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देशांतर देशांतर - संज्ञा, पु. (सं० ) अन्य देश, देहपात-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) मौत, मृत्यु । परदेश, विदेश, किसी नियत मध्यान्ह रेखा देहरा-संज्ञा, पु० दे० (हि. देव+घर) देवालय। से पूर्व या पश्चिम की दूरी सूचक कल्पित | संज्ञा, पु. ( हि० देह ) मनुष्य का शरीर । रेखायें (भू.)।
देहरी देहली- संज्ञा, स्त्री० (सं० ) डेहरी देशाचार-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) देश का (ग्रा.), द्वार की चौखट के नीचे की चौकोर
आचार-व्यवहार, देश रस्म रीति भांति । लकड़ी। "ताकी देहरी पै गरि दै'-द्वि०। देशाटन --- संज्ञा, पु० चौ. (सं०) देश-भ्रमण, देहलो-दीपक - संज्ञा, पु. या० (सं०) देहली देशों की भिन्न-भिन्न-यात्रा।
पर का दीया जो भीतर बाहर दोनों ओर देशाधिप- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) राजाधिराज, प्रकाश करे, एक अलंकार जिसमें कोई शब्द दशाधिपति, महाराजा।
दो वाक्यों में चरितार्थ होता है। यौ०देशाधीश-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) राजा। देहली-दीपक-न्याय-दो तरफी बात । देशावर-- संज्ञा, पु० (हि. देश + फ़ा० पावर) वंहवंत-वि० (सं०) शरीरधारी, देहधारी, विदेश, वहाँ से पाया माल । सावर शरीरी, तनुधारी । संज्ञा, पु० जीवधारी, (दे०) । संज्ञा, पु० (दे०) परदेश, दूसरा देश । प्राणी व्यक्ति, देही। दंशिक-संज्ञा, पु. (सं०) गुरु श्राचार्य, देहवान् - वि० (सं० देहवत् ) तनुधारी, ब्रह्मज्ञान का उपदेशक गुरु ।
__ शरीरी, देही। दशी- वि० दे० (सं० देशीय) देशीय सं०), देहांत- संज्ञा, पु. यो० (सं०) मृत्यु, मौत । देश-सम्बन्धी, देश का बना, या उत्पन्न। हात-संज्ञा, पु. (फ़ा०) गाँव, ग्राम । वि० देसी (दे०)।
देहाती। देशोन्नति-संज्ञा, स्त्री. यो० (सं० ) देश | देहाती-वि० (फा०) ग्रामीण, गँवार, गाँव की बढ़ती, उन्नति, देशवासियों की सुखादि- का निवासी, गाँव का, असभ्य । वृद्धि ।
देहात्तरवादी-संज्ञा, पु. यो. (सं०) शरीर दस-संज्ञा, पु० दे० (सं० देश) देश, मुल्क । ही को श्रात्मा या जीव मानने वाला, चारवि० देसी । यौ० देस कोस।
वाक, नास्तिक । देसघाल-वि० दे० (हि० देश + वाला) देही-संज्ञा, पु. (सं० देहिन) जीव, पारमा । अपने देश का, स्वदेश का।
"देही कर्मानुगोऽवशः "-भाग० । दह- संज्ञा, स्त्री० (सं०) शरीर, तन, बदन ! दैउ दैव/-... संज्ञा, पु० दे० (सं० दैव) भाग्य, ( वि० दही)। मुहा०-देह छूटना- तकदीर, किस्मत दइउ, (ग्रा०)। "दैव दैव मृत्यु या मौत होना । दह छोड़ना-मरना। श्रालसी पुकारा"। देह धरना-जन्म लेना, उत्पन्न या पैदा दैजा-संज्ञा, पु. (हि० दायज ) दायज, होना, शरीर धारण करना। " देह धरे कर दहेज, दइजा, दाइजु (ग्रा०)। यह फल भाई."- राम । जीवन, शरीर दैत-संज्ञा, पु० (दे०) दैत्य (सं०) । का कोई अंग।
| दैतेय-संज्ञा, पु. ( सं० दिति ) दैत्य, दानव । देह त्याग-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मौत,मृत्यु। दैतन्द्र- संज्ञा, पु० (सं०) गंधक, दैत्यों के देह धारण-संज्ञा, पु. यो. (सं०) जन्म दैत्यराज |--"सिंदूर दैतेन्द्र राजा, मनः लेना, जीवन रक्षा, शरीर धारण।
शिलानाम्-वै०। देहधारी- संज्ञा, पु. (सं० देह धारिन) जीव- दैत्य -- संज्ञा, गु० (सं०) दानव, दैतेय, दइत धारी,शरीरधारी, देही। स्त्री० दहधारिणी।। (ग्रा.)। भा० श० को०-10
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