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प्रनित्य
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अनित्य - वि० (सं० ) विनाशी, झूठा, क्षणिक, अस्थायी, नश्वर, ध्वंसशाली, नाशवान, जो स्वयं कारण रूप हो कार्य रूप न हो, असत्य, प्रनित (दे० ) । प्रनित्यता - संज्ञा, भा० स्त्री० (सं०) चिरस्थायिता, नश्वरता अस्थिरता ।
प्रनित्यतावादी - संज्ञा, पु० (सं० ) जो किसी पदार्थ को स्थायी या नित्य नहीं मानता, बौद्ध विशेष, अनित्यावाद - संज्ञा पु० (सं० ) प्रत्येक पदार्थ को क्षणिक और नश्वर मानने तथा किसी पदार्थ को शाश्वत और नित्य न मानने वाला सिद्धान्त । अनित्यसम - संज्ञा, पु० (सं० ) तर्क न करके केवल उदाहरण के द्वारा प्रतिपादन करना-( न्याय ) |
प्रनिंद* - वि० दे० (सं० अनिंद्य ) जो निंदनीय न हो, न निंदनीय | अनिंदक - वि० (सं० ) जो निंदा करने वाला न हो ।
प्रनिंदित - वि० (सं०) गर्हित, लांछित,
उत्तम, प्रशस्त ।
निंदनीय - वि० (सं० ) जो निंदा के योग्य न हो । अनिंद्य - वि० योग्य न हो, निर्दोष, उत्तम, अच्छा,
पु० (सं० ) जो निंदा के
/ प्रशस्त ।
अनिद्र - वि० (सं० ) निद्रा - रहित, जिसे नींद न थावे, संज्ञा, पु० (सं०) नींद न थाने का रोग विशेष ।
निप - संज्ञा, पु० (हि० अनी - सेना + प० = स्वामी ) सेनापति, सेनाध्यक्ष, अनीपति सेना नायक सैन्य संचालक | अनिपुण - वि० पु० (सं० ) अकुशल, अपटु, जो निपुण न हो, अदक्ष, निपुन(दे० ) स्त्री० निपुणा । प्रनिपुणता - संज्ञा, भा० स्त्री० (सं० ) अपटुता, श्रदक्षता ।
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अनियायी
निमा * - संज्ञा, स्त्री० (सं० अणिमा ) योग से प्राप्त एक प्रकार की सिद्धि या शक्ति । छोटे होने की शक्ति |
अनिमित्त- वि० (सं० ) निमित्त या हेतु - रहित, निष्कारण, बिना निमित्त या कारण के । अनिमित्तक - वि० (सं० ) अहेतुक, निष्प्रयोजन, अकारण । अनिमिष - वि० सं० ) स्थिर दृष्टि, निमिष-रहित, टकटकी लगाये हुये, क्रि० वि० बिना पलक लगाये हुये, एकटक निरंतर, संज्ञा, पु० देवता, मत्स्य, मछली, सर्प । निमिषाचार्य - संज्ञा, यौ० पु० (सं० ) देवगुरु वृहस्पति | अनिमेष - वि० क्रि० वि० (सं० ) देखो अनिमिष |
अनियंत्रित - वि० (सं० ) प्रतिबंध -रहित, बिना रोक-टोक का. मनमाना अनिवारित, शासित, स्वेच्छाचारी, संज्ञा, पु० (सं० ) नियंत्रण - संज्ञा पु० (सं०) स्वेच्छाचार, नियंत्रण रहित ।
प्रनियत - वि० (सं० ) जो नियत या निश्चित न हो, अनिश्चित, स्थिर, अहद,
परिमित, असीम, अस्थायी, अनित्य । प्रनियम - संज्ञा, पु० (सं० ) नियमाभाव, व्यतिक्रम, अव्यवस्था, विधान-रहित, अनिश्चय । प्रनेम - (दे० ) । अनियमित - वि० (सं० ) नियम-रहित, व्यवस्थित, बेकायदा, अनिश्चित, निर्दिष्ट, निर्धारित, जो नियम बद्ध न हो, जो नियमानुकूल न हो । अनियाई - वि० दे० (सं० अन्यायी ) न्यायी, बदमास, नियारी ( प्रान्ती० ) । नियाउ – संज्ञा, पु० (सं० अन्याय ) दे० अन्याय, अनीति, अनाचार, प्रन्यावश्रनियाव दे० ।
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अनियायी - वि० दे० ( सं० अन्यायी ) शरारती, बदमाश, अन्यायी, संज्ञा, पु० प्रनियाव - (दे० ) अन्याय ।
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