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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धंधकधोरी धकैत धंधकधारी-संज्ञा, पु. यौ० (हि० धंधक+ डर से हृदय धड़कना। जी धक हो धोरी ) सदा-सर्वदा काम में लगा या जुटा जाना-भय से हृदय का दहल जाना.चौंक रहने वाला, आगे रहने वाला । "धनि धर्म उठना। उमंग, चोप, उद्वेग । क्रि० वि० (दे०) ध्वज धंधक धोरी'- रामा० । एकाएक, अचानक, एकबारगी। संज्ञा, स्त्रो. धुंधरक-संज्ञा, पु० दे० ( हि० धंधा) कामः । (दे०) छोटी नँ । धंधे का जंजाल, आडंबर, छल । धकधकाना-अ० क्रि० दे० (अनु० धक) डर धुंधला, धाँधला-संज्ञा, पु० दे० (हि. धंधा) | या उद्वेग श्रादि से दिल का वेग या शीघ्रता झूठा ढोंग, अंधेर, छलछंद, कपट का आडंबर से कँपना, अग्नि दहकना, भभकना, धक धक बहाना। स्त्रो० धाँधली। विधाँधलेबाज। | शब्द करना । क्रि० वि० धकाधक, शीघ्र । धंधलाना-अ० कि० दे० (हि० धुंधला) छल धकधकी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( अनु० धक ) छंद करना, ढोंग रचना।। दिल या हृदय कीधड़कन, धकाधकी दुगधंधा-संज्ञा, पु० दे० (सं० धनधान्य ) उद्योग, दुगी (दे०)। मुहा० -- धुकधुकी धड़उद्यम, काम-काज, कारबार । कना-एकाएक या अकस्मात भय या धंधार-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. धूआँ ) लपट, खटका होना, छातो धड़कना । ज्वाला। धकपक-संज्ञा, स्त्री० दे० (अनु०) धकधकी। धंधारी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. धंधा) गोरख- क्रि० वि० (दे०) डरते या दहलते हुये । धंधा, उलझन । धकपकाना, धुकपुकाना-अ० कि० दे० धंधार-संज्ञा, पु० दे० ( अनु० धायँ धायँ ) (अनु० धक) मन में डरना, दहलना, हिच. होली, आग की ज्वाला । कना, हिचकिचाना। धंसना-संज्ञा, स्त्री. (हि. सना ) पैठने | धकपेल, धकापेल - संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० या घुसने का ढङ्ग, घुसने की क्रिया या ढग, (अनु० धक+पेलना) रेलापेल, धक्कमधक्का, चाल, गति । धकापोइस (ग्रा.)। धंसना-अ० क्रि० दे० (सं० दंशन ) घुसना, घका, धक्का-18-- संज्ञा, पु० दे० (सं० धम, बैठना, गड़ना। मुहा०—जी या मन में हि० धमक) टक्कर, रेला, झोंका, चपेट, कसधूमना-दिल या चित्त में प्रभाव उत्पन्न मकस, दुख की चोट या श्रावात, संताप, करना। नीचे की ओर धीरे धीरे जाना विपति हानि । "धका धनी का खाय" या खिसकना, उतरना, बोझ से दब कर -कबी.। नीचे बैठ जाना। *अ० क्रि० दे० (सं० ध्वंसन) धकाना-स० कि० दे० (हि० दहकाना) नष्ट होना। धंसान-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. धंसना) उतार, सुलगाना, दहकाना । यो० धकधकाना। धकारा-संज्ञा, पु. दे. (अनु. धक) दलदल, ढाल। धंसाना -२० क्रि० दे० (हि. धंसना का प्रे० खटका, डर, आशंका, भय । रूप घुसाना, गड़ाना, प्रवेश करना, चुभाना, धकियाना-स. क्रि० दे० ( हि० धक्का ) पैठाना, नीचे की ओर करना। प्रे० रूप- | ढकेलना, धक्का देना, धक्कियान । धमवाना। धकेलना-स० क्रि० दे० ( हि० ढकेलना) धंसाव-संज्ञा, पु० दे० (हि. धंसना। धंसान।। ढकेलना, धक्का देना। धक-संज्ञा, स्त्री० दे० (अनु०) दिल के शीघ्र- धकैत---वि० दे० (हि. धक्का+ऐत-प्रत्य०) गामी होने का भाव या शब्द, ठोकर का धक्का देने या लगाने वाला । धक्कमधकाशब्द । मुहा०-जो धक धक करना- संज्ञा, पु० (हि० धक्का) धकापेल, धक्कामुक्की । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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