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दीपना
दीर्घकाल वर्द्धन, प्रकाश के लिये दीप जलाना, उत्ते-दीप्ति-संज्ञा, स्त्री. (सं०) प्रकाश, उजाला, जन । वि० श्रावेग उत्पन्न कारक, पाचन प्रभा, कांति, छबि, भाभा, शोभा, रोशनी । शक्ति का बढ़ाने वाला। संज्ञा, पु. (सं०) दीप्तिमान-- वि० (सं० दीप्तिमत्) प्रकाशमान, मन्त्र-संस्कार । वि. दोपनीय, दीपित, __ चमकता हुआ, शोभा या कांति-युक्त । स्त्री. दीप्ति, दीप्य ।
दीप्तिमती। दीपना* --अ० क्रि० दे० (सं० दीपन) प्रकाश दीप्तोपल-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सूर्यकांति. करना, प्रकाशित होना, चमकना । स० कि. __ मणि, पातशी शीशा। (दे०) प्रकाशित करना, चमकना।
दोप्य---वि० (सं.) जलाने योग्य, प्रकाशनीय। दीपनी-दीपनीया- संज्ञा, स्त्री. (सं०) अज- दीप्यमान्- वि० (सं०) प्रकाशमान्, चमकता वाइन औषधि । वि. उत्तेजिनी, विबर्धनी, । हुश्रा, शोभित । प्रकाशिनो।
दीबट-संज्ञा, पु० दे० (हि. दीवट ) दियट । दीपान्वित-वि० यौ० (स०) शोभा यादीबो --संज्ञा, पु० ब० ( हि० देना ) देना, प्रकाश-युक्त।
"कन-दीबो सौंप्यौ ससुर"- वि० । दीपमाला-संज्ञा, नी० या० (सं०) दीपक- दीमक-संज्ञा, स्त्री० (फा०) वल्मीक, दिवार समूह।
डीमक, दिनार (ग्रा०)। दीपमालिका-दीपमाली- संज्ञा, स्त्री० यौ० | दीयमान-वि० (सं० दीपमत् ) जो दिया (सं०) दीपदान, दीप-समूह, दिवाली । ___ जाता है, दान देने की वस्तु । “दमकत दिव्य दीपमालिका दिखैहै को" | दीया-संज्ञा, पु. दे० ( सं० दीपक ) दिया, -ऊ० श०।
दीपक, चिराग। मुहा०-दीया ठंढा करना दीपशिखा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) दिया -दीया बुझाना। किसी के घर का दीया या चिराग की लौ या टेम । “कवि-गृह ठंढा होना-किसी के मरने से कुटुम्ब या दीप-शिखा जनु बरई "-रामा०। परिवार का अँधेरा हो जाना, वंश डूबना । दीपावलि-दीपावली-संज्ञा, स्त्री० यौ० दीया बढाना--दीया बुझाना। दीया(सं०) दीपक-समूह, दिवाली, दीपमालिका । बत्ती करना-दीया जलाने का प्रबन्ध दीपिका-संज्ञा, स्त्री० (सं०) छोटा दीपक, वि. करना, दीया जलाना। दीया लेकर हूँढना स्त्री० (सं०) प्रकाश फैलाने वाली, विवेचनी। -~-बड़ी छान-बीन से खोजना। (स्त्री० दीपित-वि० (सं०) प्रज्वलित, प्रकाशित, अल्पा० ) दिवली, दियली, दियाली, छोटा
दिया। "मैं कह दीया उसका नाम"-खु०॥ दीपोत्सव-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) दिवाली, दीरघ-वि० दे० ( सं० दीर्घ) दीर्घ, बड़ा। दीपावली।
" दीरघ साँस न लेइ दुख-" दीरघ वाघ दीप्त-वि. (सं०) प्रकाशित, प्रज्वलित, निदाघ "-वि०।।
चमकीला, जलता हुआ, रोशन । दीर्घ-वि० (सं०) बड़ा, लम्बा । संज्ञा, पु. दीप्ताक्ष-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) बिल्ली, । (सं०) द्विमात्रिक वर्ण, गुरु अक्षर ( विलो०. बिडाल, मार, मोर, मयूर ।
ह्रस्व, लघु) । दीप्ताग्नि-संज्ञा, पु. (सं०) अगस्त्य मुनि दीर्घकाय-वि० यौ० (सं०) बड़े डील-डौल वि० यौ० (सं०) तीचण जठरानल-युक्त,
| वाला, लम्बा-तड़गा। जलती आग।
दीर्घ-काल--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) चिरकाल, दीप्ताङ्ग-संक्षा, पु० यौ० (सं०) मोर, मयूर।। बहुत समय, दीर्घ समय ।
उत्तेजित।
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