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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८० नर-नाहर - नर-संज्ञा, पु० (सं०) शिव, विष्णु, अर्जुन, नरकेसरी-नरकेशरी-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पुरुष, शंकु, लंब, सेवक, एक प्रकार का नरसिंह, नृसिंह, नर-नाहर, नरहरि । दोहा, छप्पय पिं०), नारायण के भाई। नरकेहरि-नरकेहरी-संज्ञा, पु. यो० (सं० 'नर नारायण की तुम दोउ" "नर के हाथ नरकेसरी ) नरसिंह. नृसिंह, नर-केसरी, नरमृत्यु निज बाँची"--रामा० । पती आदि नाहर । 'प्रगटे नरकेहरि खंभ महाँ'-तु.। में पुरुष ( विलो.--मादा ) । संज्ञा, पु. ' नरगिस-संज्ञा, स्त्री. ( फा०) एक पौदा. (हि. नल) पानी का नल । जिसके फूल से आँख की उपमा दीजाती है। नरकंत*-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० नरकांत) । नरतात-संज्ञा, पु० यो० (स०) राजा. नरपति। राजा। नरत्व--संज्ञा, पु० (सं०) नर होने का भाव, नरक-संज्ञा, पु० (सं०) नर्क, दुःखद, अपवित्र पुरुषत्व, मनुष्यता! नरद-संज्ञा, स्त्री. द. ( फा० नर्द) चौपर या गंदा स्थान । मुहा०--नरक धोना __ की गोट, नदे। संज्ञा. स्त्री० (सं० नद्दन = नाद) (उठाना)-मल-मूत्रादि धोना (फेकना)। नरकाधिकारी- वि० यौ० (सं०) नरक-योग्य, नाद, शब्द, ध्वनि । “फूटे ते नर्द उड़ जाति बाजी चौपर की" नरक जाने वाला । " सो नृप अवस नरक नरदन-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० नदन) धुनि या अधिकारी"-रामा । नाद करना, गरजना, नाँदना । नरकगामी-वि० (सं०) नरक जाने वाला। नरदहाना- संज्ञा, पु. (द०) पनाला, नाबनरक चतुर्दशी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं.) दान नाली, मैले पानी की मोरी, नरदवा, कातिक बदी चौदस या छोटी दिवाली, नरदहा (ग्रा.)। नरका-चौदस (दे०)। नरदा, नरदवा-- संज्ञा, पु. (दे०) पनाला, नरकचूर- संज्ञा, पु० दे० ( सं० नृकचूर ) एक नाबदान, मैले पानी की मोरी, नरदहा औषधि। (ग्रा.)। "जैसे घर को नरदवा भलो-बुरो नरकट-संज्ञा, पु० दे० (सं० नल ) नरकुल । बहि जाय"-तु०। नरकासुर-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) एक दैत्य, नरदारा-संज्ञा, पु. यौ० ( सं०) नपुंसक. जिसे विष्णु ने मारा था। क्लीव, हिजड़, कायर, डरपोक । नरकांतक - संज्ञा, पु. या० (सं०) विष्णु, नरदेव-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) राजा, ब्राह्मण । श्री कृष्ण, नरकारि। नरनाथ--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) राजा। नरकामय-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) नरक का नरनारायण-संज्ञा, पु० यौ० (सं.) विष्णु रोग, प्रेत, पिशाच, कुष्ट रोग।। के अवतार दो धर्म-पुत्र। "नर-नारायण की नरकी--संज्ञा, पु० दे० (सं० नरकिन )। तुम दोऊ,"-रामा। नारकी, नरक-योग्य, नरक-निवासी, पापी, नरनारि, नरनारी-संज्ञा, स्त्री. यौ० (सं०) मनुष्य की। " नरकी नर-काव्य करै नर अर्जुन की स्त्री, द्रौपदी। संज्ञा, यौ० (सं०) की'- स्फु० । स्त्री-पुरुष, शिव । नरककुंड-संज्ञा, पु. (सं०) कप्ट देने वाला नरनाह, नरनाहू - संज्ञा, पु० यौ० (सं० कुंड, कुकर्म का फल भोगने का केंद्र, नरनाथ ) राजा, "कद्द मुनि सुन नरनाह नाबदान, नरदा (दे०)। प्रवीना-रामा० । नरकुल-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मनुष्य जाति, नर-नाहर--सं० पु. यौ० दे० ( सं० नर-+ मनुष्य का वंश, (दे०) तृण विशेष, नरकट । नाहर हि० ) नर-सिंह, नृसिंह । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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