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देवसेना १२८
देशस्थ देवसेना-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) देवताओं देवोत्तर-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) देवताओं की फौज, प्रजापति की कन्या, सावित्री- को दिया हुआ धन या सम्पति । सुता, षष्टी।
देवोत्थान-संज्ञा, पु० (सं०) विष्णु का शेषदेव स्त्री-संज्ञा, स्त्री० (सं०) देवी। शय्या से उठना, कातिक सुदी एकादशी, देवस्थान-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) देवालय । दिठवन, देवथान (ग्रा.)। देवस्व-संज्ञा, पु० (सं०) देवतों का धन ।। दघोद्यान-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) देवतों के देवहूति-संज्ञा, स्त्री० (सं०) स्वायंभुव मुनि- बाग जो चार हैं, नंदन, चैत्ररथ, वैभ्राज, कन्या, कर्दम ऋषि की स्त्री, सांख्यकार, | सर्वतोभद्र, देव-वाटिका। कपिलमुनि की माँ।
देवोन्माद--संज्ञा, पु० यो० (सं०) एक प्रकार देवांगना-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) देवतों की | का उन्माद जिसमें मनुष्य पवित्र रहता है स्त्री, अप्सरा, देववधूटी।
सुगंधित फूलादि चाहता तथा संस्कृत देवा-वि० (हि० देना) देने वाला, ऋणी। बोलता है, (वैद्य०)। देवानां संज्ञा, पु० दे० (फा० दीवान) दीवान, | देवोपासना-देवापासन - संज्ञा, स्त्री० यौ० मंत्री, दरबार, कचहरी प्रबंधकर्ता। (सं०) देवपूजन, देवाराधन, देवार्चन । देवानांप्रिय-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) देवताओं देश--संज्ञा, पु० (सं०) महाद्वीप का वह भाग को प्रिय, मूर्ख, बकरा।
जहाँ एक ही जाति के लोग रहते हों, एक देवापि-संज्ञा, पु. ( सं०) ऋष्टिसेन सुत शासक एवं शासन-विधान वाला कई प्रान्तों शान्तनु राजा के बड़े भाई ।
और नगरों वाला भूभाग, जनपद राष्ट्र, जैसे देवारी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० दीपावली)
भारत, शरीर का कोई भाग, अंग । "भूषण दीवाली, दिवारी ( ग्रा० )।
सकल सुदेश सुहाये''-रामा० । यौ०देवार्पण - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) देवता के
देश-काल । स्थान, दिक। हेतु दान । वि० देवार्पित।
देशज-वि० (सं०) देश में उत्पन्न । संज्ञा, देवाल-देवारा--वि० दे० (हि० देना)
पु. (सं०) किसी प्रदेश के लोगों की बोल
चाल से उत्पन शब्द जो संस्कृत या अपदाता, दानी । संज्ञा, स्त्री० (दे०) दीवाल ।
भ्रंश न हो। देवालय----संज्ञा, पु. यो० ( सं०) स्वर्ग०
देशनिकाला-संज्ञा, पु० यौ० (हि०) देश से देव-मंदिर।
निकाल देने का दंड। देवी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) देवांगना, दुर्गा, पट- | देशभक्त-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) देश-सेवा
रानी, सुशीला स्त्री, ब्राह्मण स्त्री की उपाधि । | करने वाला, देश को कष्टों से छुड़ाने वाला। देवापुराण--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) एक पुराण | देशभाषा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) किसी जिसमें देवी के अवतारों, कार्यों और महिमा | देश की बोली या वाणी। का वर्णन है।
देशभिज्ञ-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) देश की देवी भागवत-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) एक अवस्था का जानने वाला, देश-वृत्तान्त वेत्ता। पुराण जिसमें १२ स्कंध और १८०० श्लोक देशमय-संज्ञा, पु. (सं०) देश-रूप, सारे हैं (जैसे भाग०)।
देश में व्याप्त या फैला हुया ! देवेन्द्र-संज्ञा, पु. यो० (सं०) इन्द्र । देशरूप-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) देश के अनु. देवया--वि० दे० (हि० देना+- ऐया-प्रत्य०) सार या योग्य, उचित, देशानुरूप । देने वाला, दिवैग्या ।
देशस्थ-वि० (सं०) देश में स्थित ।
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