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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org दैत्यगुरु ३३० दैत्यगुरु -- संज्ञा, पु०या० (सं० ) शुक्राचार्य्यं । दैत्याचार्य्य - संज्ञा, पु०या० (सं० ) शुकाचार्य । दैत्यारि - संज्ञा, पु० ० (सं० ) विष्णु | दैत्याधिप-दैत्याधिपति - संज्ञा, पु० (सं० ) दैत्यराज | दैनंदिन - वि० यौ० (सं०) प्रतिदिन का, नित्य का | क्रि० वि० (सं०) प्रतिदिन, दिनोदिन | संज्ञा, पु० एक तरह का प्रलय (पु० ) दैन - वि० दे० ( हि० देना ) देनेवाला | to में जैसे- सुखदैन | संज्ञा, पु० दे० (सं० दैन्य ) कंगाली, निर्धनता, दीनता । दैनिक - वि० (सं०) हर रोज़ का, रोज़ाना, प्रतिदिन का । दैनिकी -- संज्ञा, स्त्री० (सं० ) प्रतिदिन का | दैन्य- संज्ञा, पु० (सं०) कगाली, दीनता, भक्ति या काव्य में श्रात्मदीनता-सूचक भाव, कादरता, कायरता । दैयत | संज्ञा, पु० दे० ( सं० दैत्य ) दैत्य | दैया t - संज्ञा, पु० (सं० देव) भाग्य, ईश्वर | मुहा० - दया दया करके- बड़ी कठिनता से। " कौन दुख दैया दैया सोचि उर धारय मैं " - ग्वा० । अव्य० (दे० ) अचरज, दुःख, भय, तथा शोक-सूचक शब्द ( प्रायः स्त्रियों में प्रयुक्त ) | A दैर्ध्य - संज्ञा, पु० (सं०) दीर्घता, लंबाई, बड़ाई विस्तार | "> दैव - वि० (सं०) देवता का संज्ञा, पु० (सं० ) भाग्य, परमेश्वर, होतव्यता होनहार आलसी पुकारा - रामा० । वि० देवी । मुहा० – दैव बरसना - पानी बरसना । दैव फटना - बहुत जोर से गर्जन- तर्जन के साथ वृष्टि होना । | दैवगति - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) दैवी घटना भाग्य, परमेश्वर की बात । 'दैवर्गात जानी नाहि परै " - वि० । दैवज्ञ -- संज्ञा, पु० (सं०) ज्योतिषी, गणिक । देवता संबंधी । अष्ट, विधाता, देव देव " Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दैवी दैवत - वि० (सं०) देवता-सम्बन्धी, देवसमूह | संज्ञा, पु० (सं० ) देवता की मूर्ति श्रादि । किञ्चिरं दैवत भाषितानि "" नैप० । दैवयोग - संज्ञा, पु०या० (सं०) संयोग, दैवात भाग्यवशात् । दैवलांक – संज्ञा, पु० (सं०) भूतभक्त, भूतसेवक । दैववश- दैववशात्- क्रि० वि० (सं०) कस्मात्, दैवयोग से, संयोगवशात् । देववाणी - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) श्राकाशवाणी, नभगिरा, संस्कृत भाषा । दैववादी - संज्ञा, पु० यौ० वि०, (सं०) भाग्यवादी, भाग्य के भरोसे पर रहने वाला सुस्त. थालसी, निरुद्यमी । संज्ञा, पु० यौ० (सं०) दैववाद | प्राप्त, देवविवाह -संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) श्राठ भाँति के व्याहों में से एक. जिसमें कन्या का पिता वर को कन्या एवं धन देता है । देवागत- वि० यौ० (सं० ) भाग्य से, दैवी, कस्मिक, दैव से दैवात् । देवात् क्रि० वि० (सं०) संयोग से, भाग्य से, दैव-योग से अकस्मात् । दैवाधीन - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) भाग्यवश ईश्वराधीन, हठात्कार | देवानुरागी -- संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) ईश्वर - प्रेमी या भक्त, भाग्य-प्रेमी, भाग्यानुसारी । दैवानुरोधी - वि० ० (सं०) दैव- वशीभूत. भाग्यानुवर्ती, भाग्य भरोसे, भाग्यवादी । देवायत - संज्ञा, पु० (सं०) दैवाधीन, भाग्या नुसार, अकस्मात् हठात् । दैविक - वि० (सं० ) देवकृत, देव-सम्बन्धी, देवों का । " दैहिक दैविक भौतिक तापा" - रामा० । देवी- वि० (सं०) देवकृत, देव-सम्बन्धी, प्राकृतिक, भाग्य या प्रारब्ध के योग से होने वाली बात, वाकस्मिक, सात्विक । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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