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धड़ा, धरा पका-संज्ञा, पु० दे० (सं० धम, हि. धमक ) धइंग, धरंग-वि० दे० यौ० (हि. धड़+ झोंका, टक्कर, रेला, चपेट, कसमकस, शोक अंग ) नंगा, धडगा । यौ० नंग धडंग, पा दुख की चोट या आघात, हानि । नंगा-धडंगा। धक्कमधक्की-संज्ञा, स्त्री० (हि. धक्का) घड़-धर-संज्ञा, पु० दे० ( सं० धर ) हाथ, रेलापेल, ठेला-ठेजी : पु० धक्कमधका ।
पैर और शिर को छोड़ कर शरीर का शेष धक्कामुक्की-संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० (हि. भाग, डालियाँ और जड़ें छोड़ कर पेड़ का धक्का + मुक्का ) मुठभेड़, मारपीट, धक्कों और
शेष भाग । संज्ञा, स्त्री. ( अनु० ) किसी चूंसों की मार।
चीज़ के ऊँचे से गिरने का शब्द । मुहा०धगड़ा-संज्ञा, पु० दे० (सं० धप = पति ) धड़ से-बेधड़क, झट से । उपपति, मित्र, यार, दोस्त ।
धड़क, धरक-संज्ञा, स्त्री० दे० (अनु० धड़) धगधगनाst-अ० कि० दे० (अनु०) धड़
दिल के हिलने का शब्द, दिलका हिलना, कना, धकधकाना।
आशंका या भय के मारे दिल का काँपना, घगवरी-वि०दे०(हि० धगड़ा = मित्र) स्वामि- फड़कना, डर, खटका । यौ० बेधड़कप्रिया, पति की लाडिली या दुलारी, कुलटा। निडर, बिना संकोच । “ नरक निकाय की धगा, धागा--संज्ञा, पु० दे० (हि० धागा) धरक धरिवो कहा " - ऊ० श० । डोरा, सूत, तागा।
धड़कन-संज्ञा, खो० दे० (हि० धड़क) दिल धगोलना-अ० कि० (दे०) लोटना, लोट- का फड़कना, कँपना । धरकन (दे०) । पोट करना, करवट बदलना, छटपटाना। धड़कना - अ० क्रि० दे० (हि. धड़क ) दिल धचका-संज्ञा, पु० दे० ( अनु० ) धक्का, का फड़कना या उछलना या धक-धक करना । झटका, दचका।
मुहा०-छाती. जी, दिल धड़कना-डर घज-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० ध्वज ) बनाव,
से दिल का ज़ोर से जल्दी-जल्दी फड़कना, सजाव, सुन्दर रचना । यो०-सजधज - धड़-धड़ शब्द होना। शृङ्गार का साज-सामान, बनाव-चुनाव, . धड़का-सज्ञा, पु. ( अनु० धड़) हृदय की तैयारो, मोहनेवाली चाल, सुन्दर ढंग, बैठने धड़कन, पाशंका, खटका, धोखा। उठने का ढङ्ग, ठवन, नखरा, ठसक, शोभा। घड़काना-स० कि० दे० (हि. धड़क) धजभंग-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० ध्वजभंग), हृदय में धडकन उत्पन्न करना, जी धक २ एक प्रकार की नपुंसकता।
करना, दिल दहलाना, डराना, धड़ २ शब्द घजा-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० ध्वजा) पताका। पैदा करना । प्रे० रूप-धडकवाना। घजीला-वि० दे० (हि. धज + ईला -- धड़धड़ाना - स० कि० दे० ( हि० धड़क ) प्रत्य० ) सुन्दर, तरहदार, सजीला, धजी- धड़ २ शब्द करना, भारी पदार्थ के गिरने दार । स्त्री. धजोलो । मुहा-धजियाँ का सा शब्द। मुहा०-धड़धड़ाता हुआ उड़ाना-स० कि० यौ० दे० (हि.) -धड़ धड़ शब्द और अतिवेग के साथ, अपमानित या अप्रतिष्ठित करना, बदनामी बेखटके, बे संकोच. बेधड़क । या अयश करना, दुर्गति करना। | धड़ल्ला -सज्ञा, पु० दे० ( अनु० धड़ ) धजियाँ करना-स० कि० दे० (हि. बाग०) धड़ाका । मुहा-धड़ल्ले से या धड़ल्ले टुकड़े टुकड़े कर देना।
के साथ-बिना किसी रुकावट के, झोंक सें, धजी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० धटी) कागज़ भय या संकोच-रहित, बेधड़क या बेखटके । या कपड़े की लम्बी पट्टी, लोहे की चादर | घड़ा, धरा-संज्ञा, पु. (सं० धट) वाट, बटया लकड़ी के तहते की पट्टी, धजी (दे०)। । खरा । मुहा०-धड़ाकरना (बाँधना)
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