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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org निश अनिश -श्रव्य ० ( सं० ) निरंतर, सतत, सर्वदा, वि० (सं० ) रात्रि का अभाव । निश्चित - वि० (सं० ) जिसका निश्चय न हो, श्रनियत, अनिर्दिष्ट । अनिष्ट - वि० ( सं० ) जो इष्ट न हो, surfभलषित अवांछित, संज्ञा, पु० अमंगल, श्रहित, बुराई, ख़राबी, हानि, अनीठ( दे० ) । अनिष्टकर - वि० ( सं० ) अपकारक, हितकर, हानिकर | अनिष्टकारक - वि० ( ० ) हानिकारक | अनिष्टकारी - वि० (सं० ) अहितकारी, हानिकारी | अनिष्ठुर - वि० (सं० ) अनिर्दय, सरलचित्त, दयावान्, जो निष्ठुर या क्रूर न हो, निठुर (दे० ) | संज्ञा भा० स्त्री० प्रनिष्ठुरता – सदयता । अनिष्णता वि० (सं० ) अप्रवीण, अकृती, अपकार, अपटु, दक्ष । मनी - संज्ञा, स्त्री० (सं० अणि अग्रभाग, नोक ) पैना, नोक, सिरा, कोर, किसी वस्तु का अगला भाग, संज्ञा, स्त्री० (सं० अनीक - समूह ) समूह, झुंड, दल, सेना फ़ौज । संज्ञा, स्त्री० ( हि० थान - मर्यादा ) दृढ़ संकल्प वाला, मान-मर्यादा वाला, टेकवाला । अनीक संज्ञा, पु० (सं० ) सेना, फौज, समूह, कुंड, सैन्य, युद्ध, लड़ाई, कटक, योद्धा, वि० पु० ( हि० श्र + नीकअच्छा ) जो अच्छा न हो, बुरा, ख़राब, वि० [स्त्री० अनाकी-शनी, अनाका - ( ब्र० दे० ) । अनीकस्थ - संज्ञा, पु० (सं० ) सेना - रक्षक, हस्तिपक, राज-रक्षक, चिन्ह, अनीपति । नाकिनी - संज्ञा स्त्री० (सं० ) अक्षौहिणी सेना का दशांश, पद्मिनी, बरुथिनी । नाठक - वि० दे० (सं० अनिष्ट ) जो इष्ट न हो, अप्रिय, बुरा, ख़राब, स्त्री० अनोठी දාස් Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनु बुरी, " कोऊ श्रनीठी कहौ तौ कहो हमैं मीठी लागे "" - I अनीड़ वि० (सं० ) नीड़ या घोसले से रहित, बेघरबार । प्रनीति - अनीत - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) अन्याय, बेइंसाफी, शरारत, अंधेर, अत्याचार, दुराचार, दुर्नीति, । नोदृश - वि० (सं० ) तुल्य, समान, बेजोड़ | 33 अनीश - वि० (सं० ) बिना मालिक या स्वामी का, अनाथ, समर्थ, सर्व श्रेष्ठ, असहाय, संज्ञा, पु० विष्णु, जीव, माया, (दे० ) अनास " इस अनीसहि अंतर तैसे ' - रामा० ( अनी + ईश ) सेनापति । प्रनीश्वर - वि० (सं० ) ईश्वर भिन्न, नास्तिक, ईश्वर या स्वामी से रहित, ( अनी + ईश्वर ) सेनापति, चार्वाक । अनीश्वरवाद - संज्ञा, पु० (सं० ) - ईश्वर के अस्तित्व पर अविश्वास, नास्तिकता, मीमांसावाद, चार्वाक ऋषि का मत, जिसमें ईश्वर की सत्ता नहीं मानी जाती । अनीश्वरवादी - वि० (सं० ) ईश्वर को न मानने वाला, नास्तिक, मीमांसक, For Private and Personal Use Only भक्त, देव-निदक, चार्वाक मतानुयायी । अनीस — संज्ञा, पु० (सं० अनीश) श्ररक्षक, असहाय, अनाथ ( अनी + ईश ) सेनापति, सैन्य-रक्षक, एक हिंदी कवि | अनीह - वि० ( सं० ) इच्छा - विहीन, इच्छा न रखने वाला, निश्चेष्ट, निलोभ, आलसी, बोदा, ढीला, निष्काम । नीहा - संज्ञा स्त्री० (सं० ) अनिच्छा, उदासीनता । अनु - उप० (सं० ) एक उपसर्ग, किसी शब्द के पूर्व लग कर यह प्रायः १--पीछे जैसे- अनुगामी, अनुचर, २-सदृश.-जैसे - अनुकूल, अनुसार, अनुरूप - ३ साथ, जैसे -- अनुपान, ४ -- प्रत्येक, जैसे- अनुक्षण,
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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