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दिवराज
दिव्य
PERamaareMRITMANDA
स्वर्ग, दिन, वन । " दिवं मरुत्वान् इव उदार । -संज्ञा, स्त्री. ( फा० दीवार ) भीत, भोच्यतेभुवन् ”-रघु०।
भीती, दीवाल । दिघराज-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) इन्द्र, दिवाला, देवाला-संज्ञा, पु० दे० ( हि. देवराज ।
दिया+ बालना =जलाना ) ऋण-मुक्ति के दिवरानी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि. ) स्वामी लिये पूर्ण धन न होने की दशा, टाट उलट के छोटे भाई की पत्नी, देवरानी दिउरानी। दना, टाट उलटना ( व्यो. मुहा० )। (ग्रा.)।
लो०- चार दिना के पूड़ी खाये निकल दिघला--- संज्ञा, पु० दे० ( हि० दिया ) दिया, | दिवाला जाय" । मुहा०-दिवाला निक दिया दीपक । "यहि तनका दिवला करौं, बाती लना-दिवाला होना । दिवाला मारना
मेलौं जीव" --कबी० । दिवलिया (दे०)। (निकालना) दिवालिया बन जाना । दिवस-संज्ञा, पु. (सं० दिन । 'दिवस रहा दिवालिया, देवालिया--- वि० (हिदिवाला भरि जाम "-रामा० ।
___ +इया प्रत्य० ) जिसका दिवाला निकल दिवस-अंध* -संज्ञा, पु० यौ० (सं० दिवाँध) गया हो । ऋणी, कंगाल । दिवसाँध, दिनौंधी रोगी,जिसे दिन में दिखाई दिवाली, दिवारी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं०
न दे, दिन का अंधा, घुग्घू या उल्लू पक्षी। दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या, दीपदिवसात्यय-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) दिन मालिका । " श्रावति दिवारी बिलखाइ
की समाप्ति, सायंकाल, संध्या, शाम । ब्रजवारी कहैं"-उ० श० । दिवस्पति-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सूर्य, रवि, दिविज-वि० (सं०) स्वर्गीय, दिव्य, अलौदिवसेश।
किक, सुन्दर । दिवांध-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) जो दिनौंधी | दिविरथ--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) एक राजा ।
रोग से पीड़ित हो, जिसे दिन में दिखाई न दिविषद-संज्ञा, पु० ( सं० ) देवता, देव । देता हो.घुग्घू , या उल्लू पक्षी, दिवांध । संज्ञा, दिवेश- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) इन्द्र, देवराज, पु० दिनौंधी रोग । संज्ञा, स्त्री० दिवान्धता।दिवैया, देवैय्या-वि० (हि० देना +-वैया --- दिवा-संज्ञा, पु. (सं०) दिन, दिवस, प्रत्य० ) देने वाला, दाता, दानी। मालिनी छंद।
दिवोदास-संज्ञा, पु. (सं०) काशी के राजा दिवाकर-संज्ञा, पु. ( सं० ) सूर्य, रवि। जो धन्वंतरि के अवतार माने जाते हैं। “ दीपत दिवाकर को दीपक दिखैयै कहा" " धन्वंतरि दिवोदास काशिराजस्तथा-रत्ना० ।
श्विनौ "स्फु०। दिवान-संज्ञा, पु. (अ. दीवान ) मंत्री, दिवोल्का-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) दिन में
वजीर, सलाहकार । वि० (दे०) पागल । टूटने वाला तारा, उल्का ।। दिघाना-वि० संज्ञा, पु. ( अ० दीवाना) दिवौकस, दिवौका-संज्ञा, पु. यौ० (सं.)
दीवाना-पागल । *t- सक्रि० दे० (हि० देवता, देव । सुपाणः सुमनसस्त्रिदिवेशः दिलाना ) दिलाना । स्त्री० दिवानी। दिवौकसः"-श्रम ।। दिवाभिसारिका-संज्ञा, स्त्री० यौ० ( सं०) दिव्य-वि० (सं० ) स्वर्गीय, स्वर्ग-संबंधी, जो नायिका दिन में प्रेमी के यहाँ नावे ।। श्राकाशीय, अलौकिक, प्रकाशमय, सुन्दर । (विलो-निशाभिसारिका)। संज्ञा, स्त्री० (सं०) दिव्यता । " दिव्य बसनदिवाल देवार, दिवार-वि० दे० (हि. भूषन पहिराये"- रामा० । संज्ञा, पु० (सं०) देना+वाल-प्रत्य० ) देने वाला, दाता, दानी, । यव, जौ, तत्वज्ञानी, एक केतु, श्राकाशीय
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