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देखवैया
देवखात देखवैया–वि. ( हि० दिखवाना ) दर्शक, | छोड़ कर दूसरे का करा देना, सौंपना. हवाले
देखने वाला, दिखवैय्या, देखैया। । करना, थमाना, रखना, लगाना, डालना, देखा-वि० दे० (हि० दिखान ) दर्शन या | मारना, भोगना, भिड़ना, वंद या पैदा
अवलोकन किया, साक्षात्कार किया. विचारा। | करना, निकालना ( अनेक क्रियाओं के साथ देखाऊ, दिखाऊ--- वि० दे० (हि० दिखाना) | स० क्रि० के समान ) जैसे-रख देना । संज्ञा, झूठी तड़क भड़क वाला, बनावटी। दिखा- | पु० (दे०) ऋण, क़र्ज़, उधार का धन । वटी (दे०) देखने में सुंदर किन्तु कामदेमान*--संज्ञा, पु० दे० (फा० दीवान) का नहीं।
वज़ीर, मंत्री, दिवान । देखा-देखी-संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० ( हि० देमारना-स० क्रि० दे० यौ० ( हि० देना+ दिखाना ) साक्षात्कार । क्रि० वि० किसी को मारना) उठाकर पटकना, पछाड़ना।। देखकर उसका अनुसरण या नकल करना।। देय-वि० (सं०) दातव्य, देने योग्य । देखाना*-स० कि० दे० ( हि० दिखाना ) ( क्रि० ) दे। दिखाना, दिखराना, दिखलाना।
देर, देरी-संज्ञा, स्त्री० (फा० ) अतिकाल, देखाव, देखावट, दिखावट-संज्ञा, पु० विलंब । यौ०-देर-सबेर । दे० ( हि० देखना) ठाठ बाट, तड़क भड़क, | देव- संज्ञा, पु० (सं०) देवता, पूज्य ब्राह्मण निगाह की सीमा ।
राजादि का आदरार्थ शब्द या ऋषि देखावटी–वि० स्त्री० दे० (हि० दिखाना )। संज्ञा, पु. (फ़ा०, राक्षस, दैत्य, दानव ।
बनाव, ठाट-बाट, तड़क-भड़क, कृत्रिम। | स्त्री० देवी । ( वि. क्रि० ) दो।। देखावना-स० क्रि० दे० ( हि० दिखाना) देवऋण ---संज्ञा, पु. (सं०) देवताओं के लिये दिखाना, दिखराधना (ग्रा० ।। ___ करणीय कार्य, यज्ञादि । देखा-सुनी-- संज्ञा, पु. यौ० दे० (वा०) | देवऋषि, देवर्षि-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) साक्षात्, दर्शन विचार पूर्वक निश्चय किया नारद, भरद्वाज, अत्रि, मरीचि, पुलस्त्यादि हुआ । “देखे-सुने व्याह बहुत तें "रामा० । देवलोक वासी ऋषि । “अवसर जानि देव. देग, डेग-संज्ञा, पु. (फ़ा० ) एक बरतन, ऋषि पाये"-रामा।
बटुवा, चौड़े मुंह और पेट का पात्र । देवकन्या-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) देवता की देगचा- संज्ञा, पु० दे० ( फा० ) छोटा देग। लड़की, पुत्री। देवकली-संज्ञा, स्त्री० (सं०) (स्रो० अल्पा० देगची)।
एक रागिनी, देउकली (दे०)। देदीप्यमान- वि. (सं०) अति कांति या | देवकार्य-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) जो कार्य
प्रकाश-युक्त, दमकता या चमकता हुआ। या कर्म देवताओं के लिये किया जाय, देन -- संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० देना ) दान, दी यज्ञादि, देवताओं जैसा कार्य, शुभ कर्म । हुई वस्तु, देना का भाव । “ खुदा की देन | देवकाडार - संज्ञा, पु. ( सं०) चनसुर, देवका कुछ पंछिये अहवाल मूसा से"। काष्ट । संज्ञा, पु. (सं०) देवदारु । देनदार-संज्ञा, पु० ( हि० देना+दार फा०) | देवकी-संज्ञा, पु० (सं० ) श्रीकृष्ण-माता। करज़दार, ऋणी, ऋणियां ।
देवकी-नन्दन-संज्ञा, पु. यौ० (सं० ) देनहार, देनहारा--वि० दे० (हि० देना | श्रीकृष्ण ।
+हार-प्रत्य० ) देने वाला, देनेहारा | देवकुसुम-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) लौंग । (दे०)।
देवखात-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) प्राकृतिक देना-स० कि० दे० (सं० दान) अपना स्वस्व । ताल, झील, मानसरोवर ।
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