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दीठबंदी
दीपन देल-भाल, निगरानी, परख, दया या प्राशा | दीन-बंधु-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) दोनों का की दृष्टि, विचार ।
सहायक या भाई. परमेश्वर या भगवान । दीठबंदी-संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० (हि. दीठवंद) "जोरहीम दीहि लखै. दीनबन्धुसम होय"। नज़रवंदी, जादू।
दीनानाथ-सज्ञा, पु० यौ० दे० (सं० दीनदीठिवंत-वि० दे० (सं० दृष्टिवंत) नेन वाला, नाथ ) दोनों का स्वामी या रक्षक । “दीन देखने वाला।
बन्धु दीनानाथ मेरी तन हेरिये''-स्फु० । दीदा-संज्ञा, पु० दे० (का. दीदः ) नेत्र, दीनार-सज्ञा, पु० (स.) स्वर्ण-मुद्रा, अशी ,
आँख । मुहा०-दीदा लगना-जी, मोहर, सोने का एक गहना । मन या चित्त लगना । दीदे का पानो ढल | दीप-दीपक-सज्ञा, पु. (स०) दीपक, दिया, जाना-बेशरम या निर्लज्ज हो जाना। चिराग़, दीवा (ग्रा०), एक छद। सज्ञा, पु. दीदा नवना (लवना)-शर्म खाना, नम्र दे० ( स० द्वीप ) द्वीप टा। "दीप दोप के होना। दादे निकालना --- क्रोध भरी | भूपति नाना"। 'छवि गृहा दीप शिखा आँखों से देखना । दोदे फाड़कर देखना जनु बरई "--रामा० । दिया, दीया -आँखें फाड़ कर देखना अनुचित साहस (ग्रा.)। यौ० कुल-दीपक (दाप)-वंश या हिम्मत दिखाना, ढिठाई करना। का प्रकाशित करने वाला, बड़ा आदमी। दीदार-संज्ञा, पु० (फा० ) दशन, भेंट। "प्रकाशः कुल-दीपकः "-स्फु०। एक दीदी-संज्ञा, स्त्री० दे० हि० पु० दादा) बड़ी अलंकार जिसमें प्रस्तुत और अप्रस्तुत का बहिन ।
एक ही धर्म कहा जाये, (१० पी० )। दीधिनि-संज्ञा, स्त्री० (सं०) चन्द्र, सूर्य की एक राग (सगी०), कुङ्कुम, केसर वि० (स०) किरण, प्रकाश, अंगुली । “रवि-दीधिति लौं उजेला या प्रकाश करन वाला, पाचन-शक्ति ससि-किरनि, मोहि बचावति वीर"- बढ़ाने वाला उत्तजक, बढ़ाने वाला। स्त्री० मन्ना।
दापिका। दीन-वि० (सं०) कंगाल, दरिद्र, बापुरा (ब) | दोपकमाला-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं.) एक बेचारा, दुखिया, ब्याकुल, उदाप, नम्र, । वर्ण वृत्त, एक अलकार, माता दापक, बिनीत ज्ञा, पु. ( अ.) मत. मार्ग, जिसमें पूर्ववर्ती वस्तुएँ परवर्ती वस्तुओं की पंथ, मजहब । यौ० दीन इलाहो-अझ- | उपकारिणी प्रगट की जाव, दीपक-समूह । बर का असफल मत ।
दाएकवृत्त-सज्ञा, पु० यौ० (स०) जिप दीवट दीनता, द.नताइ--संज्ञा, स्त्री० दे० (सं०) में कई दीपक रखे जा सक, झाड़। कंगाली, दरिद्रता, निर्धनता, बेचारगी, दपकावृत्ति-सज्ञा, स्त्री० (स०) श्रावृति नम्रता।
दीपक--जिनमें एकार्थवाची या भिन्नार्थवाचो दीनन्य-संज्ञा, पु० (सं०) दीनता, ग़रीबी। एक से पद हों। दीनदय लु वि. यौ० (स०) दोनों पर दीपत, दीपरि-संज्ञा, स्त्री० दे० सं० दीप्ति) दया करने वाला। संज्ञा, पु. भगवान, प्रकाश, कांति, प्रभा शोभा, यश. कीर्त्ति । दीनदयाल (दे०)।
दीपदान- सज्ञा, पु० यौ० (सं०) दिया देना, दीनदार -वि. (अ. दीन + दार फा० ) प्रारतो करना, दिवाली त्या०)।
धार्मिक. मजहबी । संज्ञा, स्त्री. दीनदारी। | दीपध्वज-संज्ञा, पु. यौ० (स०) दिया का, दीन-दुनिया-संज्ञा, स्त्री० यौ० (अ०) लोक- | झंडा कज्जल दीपध्वजा। परलोक, स्वार्थ परमार्थ ।
दीपन-संज्ञा, पु० (२०) प्रकाशन, चुधा. भा० श० को०-४
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