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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अनुकंपा ५ - बरंबार जैसे अनुशीलन आदि का अर्थ देता है - अतः इसका अर्थ है, पीछे, पश्चात, सह, सादृश्य, लक्षण, वीप्सा, इत्थम्भाव, भाग, हीन, आयास समीप, ८६ 46 66 परिपाटी, अनुसार, अधीन, अव्य०३. हाँ, ठीक, क्रि० वि० अब, आगे, छाथ, अनुरागी तुम गुरु वह चेला " - प० । अनु पाँडे पुरषहिं का हानी" -- प० । (सं० अणु ) वि० अत्यन्त छोटा, महीन, लघुतम, कम, थोड़ा, संज्ञा, पु० (सं० ty ) करण, परिमाणु । अनुकंपा - संज्ञा स्त्री० (सं० ) दया, कृपा, अनुग्रह, सहानुभूति, हमदर्दी, करुणा, स्नेह | अनुकंपित - वि० (सं० ) जिस पर दया की गई हो, अनुगृहीत, अनुग्राह्य, कारुणिक, वेगवान | अनुकंप्य - वि० ( सं ) अनुग्राह्य, कृपापात्र । अनुकथन -- संज्ञा, पु० (सं०) कहने के बाद कहना, पश्चात कथन बारम्बार कथन, पारस्परिक वार्तालाप, अनुकूल कथन, पुनरुक्ति करना । अनुकरण - संज्ञा पु० (सं० ) देखादेखी कार्य, नकल, वह जो पीछे उत्पन्न हो या आवे, प्रतिरूप करण, अनुरूप या सदृश करण, उतारना । अनुकरणीय वि० ( सं० ) अनुकरण करने के योग्य । अनुकर्ता -- संज्ञा, पु० (सं० ) अनुकरण या नक़ल करने वाला, श्रज्ञाकारी, नकलची, स्त्री० [अनुकर्त्री । अनुकर्षा – संज्ञा, पु० (सं० ) श्राकर्षण, खींच-तान । अनुकार -- संज्ञा, पु० (सं० ) अनुकरण | अनुकारी -- वि० (सं० अनुकारिन् ) अनुकरण करने वाला, नक़ल करने वाला, • श्राज्ञाकारी । स्त्री०, अनुकारिणी । भा० श० को० 1 १०-१२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुक्रमणिका 66 अनुकू - वि० (सं० ) मुधाफ़िक़, पक्ष में रहने वाला, अनुसार, सहायक, प्रसन्न, सदा रहैं अनुकूल " संज्ञा, पु० वह नायक जो एक ही विवाहिता स्त्री में अनुरक्त हो, एक प्रकार का अलंकार जिसमें प्रतिकूल से अनुकूल वस्तु की सिद्धि दिखलाई जाती है, ( काव्य शास्त्र ) क्रि० वि० तरफ़, श्रोर " चली बिपति बारिधि अनुकूला रामा० । अनुकूलता संज्ञा स्त्री० (सं० ) प्रतिकूलता, अविरुद्धता, पक्षपात सहायता, प्रसन्नता अनुकूल्य ( संज्ञा, भा० ) । अनुकूलना - स०, क्रि० (सं० अनुकूलन ) arre होना, हितकर होना, प्रसन्न होना, पक्ष में होना, मध्यरात बिराजत प्रति अनुकूल्यो देव, अनुकूले और फूले देव० । "" तौ कहा सरो "" - जाम० । 33 For Private and Personal Use Only मु- अनुकूल होना या रहना - प्रसन्न या पक्ष में होना । अनुकूल पड़नामुत्राफ़िक होना । अनुकूल जाना --- पक्ष में हो जाना । अनुकूल चलनाइच्छानुसार या श्राज्ञानुसार चलना । अनुकूल पाना या देखना - पक्ष में या प्रसन्न पाना । "" अनुकृत वि० (सं० ) अनुकरण या नकल किया हुआ । अनुकृति - संज्ञा स्त्री० (सं० ) देखादेखी कार्य, नक़ल, एक प्रकार का काव्यालंकार जिसमें एक वस्तु का कारणान्तर से दूसरी वस्तु के अनुसार हो जाने का कथन किया जाय । अनुक्तवि० (सं० ) अकथित, बिना कहा हुआ, स्त्री० अनुक्ता- न कही हुई । अनुक्रम - संज्ञा, पु० (सं० ) क्रमानुसार, सिलसिला, परिपाटी, रीति-भाँति, यथाक्रम, श्रनुपूर्वी । अनुक्रमणिका संज्ञा, स्त्री० (सं० ) क्रम, सिलसिला, सूची, फ्रेहरिश्त निघंटु, 3
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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