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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धर्मशास्त्र धवरा, धौरा (सं०) वह घर जो परदेशी यात्रियों के ठहरने धर्मार्थ-क्रि० वि० यो० (सं०) धर्म या पुण्य के हेतु बनवाया गया हो। या परोपकार के हेतु जो कुछ किया नावे । धर्मशास्त्र-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) धर्म के | संज्ञा, पु. यौ० (सं०) धर्म और अर्थ । तत्व की विवेचना का ग्रंथ । धर्मावतार--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) साक्षात धर्मशास्त्री-संज्ञा, पु. यो० (सं०) धर्मशास्त्र | धर्मस्वरूप, धर्मात्मा, न्यायाधीश, राजा का ज्ञाता तथा धर्मशास्त्रानुसार व्यवस्था युधिष्ठिर। देने वाला, धर्मशास्त्रज्ञ । धर्मासन-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) न्यायाधीश धर्मशील --वि० (सं०) धर्मप्रकृति, धर्मभक्त, की गद्दी या कुरसो। धर्मात्मा । संज्ञा, स्त्री. धर्मशीलता। "सुनु । धर्मिणी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) पनि। वि० (सं०) सठ धर्मसीलता तोरी "-रामा० । धर्म करने वाली । धर्मसंहिता-संज्ञा,स्त्री० या० (सं०) स्मृति ग्रंथ, धर्मिष्टः-वि. (सं०) धर्मात्मा, सजन, कर्तव्याकर्तव्य या रीति-नीति-सूचक ग्रंथ । धार्मिक धर्म-कर्म करने वाला। धर्मी- वि० सं० धर्मिन् ) धर्मात्मा, धार्मिक, धर्मसभा-संज्ञा, स्त्री० यो० (सं०) न्यायासभा, न्यायालय, अदालत, कचहरी। धर्म का मानने वाला । स्त्री. धर्मिणी। धर्म-संकट - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) दो समान धपिदेशक-संज्ञा, पु. यो. (सं०, धर्म शिक्षक, धपिष्टा । संज्ञा, पु. यौ० कर्तव्यों में एक का निश्चय न कर सकना, धर्मापदेश। दुविधा, असमंजस । धर्ष-संज्ञा, पु. (सं. धर्षण ) अपमान, धर्मसारी-संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० (सं. अनादर, थाक्रमण, धावा, दवोचना, दबाने धर्मशाला ) धर्मशाला, यात्री-मन्दिर। या दमन करने की क्रिया। " रिपु-बल धर्मसूत्र-संज्ञा, पु. (सं०) महर्षि जैमिन धर्षि, हर्षि हिय" - रामा० । प्रणीत एक धर्म-ग्रन्थ । धषक-संज्ञा, पु० सं०) धर्षण करने वाला। धर्माशु-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सूर्य, भानु । धषण- संज्ञा, पु० (सं०) अपमान, अनादर, धर्माचार्य -- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) धर्मशिक्षक आक्रमण, धावा, चढ़ाई दबोचना । वि०या उपदेशक, गुरु। धर्षणीय, धर्षित। धर्मात्मा - वि० यौ० (सं० धर्मात्मन् ) धार्मिक, धषणा-- संज्ञा, स्त्री० (सं०) अपमान, अनाधर्मशील, धर्मनिष्ठ । दर, अवज्ञा, सतीत्व-हरण । धर्माधिकरण-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) न्याय धर्षित-वि० (सं०) अपमानित, पराजित । भवन, न्यायालय, कचहरी।। धर्षा—वि० (सं० धर्षिन् ) दबोचने, आक्रधर्माधिकारी-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) न्याया मण करने, हराने वाला, अनादर करने या धीश, न्यायाध्यक्ष । नीचा दिखाने वाला । स्त्री. धर्षिणी । धर्माध्यत-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) न्याया धव-सज्ञा, पु. (सं.) धवा (दे०), एक धीश, दानाध्यक्ष, धर्माधिकारी। जंगली पेड़, पति, स्वामी । धर्मानुसरण-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) धर्म धवनी संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. धांकना) का पालन । धैांकनी, धमनी। -वि० (सं० धवल ) धर्मानुसार-संज्ञा, पु० (सं०) धर्म की रीति उज्वल, सफ़ेद । संज्ञा, स्त्री. (सं० धमनी) से । वि०-धर्मानुसारी-धार्मिक । नाड़ी, धमनी। धर्मारण्य-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) तपोवन, धवरा, धारा-- वि० दे० (सं. धवल ) ऋषि-माश्रम । सफेद, उज्वल । स्त्री. धवरी, धारी। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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