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धवल
धाइ-धाई धवल-वि० (सं०) उज्वल, स्वेत, निर्मल, । धसमसाना -अ० कि० दे० (हि. धंसना) सुन्दर धौल (दे०) । संज्ञा, स्त्री. धवलता। धसना, नीचे बैठना या घुस जाना। "ौ "धवल धाम ऊपर नभ चंबत"-रामा० । धरती तर में धसमसी"-पद० । धवलगिरि, धवलागिर-संज्ञा, पु. यौ० | धसान-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. सान ) (सं० धवल+गिरि) धौलागिर, हिमालय, घलान, ढाल । संज्ञा. स्त्री० दे० (सं० दशाण) पहाड़ की एक चोटो।
एक छोटी नदी (बुंदे०)। धवलता-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) उज्वलता। धाँगड़-धाँगर - संज्ञा, पु० (दे०) भूमि खोदने धवलना-स० क्रि० दे० (सं० धवल) उजला का उद्यम करने वाली एक जाति, एक या प्रकाशित करना या चमकाना, स्वच्छ अनार्य जाति । और सुन्दर करना।
धाँधना-स० क्रि० (दे०) किसी जीवधारी धवला-वि० स्त्री० (सं०) उजली, साफ, को किसी कोठरी या पिंजरे में बंद करना, सफ़ेद । संज्ञा, स्त्री० सफ़ेद गाय ।
बेंड़ना, ज़्यादा खा जाना। धवलाई*-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० धवल | धाँधल, धाँधला-संज्ञा, पु० (अनु०) उपद्रव,
+पाई-प्रत्य० ) सफाई, उज्वलता, सफ़ेदी । ___ उधम, झगड़ा, झंझट, फरेब, नटखटी, धवन्ताख्य-संज्ञा, पु० (दे०) पियाज, प्याक । अंधेर, उतावली। धवली-संज्ञा, स्त्री० (सं०) उजली गाय ।। धाँधलपन, धाँधलापना—संज्ञा, स्त्री० दे. धवलीकृत-क्रि० वि० (सं.) उज्वल किया (हि. धांधल-पन–प्रत्य०) दगा या धोखेहुधा, धवलीमत, शुक्लीकृत ।
बाजी, बदमाशी, अंधेर, अन्याय, उपद्रव, धवा-संज्ञा, पु० (दे०) कहारों की एक जाति।। नटखटी, अत्याचार । धवाना-स० क्रि० दे० (हि. धाना का प्रे० रूप)
धांधलीबाजो-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० धाँधला) दौड़ाना, भगाना, जल्दी जल्दी चलाना। | अत्याचार, अधाधुन्धी, अंधेर । वि० दे० " जात तुरंग धवाये"- रघुराज। धाँधलेबाज़ । धस-संज्ञा,पु० दे० (हि. धंसना = पैठना) पानी
धाँधली-संज्ञा, स्त्री० (हि. धाँधल + ई
प्रत्य० ) उपद्रव, अंधेर, अत्याचार, अन्याय, इत्यादि में पैठना या घुसना, डुबकी, गोता।
स्वेच्छाचार, धोखा। धसक-संज्ञा, स्त्री० दे० (अनु०) सूखी खाँसी, |
घाँय-धाय-संज्ञा, स्त्री. (अनु०) तोप ठसक । संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. धसकना )
बन्दूक के छूटने या जलने का शब्दाभास, धसकने का भाव या कार्य, डाह, द्वेष, ईर्ष्या।
धड़ाका। धसकना-अ.क्रि० दे० (हि. धंसना) नीचे
धाँस-संज्ञा, स्त्री० ( अनु० ) किसी पदार्थ की ओर किसी वस्तु का बैठ जाना, ईर्ष्या
की अति तीषण गंध, जैसे लाल मिर्च की। या डाह करना, डरना। "उठा धसकि जिउ
धाँसना-अ० क्रि० (अनु० ) पशुओं का भौ सिर धुना"-- पद।
खाँसना। धसना-अ० क्रि० दे० (सं० ध्वंसन ) मिटना, । धा-वि० (सं०)किसी पदार्थ का धारण करने ध्वस्त या नष्ट होना। --अ० कि० दे०
या उठाने वाला। प्रत्य० (सं० दे०) भाँति, (हि. धसना ) घुसना, किसी वस्तु का नीचे
विधि, चतुर्धामुक्ति, चहुँधा (ब्र०)। संज्ञा बैठ या घुल जाना।
पु० (सं० धैवत) धैवत स्वरा । (संगी०)। धसनि-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. फँसनि ) धाइ-धाई- संज्ञा, स्त्री० दे० ( धात्री) धात्री, धसनि, नीचे पैठने की क्रिया ।
उपमाता, दूध पिलाने वाली दाई । पू० का०
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