SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 972
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धूपघड़ी धूटि प्रकाश और ताप, घाम । मुहा०-धूप धूम-धड़का (धड़ाका)-संज्ञा, पु. दे. खाना ( लेना)--धूप में बैठना या खड़ा यौ० (हि. धूमधाम) धूम-धाम, ठाट-बाट, होना। धूप चढ़ना या निकलना-दिन भारी तैयारी, समारोह, प्रायोजन । चढ़ना । धूप दिखाना-धूप में रखना, धूमधाम--संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. धूम+धामधूप लगने देना । धूप में बाल या चड़ा अनु०) गट-बाट, समारोह, भारी तैयारी। सफ़ेद करना-अनुभव प्राप्त किये बिना धूमपान--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) गाँजा, तमाकू बहुत काल व्यर्थ बिता देना।। आदि का धुआँ लेना, किसी औषधि का धूपघड़ी-- संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० (हि. धूप -- धुआँ लेना, धूम्रपान । घड़ी ) धूप-द्वारा समय-सूचक यंत्र। धूमपोत संज्ञा, पु. यौ० (सं०) अग्नि-बोट, धूपछाँह-संज्ञा, स्त्री. यौ० दे० (हि० धूप - स्टीमर, वाष्प-शक्ति-संचालित नौका । छाँह ) एक ही जगह बारी बारी से दो रंग धूमर*- वि० दे० (सं० धूमल ) मलीन, दिखलाई देने वाला लाल-हरा कपड़ा। मलिन, धुएँ के रंग का। धूपदान- संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० धूप- धूमल, धूमला-धूमिला-वि० दे०(सं० धूमल) प्राधान ) धूप जलाने की डिबिया या पात्र, मलीन, मैला, मटमैला, धुएँ के रंग का । अगियारी । सी. धृपदानी। धूमावती--संज्ञा, स्त्री० (सं०) एक देवी। धूपना*-अ० क्रि० दे० ( सं० धूपन ) धूप धूमिल, धूमिला*- वि०, दे० (सं० धूमल) देना, सुगंधित पदार्थ जलाना । क्रि० वि० दे० मैला, धुएँ के रंग का। (दे०)सुगंधित वस्तु जला कर धुआँ पहुँचाना, | धून-वि० (सं०) धुएँ के रंग का । संज्ञा, पु. सुगंधित धुएँ में बसाना या सुगंधित करना, (सं०) लाल-काला मिला हुआ रंग, शिलास. क्रि० दे० ( स० धूपन == श्रांत होना) जीत (औष०) एक दैत्य, शिव, भेंड़ा। दौड़ना, हैरान होना, जैसे-दौड़ना-धूपना ।। धूम्रवर्ण-वि० यौ० (सं०) धुएँ के रंग का । धूपबत्ती--- संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० ( हि. धूप धूर-धूरि*1-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. धूल ) + बत्ती ) सुगंधित पदार्थ लगी सींक या धूलि, धूल । " धूसर धूर भरे तनु पाए" --रामा० । बत्ती जिसके जलाने से सुगंधित धुआँ धूरजटी 48 - संज्ञा, पु० दे० । सं० धूर्जटि) फैलता है, अगरबत्ती। शिव जी, धूर्नटी। धूम-संज्ञा, पु० (सं०) धुश्राँ, अनपच डकार, धरत*--वि० दे० (सं० धूत ) धूर्त, ठग, धूम केतु, उल्कापात । संज्ञा, स्त्री० (धूम = | छली, कपटी, चालाक । धुआँ ) जन-समूह के शोर-गुल मचने का धूरधान --- संज्ञा, पु० यौ० दे० (हि. धूर+ ढंग, रेल-पेल, हलचल, उपद्रव, धाँदोलन, धान) धूलि की राशि, गर्द का ढेर या टीला, उत्पात, ऊधम । मुहा०-धूम डालना । विनाश, ध्वंस, बंदूक । स्त्री०-धूरधानी । ( मचाना)-उपद्रव या ऊधम करना । धूरा- संज्ञा, पु० दे० (हि. धूर) धूलि, धूल, ठाट-बाट, कोलाहल, भारी आयोजन, चूर्ण, बुकनी। मुहा०--धूरा करना या प्रसिद्धि, ख्याति । देना-शरीर में कोई रोग होने पर सोंठ धूमकधैया, धम्मकधैया-संज्ञा, स्त्री० दे० श्रादि का चूर्ण मलना। ( हि० धूम ) उछल-कूद, उत्पात. ऊधम, धूरि*- संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० धूलि ) धूल, हल्ला-गुल्ला। धूलि, धृली। धूमकेतु-संज्ञा, पु० (सं०) आग, अग्नि, केतु- धूर्जटि-संज्ञा, पु० (सं०) शिव, धूर्जटी। ग्रह. पुच्छलतारा, शिवजी। ! "गुन धूर्जटी वन पंचवटी"--राम। भा० श. को०-२१ For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy