रता, गीलापन, भीगा ।
नमन्त्रि - संज्ञा, पु० (सं०) एक ऋषि, शुंभ, निशुंभ का छोटा भाई, एक दैत्य । नमूना - संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) बानगी, ठाठ, ढाँचा, खाका । " है नमूना बानगी अटकल वयास " - खालि० ।
नम्र - वि० (सं०) झुका हुआ, विनीत, नम्रता
वाला ।
नम्रता - संज्ञा, स्त्री० (सं०) नम्र होने का भाव, विनय ।
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नयाम
(दे०), आँख, नेत्र, चतु, ले जाना । " गिरा अनयन नयन बिनु बानी - रामा० ।
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नयन गोचर -- वि० यौ० (सं०) संमुख, समक्ष,
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आँख
प्रत्यक्ष । सो नयनगोचर जाहि श्रुति नित नेति कहि कहि ध्यावहीं "-- रामा० । नयनपत्र - संज्ञा, पु० (सं०) नेत्र- पटल, की पलक, लोचनपट | नयनपुरि- नयनपुतरी - नैनप्रतरी-संज्ञा, पु० दे० यौ० ( सं० नयन + हि० पुतरी, सं० पुत्रिका, पुत्तली, पुत्री ) आँख की पुतली । नयना - ० क्रि० दे० (सं० नमन ) झुकना, नम्र होना, नमना | संज्ञा, पु० दे० (सं० नयन) नैना, नेत्र, आँख |
नयनागर - वि० (सं०) नीति में निपुण या " बोले वचन राम नयनागर " - कुशल ।
रामा० ।
नयनी - संज्ञा, स्त्री० (सं० नयनीत ) मक्खन, नैनू, एक पतला महीन वस्त्र | वि० स्त्रो० (सं०) नेत्रवाली जैसे - मृगनयनी ।
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नयनू -- संज्ञा, पु० दे० (सं० नवनीत ) नेनू (ग्रा० ), मक्खन, नैनू, नेत्र ।
नयर - संज्ञा, पु० दे० ( सं० नगर ) नगर, शहर ।
नयशील - वि० (सं०) निपुण | संज्ञा, स्रो०
नीति में कुशल या नयशीलता ।
नया
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- वि० दे० (सं० नव नवीन, हाल का बना नूनन । लो० - नये के नौदाम पुराने के छः । महा० - नया करना - फसिल पर पहले पहल अन्न खाना । नया पुराना होना - परिचित हो जाना, श्रये पर्याप्त समय होना । नया पुराना करना - पुराने को हटा कर उसके बदले नवीन करना ! नया संसार रचन- - नई बात करना, रकारी कार्य करना ।
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नय - संज्ञा, पु० (सं०) नीति, नम्रता, क़ानून, न्याय | संज्ञा, स्त्री० (सं० नद ) नदी । नयकारी संज्ञा, पु० दे०, वि० (सं० नृत्यकारी प्रधान, नचवैया, नचैया, नचनियाँ, नीतिकारक | नयन - संज्ञा, पु० (सं०) नैन, नयना, नैना नयाम - पंज्ञा, पु० ( फा० ) तलवार का स्थान ।
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नयापन - सज्ञा, पु० ( हि नया + पन प्रत्य० नवीनता, नूतनस्त्र ।