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दिव्यकारा
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दिसना, दीसना उत्पात, एक नायक, स्वर्गीय नायक जैसे | दिव्या-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) स्वर्गीय नायिका, इन्द्र, न्यायालय की सत्यासत्य परीक्षा या | सुन्दर नायिका। शपथ।
दिव्यादिव्य- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) देवताओं दिव्यकारा-वि० (सं० ) कोषग्राही, शपथ के से गुण वाला नायक जैसे-नल । कर्ता।
दिव्यादिव्या-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) स्वर्गीय दिव्यकंड --- संज्ञा, पु. ( सं० ) एक छोटा नायिका, स्वर्गीय स्त्रियों के से गुण वाली ताल जो कामरूपी नामक पर्वत के पूर्व की नायिका-जैसे-दमयन्ती। ओर है।
दिव्यास्त्र-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) देवतों का दिव्यगंध-संज्ञा, पु० यौ० ( सं०) लौंग, हथियार, देव-प्रदत्त अस्त्र, सुन्दर हथियार। लवंग, लउँग (ग्रा०)।
दिव्योदक-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वर्षा का दिव्य गायन--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) गन्धर्व, | पानी या जल । अच्छा गाने वाला, देव-गायक ।
दिश- संज्ञा, स्त्री० (सं०) दिशा, दिक, दिग। दिव्यचक्षु-संज्ञा, पु० यौ० (सं० दिव्य चक्षुस्) | दिशा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) तरफ़, ओर, दिक, देवताओं कीसी आँख, सूक्ष्म दृष्टि, ज्ञानदृष्टि, दिग्, १० दिशायें हैं, दश की संख्या । अंधा, चश्मा।
दिशाभ्रम-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) दिशा दिव्य दोहद - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) बिना | की भूल, दिग्भ्रम, ( यौ० सं०) माँगे प्राप्ति ।
| दिशाशूल-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) दिग्शूल, दिव्यदृष्टि-- संज्ञा, स्त्री० (सं०) देवतों की सी| दिक्शूल । दृष्टि, ज्ञान-दष्टि ।
दिशि-संज्ञा, स्त्री० ( सं० दिशा ) दिशा । दिव्य धर्मी-वि० यौ० (सं० दिव्यधर्मिन् ) दिश्य-वि० (सं० ) दिशा-संबंधी, दिग्भव, धार्मिक, मनोहर, सुन्दर ।
दिग्जात । दिव्यरत्न--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) चिन्तामणि। | दिष्ट-संज्ञा, पु० (सं०) भाग्य, दैव, नियति । दिव्यरथ---संज्ञा, पु० यौ० सं०) देव-विमान।। वि० ( सं० दिश् + क्त-प्रत्य० ) उपदिष्ट, दिव्यरस-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) पारा, | शिक्षित । अच्छा रस।
दिष्टवन्धक--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) गिरों दिव्यलता-संज्ञा, खो० यौ०(सं०) दूब, श्रमर- | करने कीरीति जिसमें धनी को व्याज मिलता बेलि, सुन्दर लता।
है, सूदी रेहन । दिव्यवस्त्र-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) स्वर्गीय | दिष्टभुक् दिष्टभुग-वि० यौ० ( सं०) या सुन्दर कपड़े।
| भाग्याधीन भोग करने या खाने वाला। दिव्य वाक्य-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) देववाणी, दिष्टि* - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० दृष्टि) निगाह। संस्कृत भाषा।
दिष्ट्या -अव्य० (सं०) हर्ष, अति आनन्द । दिव्य सूरि-- संज्ञा, पु० (सं०) रामानुजानु- | दिसंतर*1-- संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० यायी श्राचार्य ।
देशान्तर, विदेश, परदेश, दिशाओं की दूरी। दिव्यज्ञान-संज्ञा, पु. यो० (सं०) ब्रह्मज्ञान ।। क्रि० वि० बहुत दूर, परदेश में। दिव्यस्थान-- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) स्वर्गीय दिस, दिसि*-संज्ञा, स्त्री० (सं० दिशु ) __ भवन, सुन्दर घर या स्थान ।
दिशा। दिव्यांगना- संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) देवता दिसना, दीसना* --अ० क्रि० दे० (हि. की पत्नी, अप्सरा, सुन्दर स्त्री। | दिखना ) दिखाई देना।
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