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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org देवगण देवगण - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) देव- समूह, लग अलग देवतों के समूह | देवगति - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) स्वर्ग - प्राप्ति, मरण, मरने पर शुभ गति, स्वर्ग - लाभ | देवगायक - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) गंधर्व । देवगिरा - संज्ञा, स्त्रो० यौ० (सं०) देव-वाणी श्राकाश-वाणी । देवगिरि - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) सुमेरु या हिमालय पर्वत, रैवतक या गिरनार पहाड़, नगर । दौलताबाद ( प्राची० ) । देवगुरु - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) बृहस्पति । देवगृह - संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) देव मंदिर, देवालय, देवस्थान | देवठान, देवथान - संज्ञा, पु० दे० (सं० देवोत्थान ) दिठवन, देउठान कातिक सुदी एकादशी, जब विष्णु सो कर उठते हैं, दिठौन | देव-चिकित्सक - संज्ञा, पु० चौ० (सं० ) देव - धुनि - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) गंगा, नदी, भागीरथी, आकाशवाणी, देवध्वनि, देव-गिरा । अश्विनी कुमार, सुरवैद्य । देवधूय - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) गुग्गुल । देवनदी -संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) गंगा, सरस्वती, दृषद्वती नदियाँ । मंदार, पारिजात, कल्पवृत्त । देवतर्पण - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) ब्रह्मा, विष्णु आदि देवतों को जलदान या पानी देना । | देवता - संज्ञा, पु० (सं०) सुर, देव । देवतीर्थ - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) एक तीर्थ । देवतुल्य - वि० ० (सं०) देवता के समान । देवत्व - संज्ञा, पु० (सं०) देवता होने का भाव, धर्म या कर्म । २६ देवतरु- संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) देव- वृक्ष, देवनागरी-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) भारत देश की मुख्य लिपि या भाषा जिसे हिंदी भी कहते हैं, ब्राह्मी का विकसित रूप । देवदत्त - वि० यौ० (सं० ) देवता का दिया हुआ, देवता के लिये दिया हुआ | संज्ञा, पु० (सं० ) देवता को दी वस्तु, शरीरस्थ, पाँच पवनों में से जृंभाकारी एक, अर्जुन का शंख - " पंचजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनंजयः गीता० । "" देवप्रतिमा देवदाली-संज्ञा स्त्री० (सं०) बंदाल, घघर बेल ( प्रान्ती ० ) ।' देवदाली फलरसो नश्यते हंत कामलाम् " - ० । देवदासी - संज्ञा, स्त्री० ० (सं० ) वेश्या, दासी, मंदिरों में रहने वाली नर्तकी, अप्सरा । देवदूत - संज्ञा, पु० ० सं० ) देवतों का दूत, वायु । देव-देव-संज्ञा, पु० ० (सं०) इन्द्र, विष्णु, शिव, ब्रह्मा । देवद्वेश -- संज्ञा, पु०या० (सं० ) देवशत्रु, देवनिन्दक | देवधान्य- संज्ञा, पु० ० (सं० ) देवताओं का अन्न, देवान्न । देवदार देवदारु - संज्ञा, पु० यौ० (सं० देवदारु ) एक तेलदार पेड़, औषधि ।" देवदारु धना विश्वा, वृहती द्वैपाचनम् " वै० । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देवनाथ - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) इन्द्र, विष्णु शिव, देवपति, देवराज । देवनिन्दक - संज्ञा, पु० यौ० सं०) नास्तिक, पाखंडी । देवनि - संज्ञा, पु० ० (सं०) ईश्वर-प्रेमी, ईश्वर भक्त | देव पति - संज्ञा, पु० ० ( ० ) देवराज, इन्द्र, विष्णु । देवपथ - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) देवमार्ग, आकाश । देवपूजक - संज्ञा, पु० ० ( सं०) देवतों की पूजा अर्चा या श्राराधना करने वाला | देवपूजा - संज्ञा स्त्री० या ० (सं०) देवतों की पूजा अर्चा, सुर-पूजन, देवार्चन । देवप्रतिमा - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) देवता की मूर्ति । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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