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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्वीपवती १४१ धंधक द्वीपपती-संज्ञा, स्त्री० (सं०) पृथ्वी, भूमि । द्वैतवादी-वि० (सं० तवादिन् ) द्वतवाद द्वीपधान्- संज्ञा, पु० (सं०) समुद्र, सागर। का मानने वाला । स्त्री. द्वैतवादिनी । द्वीपशत्र-संज्ञा, पु० (सं.) शतावरि औषधि। द्वैध-संज्ञा, पु. (सं०) सन्देह, संशय, द्विप्रकार, द्वीपसंभवा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) पिंड ! व्यंग्योक्ति, दो भाग, साझा । यौ० द्वैधीखजूर। ! भाघ । संज्ञा, स्त्री. द्वैधता । द्वीपस्थ - संज्ञा, पु. (सं०) द्वीप-निवासी- वैधी-करण- संज्ञा, पु० यौ० ( सं०) छेदन, द्वीप-वासी। । भेदन, खंड या टुकड़े करना। द्वीपिका-संज्ञा,स्त्री० (सं०) सतावरि (औष०)। वार(आषद्वैधीभाव-संज्ञा, पु. (सं०) विश्लेषण, द्वीपी-संज्ञा, पु० (सं०) बाघ, चीता । वि० अलगाव, पार्थक्य, परस्पर का विरोध । द्वीपका। द्वीप्य-संज्ञा, पु०(सं०) द्वीप में उत्पन्न, महा द्वैपायन- संज्ञा, पु. (सं० ) व्यास जी, एक भारत, भागवत, पुराणादि का लेखक ताल जहाँ अंत में दुर्योधन छिपा था । भगवान व्यास। द्वैमातुर-वि०, संज्ञा, पु० (सं०) दो माताओं द्वेष, द्वेष-संज्ञा, पु. (सं०) विरोध, शत्रुता, __ से उत्पन्न, गणेश जी, जरासंध, भगीरथ राजा। बैर, चिठ, डाह, ईर्षा, जलना, कुढ़न । द्वैमातृक-संज्ञा, पु. (सं.) नदी, ताल और द्वेषी- वि० (सं०) बैरी, शत्र, विरोधी। स्त्री वर्षा के जल-द्वारा जहाँ अन्न उत्पन्न हो उस देश के वासी, दो माताओं का पुत्र, भागीद्वेषिणी। रथ राजा। द्वेष्टा-- वि० (सं०) द्वेषकर्ता, द्वेषी, विरोधी। द्वैरथ-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) दो रथ-सवारों द्वेष्य-वि० (सं०) द्वेष करने योग्य, द्वेष का का परस्पर युद्ध। विषय, व्यक्ति या वस्तु । द्वैष- संज्ञा, पु० (सं०) बैर, विरोध, द्वेष । द्वैश-वि. (सं० द्वय ) दो, दोनों। द्वयंगुल-वि० यौ० (सं०) दो अंगुल । बैज*-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० द्विताया) दुइज, द्वचंजलि-वि० यौ० (सं०) दो अंजुरी (दे०)। दूज, वीज, तिथि। द्वयक्षर-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) दो वर्ण या द्वैत-- संज्ञा, पु. (सं०) दो का भाव, दो, अक्षर । यौ० द्वयक्षरावृत्त । युगुल, युग्म, निज-पर का भेद-भाव, अन्तर, द्वयणुक- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) दो परमाणु । भेद, भ्रम, दुविधा, अज्ञान । ( विलो०- द्वयर्थ - वि० (सं०) दो अर्थ या प्रयोजन, दो अद्वैत ) संज्ञा, स्त्री०-द्वैतता। अर्थ वाले शब्द या वाक्य, व्यंगोक्ति, श्लिष्ट, द्वैतज्ञ-द्वैतज्ञा-संज्ञा, पु० (सं० द्वैत++क- द्वयर्थक " एकाक्रिया द्वयर्थकरी प्रसिद्धा" प्रत्य०) द्वैतवादी-माया, ब्रह्मवादी द्वयात्मक-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) दो प्रकार द्वैतज्ञान-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) माया ब्रह्म पा(स) माया ब्रह्म- का, द्विविधि। ज्ञान, जीवेश्वरज्ञान । वि. द्वैतज्ञानी, द्वयाहिक-वि० यौ० (सं० ) दो दो दिन के द्वैतज्ञाता । संज्ञा, स्त्री. द्वैतज्ञता। अन्तर से होने वाला, ज्वरादि ।। द्वैतवाद - संज्ञा, पु० (सं०) माया-ब्रह्म वाद द्वौ-वि० (हि. दो+ऊ) दोनों । वि. (सं० या जीवेश्वर वाद। । दव) दावानल, वनागि। ध-हिन्दी और संस्कृत की वर्णमाला के धंधक-संज्ञा, पु० दे० (हि. धंधा) काम-धंधे तवर्ग का चौथा अक्षर या वर्ण । का बखेड़ा, जंजाल, आडंबर, छल, कपट । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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